धर्मांतरण रोधी कानून: सख्त नियमों के साथ छत्तीसगढ़ सरकार ला रही लॉ

छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार (BJP government) धर्मांतरण रोधी कानून (anti conversion law) लाने वाली है। विधानसभा के चल रहे सत्र में इससे जुड़ा विधेयक पेश किया जाएगा। कैबिनेट मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने शनिवार, 17 फरवरी को सदन में इसकी जानकारी दी।

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BP shrivastava
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छत्तीसगढ़ सरकार धर्मांतरण रोधी कानून बनाने जा रही है... फाइल फोटो।

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RAIPUR. छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार (BJP government) धर्मांतरण रोधी कानून (anti conversion law) लाने वाली है। विधानसभा के चल रहे सत्र में इससे जुड़ा विधेयक पेश किया जाएगा। कैबिनेट मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने शनिवार, 17 फरवरी को सदन में इसकी जानकारी दी।( एंटी-कंवर्जन बिल )

 बता दें कि बीजेपी ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में धर्मांतरण को सबसे बड़ा मुद्दा बनाया था। अब विष्णु देव साय की सरकार छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण रोधी कानून लाने जा रही है।

'कांग्रेस सरकार में खूब संरक्षण मिला धर्मांतरण को'

बृजमोहन अग्रवाल ने कहा, छत्तीसगढ़ में लगातार धर्मांतरण के मामले सामने आ रहे हैं। पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान धर्मांतरण को खूब संरक्षण मिला। धर्मांतरण के खिलाफ 34 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि 3400 से ज्यादा मामलों में शिकायतें मिली हैं। हालांकि, बीजेपी संगठन के कई पदाधिकारी कह रहे हैं कि धर्मांतरण के वास्तविक आंकड़े इससे कहीं ज्यादा हैं। बीजेपी नेताओं की ओर से दावा किया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में धर्म परिवर्तन के कारण जनसांख्यिकीय परिवर्तन हुआ है। ऐसे में कानून बनने के बाद कहीं न कहीं धर्मांतरण पर रोक लग सकती है। 

कांग्रेस ने विचार- विमर्श के बिना बनाए जा रहे धर्मांतरण कानून की निंदा की

कांग्रेस ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है। नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने विपक्ष से विचार-विमर्श के बिना बनाए जा रहे धर्मांतरण कानून की निंदा की। उन्होंने कहा, बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर द्वारा दिए गए संविधान के अनुच्छेदों की अनदेखी की जा रही है। हमारा हर धर्म से रिश्ता है। हम सब एक हैं। बिना जानकारी लिए और नियम-कायदों को ध्यान में रखे बिना धर्मांतरण को लेकर जांच कमेटी बनाना उचित नहीं है। मैं इसकी निंदा करता हूं।

 छत्तीसगढ़ के धर्म स्वतंत्रता विधेयक के प्रावधान

धर्म स्वतंत्रता विधेयक का ड्राफ्ट तैयार है, इसे विधानसभा में पेश किए जाने से पहले इसमें कुछ संशोधन किए जा सकते हैं। सरकार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक इसमें प्रावधान होगा कि जो व्यक्ति दूसरे धर्म में परिवर्तित होना चाहता है, उसे कम से कम 60 दिन पहले व्यक्तिगत विवरण के साथ एक फॉर्म भरना होगा और इसे जिला मजिस्ट्रेट के पास जमा करना होगा। फिर जिला मजिस्ट्रेट पुलिस से धर्मांतरण के 'वास्तविक इरादे, कारण और उद्देश्य' का आकलन करने को कहेगा। अगर कुछ संदिग्ध नहीं मिला तो धर्मांतरण की इजाजत होगी।

ड्राफ्ट में यह भी कहा गया

  • ड्राफ्ट में यह भी कहा गया है कि बल, अनुचित प्रभाव, जोर-जबरदस्ती, प्रलोभन, विवाह या किसी कपटपूर्ण तरीके से एक धर्म से दूसरे धर्म में मतांतरण नहीं किया जा सकेगा।
  • अगर डीएम को धर्मांतरण के पीछे उपरोक्त में से किसी भी कारण के होने के बारे में पता चलता है, तो धर्मांतरण अवैध माना जाएगा।
  •  ड्राफ्ट में यह भी कहा गया है कि धर्मांतरण के बाद, व्यक्ति को 60 दिनों के भीतर एक और डिक्लेरेशन फार्म भरना होगा और सत्यापन के लिए डीएम के सामने खुद को पेश करना होगा।
  • यदि ऐसा नहीं किया जाता है, तो धर्मांतरण को अवैध माना जा सकता है। 
  • यह भी कहा गया कि वेरिफिकेशन पूरा होने तक डीएम अपने कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर डिक्लेरेशन फार्म की एक प्रति प्रदर्शित करेंगे।
  • धर्म परिवर्तन करने वाले प्रत्येक व्यक्ति की डीएम द्वारा एक रजिस्ट्री रखी जाएगी।
  • धर्मांतरण करने वाले के परिजनों की अगर कोई आपत्ति है, तो वे एफआईआर दर्ज करवा सकेंगे।
  • यह मामला गैर-जमानती होगा और सुनवाई सत्र अदालत में होगी।
  • नाबालिगों, महिलाओं, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्यों का अवैध रूप से धर्म परिवर्तन कराने वालों को दोषी पाए जाने पर कम से कम 2 साल और अधिकतम 10 साल की जेल होगी, साथ ही न्यूनतम 25,000 रुपए का जुर्माना लगेगा। 
  • अवैध तरीके से सामूहिक धर्म परिवर्तन करवाने वाले को दोषी पाए जाने पर कम से कम 3 साल और अधिकतम 10 साल की सजा और 50,000 रुपए जुर्माना होगा।
  • कोर्ट धर्म परिवर्तन के पीड़ित को 5 लाख रुपए तक का मुआवजा भी मंजूर कर सकता है। ड्राफ्ट में कहा गया है कि धर्मांतरण अवैध नहीं था यह साबित करने की जिम्मेदारी, धर्मांतरण कराने वाले व्यक्ति की होगी।
  •  यह कानून उन लोगों पर लागू नहीं होगा, जो दोबारा अपने वास्तविक धर्म में लौटना चाहते हैं।
धर्मांतरण रोधी कानून