अरुण तिवारी @ RAIPUR. चुनाव की आचार संहिता खत्म होने के बाद ईडी ( ED ) फिर एक्शन में आ गई है। ईडी ने कस्टम मिलिंग घोटाले ( custom milling scams ) के मामले में प्रदेश के दो शहरों पर छापामार कार्रवाई की। ईडी की टीमों ने डोंगरगढ़ और रायपुर में एक करोबारी के दो ठिकानों पर दबिश दी। राजनांदगांव राइस मिल एसोसिशन के अध्यक्ष मनोज अग्रवाल के ठिकानों पर शनिवार तड़के ये कार्रवाई की गई। मनोज अग्रवाल राइस मिल एसोसिएशन के साथ डोंगरगढ़ मंदिर ट्रस्ट से भी जुड़े हुए हैं। ईडी कस्टम मिलिंग घोटाले के मामले में दस्तावेजों की जांच कर रही है।
पिछले सप्ताह भी मारा था छापा
ईडी ने पिछले सप्ताह भी राइस मिल एसोसिएशन ( Rice Mill Association ) से जुड़े कारोबारियों के यहां छापामार कार्यवाही की थी। कारोबारियों के यहां रायपुर,दुर्ग और खरोरा में पांच ठिकानों पर छापा मारा गया था। सूत्रों की मानें तो यह छापा एसोसिएशन के महासचिव प्रमोद अग्रवाल के ठिकानों पर मारा गया था। इसके अलावा अध्यक्ष कैलाश रुंगटा से भी पूछताछ की गई थी। यह छापे एसोसिएशन के सचिव रोशन चंद्राकर और खाद्य विभाग के विशेष सचिव रहे मनोज सोनी से मिली जानकारी के आधार पर मारे गए।
ये है मामला
कस्टम मिलिंग घोटाले में मार्कफेड के पूर्व प्रबंध निदेशक मनोज सोनी समेत पांच पर एफआईआर दर्ज कराई गई है। इन पर 140 करोड़ की अवैध वसूली का आरोप है। इस पूरे मामले में अफसरों से लेकर मिलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी तक शामिल हैं। जांच में ये बात सामने आई है कि एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष रोशन चंद्राकर लेवी वसूलते थे और अफसरों को जानकारी देते थे। जिनसे रुपए नहीं मिलते थे उनका भुगतान रोक दिया जाता। करोबारियों ने भी माना की अफसरों को हर काम का पैसा देना पड़ता था। विधानसभा में भी बीजेपी विधायक शिवरतन शर्मा कहा था कि, कस्टम मिलिंग में प्रति टन 20 रुपए वसूली की जाती है। ACB अफसरों के मुताबिक, आरोपी अफसरों और मिलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों की जल्द गिरफ्तारी हो सकती है।
सवा साल से चल रहा था खेल
कारोबारियों के मुताबिक मनोज सोनी और उनके सहयोगियों का यह खेल पिछले सवा साल से चल रहा था। इसके लिए बाकायदा पूरी टीम काम कर रही थी। इस टीम में मार्कफेड के अधिकारी और छत्तीसगढ़ स्टेट इन मिलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी शामिल थे। आरोप है कि आरोप है कि, कस्टम मिलिंग, डीओ काटने, मोटा धान को पतला, पतले धान को मोटा करने, एफसीआई को नान में कंवर्ट करने का पैसा लिया जाता था।