मलेरिया को मात दे रहा छत्तीसगढ़, बस्तर से निकला सफलता का मॉडल, अब 21 जिलों तक पहुंचा अभियान

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के तहत बस्तर में मलेरिया दर में भारी गिरावट आई है। अब मलेरिया दर 4.60% से घटकर 0.46% पर आ गई।

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Photograph: (THESOOTR)

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 RAIPUR. छत्तीसगढ़ (CG ) सरकार ने बस्तर संभाग जैसे दुर्गम, आदिवासी और संवेदनशील क्षेत्र में मलेरिया नियंत्रण के क्षेत्र में ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। अब यह मॉडल पूरे प्रदेश के काम आएगा। 

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा चलाए गए मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान की बदौलत बस्तर में मलेरिया दर में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई है। वर्ष 2015 में जहां बस्तर का वार्षिक परजीवी सूचकांक (API) 27.4 था, वहीं वर्ष 2024 में यह घटकर मात्र 7.11 रह गया है। यही नहीं, बस्तर में मलेरिया दर 4.60% से घटकर अब मात्र 0.46% पर आ गई है।

राज्य स्तर पर भी तस्वीर उल्लेखनीय रूप से बदली है। पूरे छत्तीसगढ़ में मलेरिया के मामलों में 72 प्रतिशत की गिरावट आई है। वर्ष 2015 में राज्य का API 5.21 था, जो अब घटकर 0.98 रह गया है। 2023 की तुलना में 2024 में मलेरिया मामलों में 8.52 प्रतिशत की और कमी दर्ज की गई है, जो बताता है कि यह गिरावट केवल अतीत का परिणाम नहीं, बल्कि लगातार सक्रिय प्रयासों का नतीजा है।

मुख्यमंत्री ने जताई खुशी 

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मलेरिया नियंत्रण की इस उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा, बस्तर जैसे क्षेत्र में मलेरिया नियंत्रण में मिली सफलता हमारे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की मेहनत का प्रमाण है। मुख्यमंत्री ने मलेरिया नियंत्रण की इस सफलता को सामूहिक प्रयास करार देते हुए स्थानीय प्रशासन और जनता का आभार जताया।

घर-घर तक पहुंच, कई उपाय किए 

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा, सरकार का लक्ष्य पूरे छत्तीसगढ़ को मलेरिया मुक्त बनाना है। इस दिशा में लगातार प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के तहत मच्छरदानी वितरण, घर-घर जाकर जांच, त्वरित उपचार और जागरूकता अभियान जैसे उपायों को योजनाबद्ध तरीके से लागू किया गया है। वर्ष 2024 में इस अभियान के 10वें और 11वें चरणों में विशेष निगरानी और उपचार कार्यों को अधिक बल दिया गया।

साय सरकार मलेरिया मुक्त अभियान को विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO और राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम मतलब, NVBDCP के दिशा-निर्देशों के हिसाब से चला रही है। नीति आयोग और यूएनडीपी ने इस अभियान की सराहना करते हुए इसे देश के आकांक्षी जिलों में लागू सर्वश्रेष्ठ मॉडल में से एक बताया है।

सामने नहीं आते थे लक्षण 

गौरतलब है कि मलेरिया नियंत्रण में क्रांतिकारी परिवर्तन की शुरुआत मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान से हुई थी। दिसंबर 2020 और जनवरी 2021 में बस्तर और सरगुजा संभाग के 2309 गांवों में लगभग 15 लाख 70 हजार लोगों की मलेरिया जांच की गई थी। 

अभियान के दौरान यह सामने आया कि बस्तर संभाग में 57 से 60 प्रतिशत मलेरिया मरीजों में कोई लक्षण नहीं थे। यह अलाक्षणिक मलेरिया समुदाय में संक्रमण के साइलेंट कैरियर के रूप में सक्रिय रहता है, जिससे नियमित निगरानी में ये मरीज पकड़ में नहीं आते। इस पहलू को गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे  मरीजों का भी उपचार किया।

इस तरह अभियान में मिली सफलता 

इस अभियान के दूसरे और तीसरे चरण में कोविड-19 के लक्षणों वाले व्यक्तियों की स्क्रीनिंग की गई थी, जिससे यह स्वास्थ्य पहल और भी व्यापक बन गई। अब चौथे चरण में यह स्कीनिंग जारी है। साथ ही जिन उपस्वास्थ्य केंद्रों में API एक से ज्यादा पाया गया है, वहां के सभी गांवों में करीब 34 लाख मेडिकेटेड मच्छरदानियों बांटी गई हैं। घर-घर जाकर मच्छर पनपने वाली जगहों को चिन्हित करके उन्हें खत्म किया गया, जिससे संक्रमण के स्रोतों पर सीधा वार हुआ।

20 लाख से ज्यादा लोगों की होगी जांच 

बस्तर और सरगुजा में सफलता को देखते हुए सरकार ने अब मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान को बाकी जिलों में भी विस्तार देने का फैसला लिया है। 25 जून 2024 से अभियान को 9 नए जिलों में शुरू किया गया है। इसमें सरगुजा संभाग के सभी पांच जिले, बिलासपुर संभाग के चार जिले मुंगेली, कोरबा, रायगढ़ और गौरेला, पेंड्रा मरवाही, दुर्ग संभाग के तीन जिले बालोद, कबीरधाम और राजनांदगांव व रायपुर संभाग के दो जिले धमतरी और गरियाबंद शामिल हैं। इस विस्तार के साथ ही यह अभियान राज्य के 21 जिलों तक पहुंच गया है। अब कुल 20 लाख 29 हजार लोगों की जांच की जाएगी।

देश के सामने नया मॉडल 

कुल मिलाकर कहें तो बस्तर मॉडल की सबसे बड़ी सफलता यह रही कि उसने केवल उपचार पर नहीं, बल्कि रोकथाम, जागरूकता और समुदाय की सक्रिय भागीदारी पर भी समान रूप से बल दिया। स्वास्थ्यकर्मियों ने घर-घर जाकर मलेरिया की स्क्रीनिंग की। जागरूकता फैलाने, स्वच्छता के महत्व को समझाने और मच्छर नियंत्रण के उपायों को घर-घर तक पहुंचाने का काम किया।

यह सफलता बताती है कि यदि सरकार, समाज और स्वास्थ्य संस्थाएं मिलकर काम करें तो चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में भी संक्रामक रोगों पर काबू पाया जा सकता है। बस्तर से निकला यह मलेरिया मुक्ति मॉडल अब देश के लिए नया रोडमैप बनकर सामने है।

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