रायपुर. कोरोना काल के खत्म होने के चार साल बाद भी रेलवे की गाड़ियां पटरी पर नहीं आ पाई हैं। इसे लेकर छत्तीसगढ़ होईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने DRM से पूछा है कि क्या अभी भी ट्रेनों को स्पेशल बनाकर चलाया जा रहा है। कोर्ट ने दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के डीआरएम से एक सप्ताह के अंदर शपथ पत्र पर इसकी जानकारी मांगी है।
ज्ञात हो कि रेलवे ने कोरोना काल में सभी गाड़ियों को रद्द कर दिया था। इसके तहत बिलासपुर जोन की गाड़ियां भी बंद की गई थीं। इसके बाद जब कोरोना का संक्रमण कम हुआ, तो रेलवे बोर्ड ने ट्रेनों का परिचालन शुरू किया। इसके बाद भी बिलासपुर जोन की ज्यादातर गाड़ियां बंद थीं। इस बीच जिन ट्रेनों को शुरू किया गया, उन्हें भी स्पेशल बनाकर चलाया गया। इन्हें छोटे स्टेशनों पर स्टॉपेज नहीं दिया गया। रेलवे बोर्ड के आदेश के बाद भी बिलासपुर जोन में ट्रेनों की स्थिति सामान्य नहीं हो सकी है। इस समस्या को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई।
पटरी पर नहीं आ पाई हैं गाड़ियां
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि अब तक ट्रेनों के परिचालन की स्थिति सामान्य नहीं हो पाई है। सभी मेल एक्सप्रेस ट्रेन 2021 से ही नियमित ट्रेन बनकर चलने लगी हैं, लेकिन लोकल पैसेंजर और मेमू ट्रेन जिनमें गरीब वर्ग के लोग सफर करते हैं और कम दूरी के यात्री सफर करते हैं, उन्हें अब भी स्पेशल ट्रेन के नाम से चलाया जा रहा है।
ऐसे पकड़ी गई रेलवे की चालबाजी
डिप्टी सालिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि 21 फरवरी 2024 को रेलवे बोर्ड ने सभी पैसेंजर, लोकल और मेमू ट्रेनों को रेगुलर ट्रेन के रूप में चलने का आदेश दे दिया है। यह आदेश बिलासपुर जोन पर भी लागू है। इस पर याचिकाकर्ता के एडवोकेट ने कहा कि उसने आज ही एक शपथ पत्र दाखिल कर यह बताया है कि अब भी बिलासपुर जोन में पैसेंजर, लोकल और मेमू ट्रेन स्पेशल ट्रेन के रूप में ही चलाई जा रही हैं। इनका नंबर जीरो (0) से शुरू होता है, जो रेलवे में इस बात को बताता है कि उक्त ट्रेन स्पेशल गाड़ी है।