रायपुर. छत्तीसगढ़ का सरकारी सिस्टम भी अजब-गजब है। सरकार किसी की भी हो सिस्टम तो एक जैसा ही काम करता है। सरकार अपने आप को किसानों की सरकार बताती है लेकिन किसानों के लिए ही उसके पास बिजली नहीं है। पांच साल पहले किसानों से सिंचाई के लिए पंप कनेक्शन के नाम पर सात करोड़ रुपए जमा करा लिए लेकिन 50 हजार से ज्यादा किसानों को अब तक बिजली कनेक्शन नहीं मिला है। मामला 2020 का है लेकिन 2024 में भी स्थिति जस की तस है। यही कारण है कि यहां पर सवाल उठ रहा है कि क्या किसानों के लिए ही सरकार के पास बिजली नहीं है। आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा माजरा।
पेंडिंग है 50 हजार से ज्यादा मामले
किसानों को सिंचाई के लिए सरकार बिजली कनेक्शन की सुविधा देती है। किसानों से न्यूनतम शुल्क लेकर उनको सिंचाई करने मोटर पंप के लिए कनेक्शन दिया जाता है। भूपेश सरकार के समय साल 2020 में किसानों ने सिंचाई के लिए बिजली कनेक्शन देने का आवेदन किया। इनमें से 55 हजार 810 किसानों को पिछले पांच साल से बिजली कनेक्शन ही नहीं मिला है। सरकार मानती है कि इन किसानों ने सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं। फिर इनके मामले पेंडिंग हैं। इन किसानों ने पंप कनेक्शन लेने के लिए सरकारी फीस के 7 करोड़ रुपए जमा कर भी कर दिए हैं। उसके बाद भी सरकार के पास इन किसानों को देने के लिए बिजली नहीं है।
कनेक्शन के लिए लगती है इतनी फीस
सिंचाई के लिए पंप कनेक्शन लेने में किसानों को न्यूनतम राशि जमा करती होती है। इसके लिए प्रोसेसिंग फीस 200 रुपए, नए कनेक्शन के प्रभार की राशि 875 रुपए और प्रति हॉर्स पॉवर 200 रुपए यानी एक किसान को करीब डेढ़ हजार रुपए जमा करने होते हैं। हॉर्स पॉवर के हिसाब से ये राशि थोड़ी और ज्यादा हो जाती है। इस औपचारिकता के पूरे होने के बाद किसानों को बिजली कनेक्शन दे दिया जाता है। इस फीस के हिसाब से 55 हजार से ज्यादा किसान 7 करोड़ से ज्यादा की राशि बिजली विभाग को जमा कर चुके हैं। लेकिन पांच साल बाद भी सरकार के पास इनके मामले पेंडिंग पड़े हुए हैं।
जल्दी दे देंगे कनेक्शन
पांच साल से इंतजार कर रहे इन किसानों को अभी और इंतजार करना होगा। किसानों ने आवेदन पिछली सरकार को दिया। सरकार बदल गई लेकिन उनको बिजली कनेक्शन नहीं मिला। अब सरकार कहती है कि 50 हजार किसानों को इस साल कनेक्शन दे दिया जाएगा। जो पांच हजार किसान बचेंगे उनको भी जल्दी कनेक्शन दे दिया जाएगा। सरकार मानती है कि 55 हजार से ज्यादा किसानों ने औपचारिकता पूरी कर ली है फिर भी उनके आवेदन लंबित हैं। अब सवाल ये उठता है कि यदि इन जरुरी कामों के लिए सरकारी सिस्टम इतना वक्त लगाता है तो फिर प्रदेश में सुशासन पर सवाल उठना लाजिमी है।
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