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सीनियर आईएएस सुबोध कुमार सिंह Photograph: (the sootr)
RAIPUR. वो कहते हैं कि राइट पर्सन इन राइट पॉजिशन एण्ड राइट टाइम... बस यही लब्बोलुआब है इस खबर का। सरकारी तंत्र की मनमानी के चलते विपक्ष और मीडिया के निशाने पर आई छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार अब पटरी पर आने लगी है। इसकी सबसे बड़ी वजह हैं सीनियर आईएएस सुबोध सिंह।
सीएम सचिवालय में प्रमुख सचिव सुबोध सिंह ने चार महीने में अफसरशाही के ढर्रे पर लगाम कस दी है। अपने काम से उन्होंने ब्यूरोक्रेसी को संदेश दिया है कि अब वो मनमानी नहीं चलेगी, जो डेढ़ बरस से जारी थी।
गौरतलब है कि भूपेश बघेल सरकार की विदाई के बाद बीजेपी सत्ता में आई। अफसरों का कॉकस था। विष्णुदेव साय के मुख्यमंत्री बनने के बाद बड़ी प्रशासनिक सर्जरी नहीं हुई थी। सरकार सिंगल-डबल ऑर्डर जारी कर काम चला रही थी। इसी के चलते आरोप थे कि छोटे बदलाव के साथ पुरानी व्यवस्था जस की तस है।
इसके बाद शुरू हुई नई कहानी। मुख्यमंत्री ने दिल्ली से सख्त अफसर को छत्तीसगढ़ बुलाया। केंद्र की प्रतिनियुक्ति के बाद सुबोध सिंह जब रायपुर पहुंचे। खास यह रहा कि वे एयरपोर्ट से सीधे मंत्रालय पहुंचे और अपनी आमद दर्ज कराई। उनके इस काम से ब्यूरोक्रेसी में मैसेज साफ हो गया था कि अब कुछ बड़ा होने वाला है।
कलेक्टरों ने काम नहीं किया तो समझो छुट्टी
सुबोध सिंह ने हाल ही में सभी कलेक्टरों को चिट्ठी लिखकर कहा है कि अटल सेवा पोर्टल के जरिए उनके कामकाज की मॉनीटरिंग होगी। परफॉर्मेंस की रैंकिंग की जाएगी। सरकार का फोकस आयुष्मान कार्ड, कृषि विभाग, पीएम श्री स्कूल, पीएम आवास योजना शहरी और ग्रामीण, स्वास्थ्य विभाग, महतारी वंदन और स्वामित्व योजना पर होगा। अब कलेक्टरों को पोर्टल में अपडेट कर बताना होगा कि वे जनता के लिए कितना काम कर रहे हैं। प्रशासन की भूमिका को तय करने से पहले प्रमुख सचिव ने प्रदेश में अधिकारियों की जिम्मेदार टीम भी बनाई है।
पिछले महीने बड़ी प्रशासनिक सर्जरी
1997 बैच के आईएएस सुबोध सिंह शांत स्वभाव के हैं। मेहनती खूब हैं। वे सीधी बात करते हैं। रायपुर में आमद देने के दो महीने बाद जब वे पूरी व्यवस्था को समझ गए तो अपना काम शुरू किया। 40 से ज्यादा आईएएस और करीब इतने ही आईपीएस अधिकारियों की जिम्मेदारी में बड़ा बदलाव किया। जिन अफसरों का परफॉर्मेंस अच्छा था, उन्हें और बड़ी जिम्मेदारी दी गई। कमजोर अधिकारियों को लूप लाइन में भेजा गया।
विवादों में रहे पाठक को शिक्षा विभाग से हटाया
विवादों में रहने वाले आईएएस जनक प्रसाद पाठक को आयुक्त शिक्षा से हटाकर वन विभाग में विशेष सचिव बना दिया। अवनीश शरण को नगर तथा ग्राम निवेश के साथ खस्ता हाल गृह निर्माण मंडल के आयुक्त की जिम्मेदारी दी, ताकि वे उसका भला कर सकें। खनिज राज्य का महत्वपूर्ण विभाग है, यहां 2012 बैच के आईएएस रजत बंसल को संचालक खनिज के साथ खनिज निगम का एमडी बनाया गया।
पूर्व सरकार में जनसंपर्क आयुक्त रहे तारण सिन्हा पर भरोसा कर उन्हें मनरेगा में आयुक्त और पीएम आवास का संचालक बनाया। राज्य सरकार के प्रमुख दस विषयों में एक कृषि विभाग से सारांश मित्तर को मुक्त कर मुंगेली में कलेक्टर रहे राहुल देव को इस विभाग की जिम्मेदारी दी। ऐसे ही एनआरएचएम में डॉ.प्रियंका शुक्ला को संचालक बनाया। आईएएस जनक पाठक से नाराज सरकार ने उनसे शिक्षा विभाग लेकर शिखा राजपूत को दे दिया।
अच्छे काम का इनाम, कमजोरी पर लूपलाइन
इस वक्त साय सरकार नया रायपुर के विकास पर खासा जोर दे रही है। इसके चलते 2009 बैच के आईएएस सौरभ कुमार से अतिरिक्त प्रभार लेकर उन्हें केवल एनआरडीए के सीईओ का दायित्व दिया है। इस सर्जरी में कुछ कलेक्टर भी हटा दिए गए। इनका फीडबैक ठीक नहीं आया था। खैरागढ़ छुईखदान गंडई के कलेक्टर चंद्रकांत वर्मा को अब संचालक पशु चिकित्सा बनाया गया है। आयुष की संचालक इफ्फत आरा को रायपुर और दुर्ग संभाग का अपर आयुक्त बनाया गया, जो विशुद्ध रूप से लूप लाइन है। भूपेश बघेल सरकार में इफ्फत आरा सूरजपुर की कलेक्टर रह चुकी हैं। इसके आलावा वे पर्यटन मंडल की एमडी भी रहीं।
पीएस सुबोध सिंह की निगरानी हुए इस बड़े फेरबदल में 11 जिलों के कलेक्टर परफॉर्मेंस के आधार पर बदले गए। आईएएस सर्वेश्वर भूरे को निर्वाचन आयोग से निकल कर राजनांदगांव का कलेक्टर बनाया गया। संजय अग्रवाल को वहां से बड़े और महत्वपूर्ण जिले बिलासपुर भेजा है। गरियाबंद के कलेक्टर बनाए गए भगवान सिंह उइके अपर कलेक्टर से प्रमोट हुए। इसी तरह कुणाल दुदावत को कोंडागांव से बड़े जिले दंतेवाड़ा भेजा।
अजातशत्रु की मुख्यधारा में वापसी
इसी तरह आईपीएस अधिकारियों में भी फेरबदल किए गए। जांजगीर चांपा के एसपी विवेक शुक्ला, दुर्ग एसपी जीतेन्द्र शुक्ला और सारंगढ़ के एसपी पुष्कर शर्मा खराब परफॉर्मेंस के चलते हटाए गए। सरगुजा, दुर्ग, बलौदाबाजार, धमतरी, खैरागढ़, सारंगढ़, बालोद, जांजगीर चांपा में नए अफसरों को कमान दी गई है। प्रदेश में बेहतर कानून व्यवस्था के लिए खुफिया तंत्र को मजबूत और सजग रहना जरूरी होता है, इसलिए प्रदेश के खुफिया चीफ अमित कुमार के सहयोग के लिए आईपीएस अधिकारी अजातशत्रु बहादुर सिंह को गुप्त वार्ता का उप महानिरीक्षक नियुक्त किया गया।
अजातशत्रु वो आईपीएस हैं, जिन्होंने पूर्व मंत्री राजेश मूणत के सीडी कांड में पत्रकार विनोद वर्मा को दिल्ली से गिरफ्तार किया था। विनोद वर्मा बाद में भूपेश बघेल के सलाहकार बने और अजातशत्रु को राजधानी से बाहर कर दिया गया। भाजपा के सत्ता में आने के लगभग डेढ़ साल बाद अजातशत्रु बहादुर सिंह की मुख्यधारा में वापसी हुई है।
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