सीमेंट कंपनी ने तैयार किए करोड़ों के बोगस बिल, मोपेड और ऑटो से सप्लाई कर दिया 25-25 मीट्रिक टन माल

सैकड़ों टन सीमेंट मोपेड,ऑटो और कार जैसे वाहनों से भेजना बताया गया। आप ही सोचिए क्या एक मोपेड या ऑटो में 25 मीट्रिक टन सीमेंट भेजी जा सकती है क्या। पढ़िए पूरा मामला....

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Arun tiwari
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रायपुर. छत्तीसगढ़ में एक सीमेंट कंपनी ने ऐसा कारनामा कर दिखाया, जो किसी फिल्मी कहानी सा लगता है। इस कंपनी ने न सिर्फ डीलर्स के साथ लाखों रुपए की ठगी की बल्कि जीएसटी विभाग को भी करोड़ों का चूना लगा दिया। यह सीमेंट कंपनी है नूवोको विस्टास कार्पोरेशन लिमिटेड।

इस कंपनी के छत्तीसगढ़ के बालोद में सीमेंट प्लांट हैं। यहीं से इस कंपनी का सीमेंट पूरे राज्य में सप्लाई होता है। इस कंपनी ने मार्केट में अपनी बढ़ी हुई सेल दिखाने के लिए करोड़ों के बोगस बिल बना दिए, जिसके नाम पर यह बिल फाड़े गए उन तक यह सीमेंट नहीं पहुंची। यानी कंपनी ने सैकड़ों टन सीमेंट मार्केट में बेच दी, लेकिन सिर्फ कागज पर ही ये बिक्री हुई। क्योंकि जिन डीलर्स के यहां यह माल भेजना बताया गया उन तक को यह पहुंचा ही नहीं।

हैरान करने वाली बात ये भी है कि ये सैकड़ों टन सीमेंट मोपेड,ऑटो और कार जैसे वाहनों से भेजना बताया गया। आप ही सोचिए क्या एक मोपेड या ऑटो में 25 मीट्रिक टन सीमेंट भेजी जा सकती है क्या। द सूत्र के पास ऐसे 70 से ज्यादा बिल हैं। क्या है ये पूरा कारनामा, आइए आपको बताते हैं। 

बोगस बिल से करोड़ों की बिक्री 

सीमेंट कंपनी नूवोको विस्टास कार्पोरेशन लिमिटेड का प्लांट बलौदा बाजार जिले के बालोद में है। यहां से छत्तीसगढ़ समेत अन्य राज्यों में सीमेंट की सप्लाई होती है। इस कंपनी ने अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए ऐसा कारनामा किया जो हैरान करने वाला है। इस कारनामे से बिक्री सिर्फ कागजों में बढ़ी, लेकिन कई डीलर्स से लाखों रुपए की ठगी कर ली गई।

द सूत्र ने जब इसकी पड़ताल की तो ठगी का ये पूरा ताना बाना सामने आ गया। छत्तीसगढ़ में सौ से ज्यादा डीलर्स ऐसे हैं जिनके नाम पर सीमेंट की बिक्री दिखाई गई। बालौद जय ट्रेडर्स के संचालक हैं अमित जैन। अमित इन डीलर्स में से एक हैं जो कंपनी को जीएसटी के नाम पर एडवासं पेमेंट कर अपने लाखों रुपए गंवा चुके हैं।

कंपनी ने इनके नाम पर बिल काटा और माल भेजना दिखा दिया। यह माल अमित को कभी मिला ही नहीं। द सूत्र के पास ऐसे 70 से ज्यादा बोगस बिल हैं जिसमें कभी 25 टन तो कभी 30 मीट्रिक टन सीमेंट भेजा गया।

यह सीमेंट यदि भेजा जाता तो ट्रक में जाता। लेकिन जब माल कागज पर ही भेजना तो बिल पर कभी मोपेड,कभी ऑटो, कभी कार तो कभी थ्री व्हीलर गाड़ियों का नंबर डाल दिया गया।

अब यह मुमकिन है क्या कि एक मोपेड 25 टन सीमेंट लादकर कंपनी से डीलर तक पहुंचा देगी जबकि इस पर 10_20 किलो वजन ही आ पाता है। 

ऐसे भेजी गई बोगस बिल पर सीमेंट 

आइए आपको सेंपल के तौर पर कुछ ऐसे बिल दिखाते हैं जिनसे ये साफ हो जाएगा कि ये बोगस बिल हैं। जिस वाहन पर सीमेंट भेजी गई हमने परिवहन विभाग से उसकी पड़ताल की।

इसमें सामने आया कि वो वाहन कौन सा है,उसकी क्षमता कितनी है। कुछ वाहन तो ऐसे हैं जो ब्लैक लिस्टेड हैं यानी कबाड़ बन चुके हैं उन पर भी सीमेंट भेजना दिखा दिया गया।

द सूत्र के पास सारे वाहनों के नंबर,बिल नंबर,बिल की तारीख सब कुछ उपलब्ध है। लेकिन हम दर्शकों और पाठकों तक साधारण भाषा और सामान्य तरीके से समझाने की कोशिश कर रहे हैं,इसलिए ज्यादा डीटेल नहीं दे रहे। 

इन वाहनों पर हुआ सीमेंट का परिवहन 

  •  टीवीएस की मोपेड पर 20 मीट्रिक टन सीमेंट भेजी गई। तारीख थी 30 जनवरी 2022
  •  13 अक्टूबर और 23 अक्टूबर 2021 को दो मोपेड पर 30_30 मीट्रिक टन सीमेंट का परिवहन किया गया। 
  •  टाटा एस गाड़ी जिसकी क्षमता 735 किलो वजन रखने की है उस पर कंपनी ने 25 मीट्रिक टन यानी 25 हजार किलो सीमेंट भरकर भेज दिया। तारीख थी 23 फरवरी 2021
  • मारुति स्विफ्ट में 22 मीट्रिक टन सीमेंट का परिवहन किया गया।
  • बजाज का थ्री व्हीलर वाहन जिसकी क्षमता 545 किलो है उस पर 25 मीट्रिक टन माल भेजा गया।
  • वो गाड़ियां जिनकी फिटनिस एक्सपायर हो गई हैं और वे ब्लैक लिस्टेड हैं उन पर भी 25 मीट्रिक टन सीमेंट भेजना बता दिया गया है।
  •  दो साल में इन गाड़ियों से डीलर के पास 2000 मीट्रिक टन सीमेंट भेजी गई जिसकी कीमत एक करोड़ रुपए से ज्यादा है जो कभी डीलर को मिली ही नहीं। 

पुलिस से लेकर हाईकोर्ट तक पहुंचा मामला 

इन डीलर्स ने इस कंपनी के छत्तीसगढ़ के कर्ताधर्ताओं पर पुलिस में शिकायत की है। इस शिकायत के बाद जिला मैनेजर गगन रहंगडाले,एरिया मैनेजर अमित वैद्य,छत्तीसगढ़ मैनेजर देवाशीष देव और सीएफए शशिभूषण शुक्ला के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।

इसके अलावा सीएम सचिवालय, सेबी, केंद्रीय वित्त मंत्री और इस कंपनी के मालिक के पास भी शिकायत भेजी है। मामला हाईकोर्ट में चल रहा है।

जीएसटी विभाग से भी इसकी शिकायत की गई है। साथ ही इस कंपनी से करोड़ों की जीएसटी वसूलने की मांग की है। कानून के अनुसार बोगस बिल बनाने पर दो सौ फीसदी जुमार्ना लगता है और पांच साल की जेल तक का प्रावधान है।

शेयर मार्केट में आर्टिफीशियल बूम बनाने की कोशिश 

जानकार कहते हैं कि इस तरह के कारनामें इसलिए किए जाते हैं ताकि शेयर मार्केट में आर्टीफीयल बूम और क्रेडीबिलिटी बनाई जा सके। जिसकी जितनी सेल होगी उसकी उतनी साख मार्केट में बनेगी। और इसी साख से उसके पास निवेशक अपना पैसा लगाने आएंगे। ये सारे मामले मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत भी आते हैं।

हमने जब इस बारे में सीमेंट कंपनी नूवोको विस्टास कार्पोरेशन लिमिटेड के छत्तीसगढ़ हेड बिजाय गोस्वामी से बात की तो उन्होंने इसे लीगल मेटर बताया। उन्होंने द सूत्र से कहा कि यह कानूनी मामला है और जो कुछ हुआ है वो उनके पोस्टेड होने के पहले की बात है इसलिए वे इस बारे में कुछ नहीं बता सकते। इस बारे में लीगल मेटर देखने वाले लोग ही बता पाएंगे। 

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