छत्तोसगढ़ शराब घोटाला मामले में ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) ने बड़ा खुलासा किया है। बता दें कि दो दिन पहले ईओडब्ल्यू अधिकारियों ने 15 अफसरों से पूछताछ की थी। पिछली कांग्रेस की सरकार में 2,200 करोड़ रुपए के शराब घोटाले में संलिप्त सभी अफसरों से पूछताछ की जा रही है। इसे लेकर ईओडब्ल्यू ने 20 अफसरों की लिस्ट तैयार की थी। इनमें से 15 अफसरों से पूछताछ की।
ईओडब्ल्यू का बड़ा दावा
पूछताछ की कार्रवाई के बाद ईओडब्ल्यू ने बड़ा दावा किया है। ईओडब्ल्यू ने कहा कि - ये वही अफसर हैं, जिन्होंने सिंडीकेट के साथ मिलकर पांच साल में लगभग 172 करोड़ रुपये की कमाई की है। ईओडब्ल्यू द्वारा पेश की गई चालान की कॉपी बताती है, कि इन अफसरों की कमाई चुनावी वर्ष यानी कि 2022-23 में पिछले वर्षों की तुलना में दोगुनी हो गई थी।
ईओडब्ल्यू के अनुसार चुनावी वर्ष में 2022-23 में यह कारोबार 200 ट्रक से बढ़कर 400 ट्रक प्रतिमाह हो गया था। जिससे अफसरों को 150 रुपये प्रति पेटी के हिसाब से मिलने वाली रिश्वत की राशि दोगुनी हो गई और 2.40 करोड़ रुपये की जगह 4.80 करोड़ रुपये प्रतिमाह मिलने लगे।
इस हिसाब से सिर्फ चुनावी वर्ष में ही इन सभी अफसरों ने 20 अफसरों ने 57 करोड़ रुपये रिश्वत के जरिए कमाए हैं। ईओडब्ल्यू के आरोप पत्र में नाम आने और पूछताछ होने के बावजूद अभी भी ये अफसर आबकारी में ही अहम पदों पर बने हुए हैं।
छत्तीसगढ़ शराब घोटाले का पूरा मामला
छत्तीसगढ़ शराब घोटाले का खुलासा ईडी ने किया। ईडी ने दावा किया कि शराब घोटाले में भ्रष्टाचार कई तरीकों से किया गया था। इस घोटाले को ईडी ने पार्ट के रूप में विभाजित किया। करोड़ों के इस घोटाले पर ईडी और ईओडब्ल्यू कई महीनों से जांच कर रही है। इस घोटाले के मुख्य आरोपी अनवर ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी और पूर्व आईएएस अनिल टूटेजा है। इसके साथ ही इस घोटाले में कई बड़े अफसरों और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का नाम सामने आया है।
ईडी ने घोटाले को पार्ट में किया विभाजित
करोड़ों के इस घोटाले को ईडी ने A,B,C भाग में विभाजित किया है। पार्ट-ए कमीशन में, सीएसएमसीएल (शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय) द्वारा उनसे खरीदी गई शराब के प्रत्येक केस के लिए डिस्टिलर्स से रिश्वत ली गई थी। पार्ट-बी (कच्ची शराब की बिक्री) में बिना हिसाब-किताब वाली कच्ची देशी शराब की बिक्री।
इस मामले में, राज्य के खजाने में एक भी रुपया नहीं पहुंचा और बिक्री की सारी आय सिंडिकेट ने अपने पास रख ली। अवैध शराब सरकारी दुकानों से ही बेची जाती थी। पार्ट-सी कमीशन में, डिस्टिलर्स से रिश्वत ली जाती है ताकि वे कार्टेल बना सकें और एक निश्चित बाजार हिस्सेदारी रख सकें।
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