आरक्षण विरोधी हिंसा में 35 साल पहले हुआ था केस दर्ज, फरारी के दौरान भी बड़े पदों पर करता रहा नौकरी

प्रशासनिक गलियारों में नौकरी करने हुए पुलक भट्टाचार्य पदोन्नति होते हुए डिप्टी कलेक्टर बन गए। भाजपा सरकार आने के बाद इन्हें एडिशनल कलेक्टर बनने में ज्यादा वक्त नहीं लगा।

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VINAY VERMA
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35 years ago anti reservation violence continue work high posts during abscondence
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छत्तीसगढ़ में एक एडिशनल कलेक्टर 35 सालों से फरार घोषित रहा। हर सरकार में बड़े पदों पर रहने वाले पुलक भट्टाचार्य के खिलाफ साल 1990 में आरक्षण विरोधी आंदोलन के दौरान केस दर्ज हुआ था। उनपर हिंसा और सरकारी संपति के नुकसान का आरोप था।

बड़ी बात यह है कि साल 1996 में उसका तहसीलदार के रुप में उसका चयन भी हो गया। बाकायदा उन्होंने राजधानी में रहते हुए जोन कमिश्नर, नगर निवेशक और फिर निगम के  उपायुक्त बन शहर की व्यवस्था संभाली।

उसके बावजूद पुलिस उनतक नहंी पहुंच पाई। जब वह कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए तो साल 2015 में अदालत ने उसे स्थाई वारंटी घोषित किया। जिसके बाद कुछ समय तक वह अंडर ग्राउंड जरुर हुए लेकिन सरकार ने उनके खिलाफ केस को समाप्त कर दिया है। 

मामला हो गया रफा-दफा


प्रशासनिक गलियारों में नौकरी करने हुए पुलक भट्टाचार्य पदोन्नति होते हुए डिप्टी कलेक्टर बन गए। भाजपा सरकार आने के बाद इन्हें एडिशनल कलेक्टर बनने में ज्यादा वक्त नहीं लगा। इतना ही नहीं अदालत में विचाराधीन मामला भी रफा दफा हो गया। 

पुलिस भी नहीं पाई खोज


35 सालों से फरार आरोपी पुलिस को ढूंढे नहीं मिला। परिणामस्वरुप स्थाई वारंटियों की सूची में फरार आरोपी की धर पकड़ सिर्फ कागजों तक में ही सीमित रह गई। जबकि बड़े पदों पर रहने के दौरान पुलक भट्टाचार्य टीवी मीडिया में सुर्खियों में बनते रहते थे। 

साइन से आदेश होते थे जारी


तहसीलदार पद पर चयन होने के बाद ये रायपुर सहित कई जगहों पर पोस्टेड रहे। इस दौरान जमीन से जुड़े मामलों में तहसीलदार के रुप में इनके साइन से कई आदेश पारित होते रहे। इसके अलावा कई प्रमाण पत्रों में भी इनके साइन मौजूद रहे। लेकिन तत्कालीन सरकारें और पुलिस इसे अनदेखा करती रही।

नौकरी के दौरान भी कई शिकायतें


अदालती दस्तावेजो में आरोपी नंबर { 6 } पुलक भट्टाचार्य, पिता राम भट्टाचार्य उम्र 20 वर्ष, निवासी महासमुंद को फरार घोषित किया गया है। एक शिकायत में बताया गया है कि यह शख्स और कोई नहीं बल्कि रायपुर में विभिन्न पदों पर वर्षों से पदस्थ रहे अतिरिक्त कलेक्टर पुलक भट्टाचार्य ही हैं। इनके उपर जमीनों की अफरा तफरी, नाप-जोप में गड़बड़ी और भू माफियाओं के साथ साठ-गांठ से संबंधित कई शिकायतें पेंडिंग हैं।

ट्रांसपोर्ट कमिश्नर और हाउसिंग बोर्ड का कार्यकाल विवादों में


सामान्य प्रशासन विभाग को भेजी गई एक शिकायत में बताया गया है कि रायपुर में बतौर एडीएम रहते इन्होंने करीब 60 करोड़ की बेशकीमती जमीन बगैर रजिस्ट्री एक चर्चित भू दृ माफिया के नाम पर नामांतरित कर दी थी।

जबकि जमीन का सौदा सिर्फ एग्रीमेंट आधारित था। इस अधिकारी की कार्यप्रणाली के चलते इस अवैध नामांतरण से छत्तीसगढ़ शासन को 7 करोड़ से ज्यादा के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा। ट्रांसपोर्ट कमिश्नर और छत्तीसगढ़ हाउंसिग बोर्ड में उनका कार्यकाल विवादों में रहां।

नौकरी पाने झूठी जानकारी


पुलक भट्टाचार्य को लेकर यह भी चर्चा है कि नौकरी पाने के लिए इन्होंने झूठी जानकारी दी थी। पुलिस वेरिफिकेशन के दौरान भी पुलिस और प्रशासन के मिली भगत की इनके द्वारा की गई। मामले में सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से उच्चस्तरीय जांच भी हुई है। उसके बावजूद पुलक भट्टाचार्य पिछली कांग्रेस सरकार में कई मलाईदार विभागों में इधर से उधर होते रहे।

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