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छत्तीसगढ़ में योजनाओं के असर से बस्तर संभाग के दूर-दराज और नक्सल प्रभावित इलाकों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंच रही हैं। लंबे समय तक पिछड़े माने जाने वाले बस्तर में अब अस्पतालों से लेकर गांव-गांव तक इलाज और जांच की सुविधाएं लोगों को घर बैठे मिल रही हैं। राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (NQAS), राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन अभियान और मलेरिया मुक्त अभियान जैसे प्रयासों ने इस बदलाव को और मजबूत किया है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का कहना है कि बस्तर जैसे क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना सरकार की प्राथमिकता है।
यहां के डॉक्टरों, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की मेहनत से ही ये नतीजे देखने को मिल रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने भी कहा कि सरकार का मकसद छत्तीसगढ़ के हर कोने में बेहतर इलाज और सुविधाएं पहुंचाना है। बस्तर में घर-घर जाकर मलेरिया की जांच, तुरंत इलाज और जागरूकता अभियान के जरिए बीमारी पर काबू पाया जा रहा है।
क्वालिटी सर्टिफिकेशन में बस्तर की बड़ी उपलब्धि
राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (NQAS) के तहत बस्तर संभाग में 1 जनवरी 2024 से 16 जून 2025 तक कुल 130 स्वास्थ्य संस्थानों को क्वालिटी सर्टिफिकेट मिला है। इसमें एक जिला अस्पताल, 16 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 113 उप स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं। इसके अलावा 65 और संस्थाएं जल्द ही सर्टिफाई होंगी।
खास बात यह है कि नक्सल प्रभावित कांकेर, बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा में भी 14 संस्थानों को गुणवत्ता प्रमाण-पत्र मिला है। यह दिखाता है कि अब दुर्गम इलाकों में भी इलाज की गुणवत्ता सुधर रही है।
आयुष्मान योजना से हजारों को मिला इलाज
नियद नेल्लानार योजना के तहत बस्तर संभाग में 62,466 नए राशन कार्ड बनाने का लक्ष्य रखा गया है। एक साल में ही 36,231 आयुष्मान कार्ड पंजीकृत किए जा चुके हैं। बस्तर के पांच जिलों में अब तक 52.6% आयुष्मान कार्ड बन चुके हैं। इनके जरिए 6,816 लोगों को मुफ्त इलाज का लाभ मिला है और 8 करोड़ 22 लाख रुपये के क्लेम किए गए हैं।
डॉक्टरों की भर्ती से और मजबूत हुआ सिस्टम
सरकार ने बीते डेढ़ साल में बस्तर संभाग में डॉक्टरों की भर्ती की है। इसमें 33 मेडिकल स्पेशलिस्ट, 117 मेडिकल ऑफिसर और एक डेंटल सर्जन तैनात किए गए हैं। साथ ही राज्य स्तर से 75 और जिला स्तर से 307 स्टाफ व प्रबंधकीय पदों पर भर्ती पूरी हो चुकी है। 291 और पदों पर भर्ती की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। इन नियुक्तियों से इलाज की सुविधा गांव-गांव तक पहुंच रही है।
नक्सल प्रभावित इलाकों तक इलाज की पहुंच
बस्तर संभाग के कांकेर, बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में भी अब बेहतर अस्पताल और क्वालिटी स्वास्थ्य सेवा मिल रही है। यह मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के सुशासन का असर है कि अब इन इलाकों में भी लोगों को बिना किसी डर और मुश्किल के इलाज मिल रहा है। बस्तर में स्वास्थ्य सेवाओं का यह विस्तार सिर्फ इलाज तक सीमित नहीं है। यह बदलाव स्थानीय लोगों के जीवन स्तर को भी ऊपर उठा रहा है।
मलेरिया को मात दे रहा छत्तीसगढ़
इसी के साथ छत्तीसगढ़ सरकार ने बस्तर संभाग जैसे दुर्गम, आदिवासी और संवेदनशील क्षेत्र में मलेरिया नियंत्रण के क्षेत्र में ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। अब यह मॉडल पूरे प्रदेश के काम आएगा। राज्य सरकार द्वारा चलाए गए मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान की बदौलत बस्तर में मलेरिया दर में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई है। वर्ष 2015 में जहां बस्तर का वार्षिक परजीवी सूचकांक (API) 27.4 था, वहीं वर्ष 2024 में यह घटकर मात्र 7.11 रह गया है। यही नहीं, बस्तर में मलेरिया दर 4.60% से घटकर अब मात्र 0.46% पर आ गई है।
राज्य स्तर पर भी तस्वीर उल्लेखनीय रूप से बदली है। पूरे छत्तीसगढ़ में मलेरिया के मामलों में 72 प्रतिशत की गिरावट आई है। वर्ष 2015 में राज्य का API 5.21 था, जो अब घटकर 0.98 रह गया है। 2023 की तुलना में 2024 में मलेरिया मामलों में 8.52 प्रतिशत की और कमी दर्ज की गई है, जो बताता है कि यह गिरावट केवल अतीत का परिणाम नहीं, बल्कि लगातार सक्रिय प्रयासों का नतीजा है।
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