Battery operated e cycle : बेटे को स्कूल जाने के लिए हर दिन आने-जाने में 40 किमी का सफर तय करना पड़ता था। बेटा हर रोज परेशान होता था।
कई बार तो उसका स्कूल छूट जाता था।एक पिता से अपने बेटे की यह परेशानी देखी नहीं गई। बेटे की रोज-रोज की इस परेशानी को दूर करने के लिए उन्होंने एक जुगाड़ लगाई। वह वेल्डर का काम करते थे।
एक दिन उनको विचार आया कि क्यों न अपनी साइकिल को ई साइकिल का रूप दे दिया, जो ऑटोमेटिक चले। तमाम परेशानियों से गुजरते हुए आखिरकार उन्होंने इसे कर दिखाया। इस तरह उनके बेटे की परेशाानी दूर हो गई।
कक्षा 8वीं में पढ़ता है बेटा
छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के दुचेरा गांव में संतोष साहू रहते हैं। उनका बेटा किशोर अर्जुन्दा के स्वामी आत्मानंद स्कूल में कक्षा 8वीं में पढ़ता है।
उसे स्कूल आने - जाने में 40 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी। स्कूल की तरफ से बस उपलब्ध नहीं कराई गई है। प्राइवेट बस से उसे स्कूल आना-जाना पड़ता था। अक्सर उसकी बस छूट जाया करती थी।
इससे बेटे की पढ़ाई भी प्रभावित होती थी। संतोष का कहना है उनसे बेटे को रोजाना परेशानी झेलते हुए नहीं देखा गया।
एक बार चार्ज करने पर 80 किमी चलती है
संतोष का कहना है कि उन्होंने साइकिल के पार्ट्स, बैटरी, स्विच और तारों का इस्तेमाल कर जुगाड़ की साइकिल बनाई। एक बार चार्ज करने पर यह साइिकल 80 किलोमीटर तक चल सकती है। चार्जिंग में इसे 6-8 घंटे लगते हैं। एक बार चार्ज करने पर उनका बेटा दो दिन तक इस्तेमाल करता है।
सेल्फ स्टार्ट, तीस हजार रुपए लागत आई
संतोष का कहना है कि बैटरी वाली साइकिल बनाने में 30 हजार रुपए लगे। यह 3 दिन में तैयार हो गई थी। उन्होंने बताया कि इसमें बैटरी और सेल्फ स्टार्टर भी लगाया है। संतोष का कहना है कि तीन लोगों ने उन्हें ऐसी साइकिल बनाने का ऑर्डर भी दिया है। संतोष कहते हैं कि उन्होंने वही किया जो हर पिता करता है।