बस्तर के नक्सल प्रभावित लोगों ने जंतर मंतर पर जताया विरोध, सरकार कर रही माओवादियों पर नियंत्रण का दावा

नक्सल प्रभावित लोग दिल्ली के जंतर मंतर पर बैठे हैं। ये वे लोग हैं, जो नक्सल आतंक की पीड़ा झेल रहे हैं। किसी ने पैर गंवाया है तो किसी का हाथ नहीं है। वे अपना दर्द उस सरकार को बताना चाहते हैं, जो अगले दो साल में नक्सलवाद के खात्मे का दावा कर रही है।

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Arun tiwari
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रायपुर. एक तरफ छत्तीसगढ़ सरकार नक्सल पर नियंत्रण का दावा कर रही है तो दूसरी तरफ नक्सल प्रभावित लोग दिल्ली के जंतर मंतर पर बैठे हैं। ये वे लोग हैं जो नक्सल आतंक की पीड़ा झेल रहे हैं। किसी ने पैर गंवाया है तो किसी का हाथ नहीं है।

नक्सली धमाकों ने इनको बेसहारा और विकलांग कर दिया है। अब ये लोग इंसाफ मांगने जंतर मंतर पहुंचे हैं। आए दिन नक्सलियों के नरसंहार की खबरें सामने आ रही हैं। जनअदालत लगाकर आम लोगों को मौत के घाट उतारा जा रहा है। अब सवाल यही पैदा होता है कि क्या यही नक्सल पर नियंत्रण है। 

जंतर मंतर पर बैठे नक्सली पीड़ित 

मैं खामोश बस्तर हूं, आज बोल रहा हूं। नक्सलियों से पीड़ित बस्तर के लोग दिल्ली के जंतर मंतर पर बैठे हैं। उनके पीछे लगा ये बोर्ड बता रहा है कि अब बस्तर खामोश नहीं बल्कि बोलने वाला बन गया है। दशकों से नक्सलियों का आतंक झेल रहे ये लोग अब आजिज आ चुके हैं।

इन लोगों को ध्यान से देखेंगे तो किसी का पैर नहीं है तो किसी का हाथ नहीं है। यह हाथ और पैर इन लोगों ने नक्सलियों के धमाकों से ही गंवाए हैँ। जंतर मंतर पर बैठी राधा पढ़ाई करती है। ये भी नक्सलियों के धमाकों में दिव्यांग हो चुकी है। राधा आईपीएस बनना चाहती है ताकि वो नक्सलियों का खात्मा कर सके। 

आखिर हमारा क्या कसूर 

ये लोग पूछ रहे हैं कि आखिर मेरा क्या कुसूर है। हाथों में रखे इनके बोर्ड इनकी दर्द भरी दासतां और मन में भरे गुस्से को दिखाने के लिए काफी हैं। नक्सल आतंक से आजिज आ चुक इन लोगों के सब्र का बांध अब टूट गया है। ये लोग दिल्ली में राष्ट्रपति से मिलना चाहते हैं।

वे अपना दर्द उस सरकार को बताना चाहते हैँ जो अगले दो साल में नक्सलवाद के खात्मे का दावा कर रही है। नक्सलियों के आए दिन हो रहे धमाके यहां के लोगों को विकलांग कर रहे हैं। जन अदालत लगाकर निर्दोष लोगों की हत्या की जा रही है।

अब इनको इंसाफ चाहिए, आतंक से मुक्ति चाहिए।  यहां बैठे महादेव कहते हैं कि उनका क्या कुसूर था जो वे अपना पैर गंवा चुके हैं। उन्हें इस आतंक से मुक्ति आखिर कब मिलेगी। 

सरकार कर रही नक्सलियों पर नियंत्रण का दावा 

 सरकार नक्सलियों पर नियंत्रण का दावा करती है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अगले दो साल में नक्सलियों का नामोनिशान मिटाने की बात करते हैं। नई सरेंडर पॉलिसी लाकर नक्सलियों से सरेंडर करने की अपील की जा रही है। नक्सल फ्रंट पर सरकार आंकड़े दिखाकर अपनी पीठ थपथपा रही है।

 गृहमंत्री विजय शर्मा हिड़मा के गांव में जाकर ये बताने की कोशिश कर रहे हैं अब सब कुछ ठीक हो रहा है। सरकार कितना भी दावा करे लेकिन क्या बस्तर के इन लोगों की तस्वीरें और राधा और महादेव की बातें सरकार के दावों को मुंह नहीं चिढ़ा रहीं।

सवाल गंभीर है और नक्सलियों पर कार्रवाई के साथ साथ इन लोगों की चिंता भी गंभीरता से होनी चाहिए। इनकी बात एकदम सही है कि आखिर इनका क्या कसूर है।

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