छत्तीसगढ़ की नई पहचान... नक्सलवाद से उभरकर विकास और शांति का मॉडल बन रहा बस्तर

बस्तर ने नक्सलवाद से उबरकर विकास और शांति की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। अब यह क्षेत्र केंद्र और राज्य की सरकारी योजनाओं, स्कूलों, मोबाइल नेटवर्क और परिवहन की सुविधाओं से जुड़ा हुआ है। बस्तर की नई पहचान अब विकास और समृद्धि से जुड़ी है।

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The Sootr
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Photograph: (The Sootr)

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RAIPUR. जब नीतियां अच्छी हों, सोच सकारात्मक हो और अवाम के लिए कुछ करने का जज्बा हो तो तरक्की कदम चूमती है। कुछ यही हुआ है छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल में। कभी लाल आतंक का गढ़ माना जाने वाला बस्तर अब शांति, विकास और नवचेतना की मिसाल बन रहा है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की निर्णायक नीति और केंद्र सरकार के सहयोग से बस्तर अब नए युग में प्रवेश कर चुका है। आज यह क्षेत्र सिर्फ संघर्ष की नहीं, बल्कि समावेशी विकास, पर्यटन, शिक्षा और सुशासन की गाथा लिख रहा है। 

शांति की नींव पर टिका नया बस्तर

बस्तर अब बंदूक नहीं, विकास की बात कर रहा है। वर्षों तक नक्सलवाद की त्रासदी झेल चुके इस क्षेत्र ने अब नए सफर की शुरुआत की है। केंद्र और राज्य सरकार की योजनाएं उन गांवों तक पहुंच रही हैं, जहां कभी सुरज की रोशनी से ज्यादा नक्सली साया छाया रहता था। गांवों में स्कूलों की घंटी, मोबाइल नेटवर्क की घंटी और बसों के हॉर्न अब बस्तर की नई पहचान बन चुके हैं।

अबूझमाड़ तक पहुंची बस सेवा 

13 मई 2025 को इतिहास रचते हुए नारायणपुर जिले के कुतुल गांव तक बस सेवा शुरू की गई। यह वह इलाका है, जो कभी देश का सबसे दुर्गम और नक्सल प्रभावित इलाका माना जाता था। अबूझमाड़ के कोडलियर, बासिंग, कुंदला, कच्चापाल जैसे दर्जनों गांवों को जोड़ने वाली यह बस सेवा, सिर्फ आवागमन का साधन नहीं बल्कि लोगों के जीवन में आत्मविश्वास का नया द्वार है।

बैंकिंग सेवाएं अब गांव की चौखट पर

बस्तर के पामेड़ में ग्रामीण बैंक की शाखा का उद्घाटन मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा वर्चुअल माध्यम से किया गया है। अब यहां के ग्रामीणों को बैंकिंग से जुड़े कामों के लिए 100 किलोमीटर दूर नहीं जाना पड़ता। पचास से ज्यादा गांवों को लाभ मिलने के साथ ही योजनाओं की राशि सीधे खाते में मिल रही है। यह पहल बस्तर को वित्तीय समावेशन के नक्शे पर मजबूती से स्थापित कर रही है।

जंगलों में लगे मोबाइल टॉवर 

बीजापुर जिले के अंबेली गांव में मोबाइल टावर की स्थापना ने इतिहास रच दिया है। अब उसकापटनम, करकेली, टुंगेली जैसे गांवों के लोगों को मोबाइल नेटवर्क की सुविधा मिल रही है। यह तकनीकी जुड़ाव तो है ही, यह बस्तर को डिजिटल इंडिया की मुख्यधारा से जोड़ने का बड़ा कदम है।

दूसरा, सबसे खास यह है कि बस्तर में वह दिन लौट आया है जब बच्चे अ से अनार और क से कबूतर बोलते सुनाई दे रहे हैं। बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर जैसे जिलों में बंद पड़े कई स्कूल फिर खुल गए हैं। जानकारी के अनुसार, बीजापुर में 34, सुकमा में 5 और नारायणपुर में 2 स्कूलों की दोबारा शुरुआत हुई है। यह शिक्षा के माध्यम से बस्तर के उज्ज्वल भविष्य की नींव रख रही है।

पर्यटन में छिपी संभावनाओं की उड़ान

बस्तर के जंगल अब डर नहीं, रोमांच का पर्याय बन चुके हैं। कांगेर घाटी नेशनल पार्क में प्रकृति और संस्कृति का अद्वितीय संगम देखने को मिल रहा है। बम्बू राफ्टिंग, कयाकिंग, होम स्टे और साइकलिंग जैसे प्रयोगों ने बस्तर को पर्यटन का केंद्र बना दिया है। पिछले तीन वर्षों में यहां पर्यटकों की संख्या 92 हजार से बढ़कर 2 लाख के पार चली गई है। 

भोंगापाल में नौका विहार 

ऐसे ही कोंडागांव जिले के भोंगापाल गांव में महालक्ष्मी महिला स्वसहायता समूह द्वारा संचालित बांस नौका विहार केंद्र शुरू किया गया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने खुद इसका शुभारंभ किया और महिलाओं से संवाद कर उनकी भागीदारी की सराहना की। इस केंद्र ने गांव को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की नई राह दिखाई है।

धूड़मारास गांव के होम स्टे में ठहरकर पर्यटक बस्तरिया व्यंजनों का स्वाद ले रहे हैं। स्थानीय संस्कृति से रूबरू हो रहे हैं। यहां की सादगी, प्राकृतिक सौंदर्य और जनजातीय जीवनशैली ने पर्यटकों को गहराई से प्रभावित किया है। यह मॉडल बस्तर के आर्थिक सशक्तिकरण का अहम हिस्सा बन रहा है।

विकास का संकल्प और सुशासन का संदेश

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बस्तर के लिए जो दृष्टि दिखाई है, वह न सिर्फ नक्सलवाद पर निर्णायक प्रहार है, बल्कि यह क्षेत्रीय असंतुलन को समाप्त कर समावेशी विकास की मिसाल है। उनकी योजनाएं जन में विश्वास और शासन में संवेदना की परिभाषा बन चुकी हैं। बस्तर अब लाल आतंक की नहीं, हरियाली, संस्कृति और विकास की धरती के रूप में उभर रहा है।

इसे लेकर मुख्यमंत्री साय कहते हैं, सुशासन से बस्तर में परिवर्तन की बयार बह रही है।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में बस्तर तेजी से विकास की ओर अग्रसर है। पिछले दिनों उन्होंने यहां 49 हजार करोड़ रुपए की बोधघाट और इंद्रावती-महानदी रिवर इंटरलिंकिंग परियोजनाओं पर बात की थी। इन परियोजनाओं से 7 लाख हेक्टेयर जमीन को सिंचित होगी। बिजली उत्पादन, पेयजल, मत्स्य पालन और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

सीएम का कहना है कि बस्तर संभाग के जिन क्षेत्रों में बंदूक की गोली की आवाज आती थी, वहां नियद नेल्ला नार योजना से अब स्कूल की घंटियों की आवाज आती है। इस महत्वपूर्ण योजना से अब लोगों को सारी मूलभूत सुविधाएं पहुंचाई जा रही है।

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