उज्जैन के राजा विक्रमादित्य की कुलदेवी के प्रसाद की भी होगी जांच , PM मोदी भी आते हैं डोंगरगढ़ मंदिर में मन्नत मांगने

तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसादम में जावनरों की चर्बी और मछली का तेल मिलने से करोडों लोग सन्न रह गए हैं। इसे देखते हुए छत्तीसगढ़ के मंदिरों में जांच का आदेश जारी हुआ है।

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Kanak Durga Jha
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Maa Bamleshwari Temple Dongadgarh : तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसादम में जावनरों की चर्बी और मछली का तेल मिलने से करोडों लोग सन्न रह गए हैं। खबर उजागर होने के बाद देशभर के बड़े-बड़े मंदिरों में प्रसाद की जांच हाे रही है। इसे देखते हुए अब डोंगरगढ़ में स्थित मां बम्लेश्वरी मंदिर के प्रसाद की भी जांच होगी। मां बम्लेश्वरी को मध्यप्रदेश के उज्जैन के प्रतापी राजा विक्रमादित्य की कुलदेवी भी कहा जाता है।

खाद्य विभाग ने जारी किया आदेश

बता दें कि जांच का आदेश प्रदेश के खाद्य एवं औषधि विभाग ने जारी किया है। आदेश के बाद प्रसाद की बारीकी से जांच की जाएगी। इसके साथ ही अन्य मंदिरों में प्रसाद की गुणवत्ता की भी जांच होगी। बताया जा रहा है कि, जांच के लिए प्रसाद का सैंपल लिया जाएगा।

बता दें कि मां बम्लेश्वरी मंदिर में नवरात्र के समय मंदिरों में देवभोग घी का प्रसाद में उपयोग किया जाएगा। बता दें कि तिरुपति मंदिर में प्रसाद विवाद के बाद ये फैसला लिया गया है। इधर, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के प्रसिद्ध मंदिर, मनकामेश्वर मंदिर में बाहरी प्रसाद पर बैन लगा दिया है।

अब घर का प्रसाद और ड्राई फ्रूट का ही भोग लगा सकेंगे। समाजवादी पार्टी सांसद डिंपल यादव ने मथुरा वृंदावन में प्रसाद की गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

 

पीएम मोदी समेत दिग्गज नेता आते-रहते हैं दर्शन करने

दो हजार साल से भी अधिक पुराने मंदिर में माता के दर्शन करने के लिए पीएम मोदी समेत कई दिग्गज नेता आते-रहते हैं। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान मोदी मां बम्लेश्वरी माता का आशीर्वाद लेने मंदिर आते हैं। वहीं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी माता के दर्शन के लिए डोंगरगढ़ आते हैं।

सदियों पुराना है मंदिर का इतिहास

मां बम्लेश्वरी शक्तिपीठ का इतिहास 2,200 वर्ष पुराना हैं। प्राचीन समय में डोंगरगढ़ वैभवशाली कामाख्या नगरी के रूप में जाना जाता था।

मां बम्लेश्वरी को मध्यप्रदेश के उज्जैन के प्रतापी राजा विक्रमादित्य की कुल देवी भी कहा जाता है। इतिहासकारों और विद्वानों ने इस क्षेत्र को कल्चूरी काल का पाया है। 

मंदिर की अधिष्ठात्री देवी मां बगलामुखी हैं, जिन्हें मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। जिसे मां बम्लेश्वरी के रूप में पूजा जाता है। मां बम्लेश्वरी के दरबार में पहुंचने के लिए 1100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। रोप-वे की भी सुविधा है।

पहाड़ी के नीचे छोटी बम्लेश्वरी का मंदिर है, जिन्हें बड़ी बम्लेश्वरी की छोटी बहन कहा जाता है। यहां बजरंगबली मंदिर, नाग वासुकी मंदिर, शीतला मंदिर भी है।

देवभोग घी का उपयोग करने की सलाह

कृषि उत्पादन आयुक्त की ओर से कलेक्टर्स को एक पत्र जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि आगामी माह में आने वाली नवारात्रि में देवभोग घी का उपयोग किया जाए। ज्ञात हो कि देवभोग छत्तीसगढ़ सहकारी समितियों की ओर से संचालित ब्रांड है। वचन नाम से इसका दूध आता है।

मंदिरों में देवभोग घी के इस्तेमाल को लेकर आदेश जारी

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