रायपुर. छत्तीसगढ़ सीएम विष्णुदेव साय सरकार ने धान किसानों को बड़ा झटका दिया है। छत्तीसगढ़ के किसानों को अब पानी में धान डूबने पर फसल का मुआवजा नहीं मिलेगा। सरकार ने बीमा की शर्तों में इसी साल से ये बड़ा बदलाव कर दिया है, लेकिन इसकी जानकारी किसानों को नहीं दी गई। पिछली साल तक डूब के कारण फसल बर्बाद होने पर किसानों को मुआवजा मिलता रहा है।
अब तो सर्वे भी नहीं हो रहा
सरकार ने खरीफ में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 10 फसलों को अधिसूचित किया है। इनमें धान, मक्का, कोदो, कुटकी, रागाी, सोयाबीन,मूंग और उड़द शामिल हैं। इन फसलों के बीमा के लिए आलग-अलग दर भी दर निर्धारित हैं। बीमा के लिए एग्रीकल्चन एंश्योरेंस कंपनी को जिम्मा सौंपा गया है। बारिश के इस सीजन में झमाझम बारिश हुई। खेत पानी में डूबे रहे। इससे खेत में फसल चौपट हो गई।
पहले बारिश की वजह से फसल डूबने पर बीमा राशि मिलती थी। पिछले सालों की तरह इस बार भी पानी में फसल डूबने पर किसानों ने बीमा मुआवजे की बात की, तब उन्हें पता चला कि इस क्लोज को बीमा की शर्तों में से हटा दिया गया है। यानी की पानी में फसल डूबने पर अब किसान बीमा राशि का क्लेम लेने के हकदार नहीं हैं। बीमा कंपनी अब सर्वे के लिए भी नहीं आ रही हैं।
सरकार के पास डाटा ही नहीं होगा
कृषि विभाग के इस सीनियर अफसर ने नाम छापने की शर्त पर बताया कि प्रदेश में डूब के कारण कितना नुकसान हुआ है, इसकी फिलहाल कोई जानकारी नहीं है। शासन स्तर पर इस तरह का कोई सर्वे अब तक नहीं कराया गया है। शासन स्तर से ही धान की फसल के लिए जलप्लावन को हटा दिया गया है।
बाकि की फसलों के लिए बीमा राशि मिलती रहेगी और उसी के लिए सर्वे कराया जाएगा। छत्तीसगढ़ में इस साल धान का रकबा 37 लाख हेक्टेयर को पार कर सकता है। वहीं, धान की फसल करने वाले किसानों की संख्या की 25 लाख को पार कर चुकी है।