रायपुर. छत्तीसगढ़ से बड़ी खबर सामने आ रही है। कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, प्रदेश में कानून व्यवस्था, लोहारीडीह हिंसा और जेल में युवक की मौत के मुद्दे पर कांग्रेस सड़क पर उतरने जा रही है। इसे लेकर उसने कल यानी 21 सितंबर को छत्तीसगढ़ बंद का आह्वान किया है। चेंबर ऑफ कॉमर्स ने कांग्रेस के इस बंद को समर्थन देने से मना कर दिया है।
जानिए क्या है पूरा मामला
छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले के लोहारीडीह में हत्याकांड हुआ था। इस केस का आरोपी युवक प्रशांत साहू जेल में बंद था। उसकी जेल में ही मौत हो गई। प्रशांत के घर वालों का आरोप है कि उसे गलत फंसाया गया था। उसके साथ पुलिस ने मारपीट की, जिस वजह से उसकी मौत हो गई।
पीसीसी चीफ दीपक बैज, पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने युवक के परिजन से मुलाकात की थी। इसके बाद कांग्रेस ने कानून व्यवस्था व इस केस की सिटिंग जज से जांच कराने की मांग की है। इन्हीं मांगों को लेकर कांग्रेस ने कल यानी शनिवार 21 सितंबर को प्रदेश बंद का कॉल किया है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज तथा पूर्व सीएम भूपेश बघेल सहित कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब हो गई है तथा महिलाएं और आम लोग असुरक्षित हैं। इसलिए सभी को आगे आकर प्रदेशव्यापी बंद को समर्थन देना चाहिए। कांग्रेस के इस बंद को लेकर पीसीसी चीफ दीपक बैज ने वरिष्ठ नेताओं और पदाधिकारियों की बैठक ली थी।
इस मीटिंग में तय हुआ था कि सभी शांतिपूर्ण ढंग से अपने-अपने क्षेत्रों में बंद करवाने के लिए निकलेंगे। पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता अपने गृह जिला, क्षेत्रों में बंद की अपील व्यापारिक संगठनों और आम जनता से करेंगे। कांग्रेस पार्टी ने सभी व्यापारिक संगठनों को लेटर लिखकर बंद का समर्थन करने का आग्रह किया है।
चेंबर ने बंद को समर्थन न देने की बताई ये वजह
प्रदेशव्यापी बंद के लिए कांग्रेस ने व्यापारिक संगठन छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स को भी पत्र लिखा था। इसमें बंद को समर्थन देने की अपील की गई थी। कांग्रेस की ओर से भेजे गए इस पर शुक्रवार शाम चेंबर के प्रदेश अध्यक्ष अमर पारवानी, महामंत्री अजय भसीन, कोषाध्यक्ष उत्तम गोलछा, कार्यकारी अध्यक्ष राजेन्द्र जग्गी ,विक्रम सिंहदेव, राम मंधान और मनमोहन अग्रवाल ने एक बयान जारी किया।
व्यापारियों का होता है आर्थिक नुकसान
इसमें बंद को समर्थन देने में असमर्थता जताई गई है। चेंबर का कहना है कहा कि बंद की सूचना देर से मिली है। बंद के समर्थन पर फैसला करने के लिए कार्यकारिणी की बैठक बुलाना संभव नहीं है। इस वजह से बंद को समर्थन नहीं दिया जा सकता। चेंबर पदाधिकारियों का कहना है कि चेंबर से प्रदेश के छोटे-छोटे व्यापारी, रेहड़ी पटरी वाले कारोबारी तथा व्यापारिक संगठन जुड़े हुए हैं। ये लोग फल-सब्जी, दूध एवं अन्य कच्चे सामान का व्यवसाय करते हैं। बिना पूर्व सूचना के आकस्मिक बंद होने से ऐसे व्यापारियों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। इतने कम समय में बिना पूर्व सूचना तथा व्यापारिक संघों के साथ बैठक बिना छत्तीसगढ़ बंद का समर्थन करने में चेंबर असमर्थ है।