सीएम बनाएंगे राशन कार्ड और हटाएंगे कब्जा तो क्या करेंगे कलेक्टर-एसपी

आम आदमी के जिन कामों के लिए टॅाप टू बॉटम सरकारी सिस्टम बना हुआ है, उन कामों को लेकर ही जनता सीएम के पास पहुंच रही है। किसी का राशन कार्ड नहीं बना, किसी की जमीन पर दूसरे का कब्जा है।

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Arun tiwari
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रायपुर. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सरकार की साख बढ़ाने और जनता को परेशानियों से निजात दिलाने के लिए जनदर्शन शुरू किया है। लेकिन नौकरशाही ही सरकार की साख पर बट्टा लगा रही है। आम आदमी के जिन कामों के लिए टॅाप टू बॉटम सरकारी सिस्टम बना हुआ है, उन कामों को लेकर ही जनता सीएम के पास पहुंच रही है।

किसी का राशन कार्ड नहीं बना, किसी की जमीन पर दूसरे का कब्जा है,किसी को पेंशन नहीं मिल रही तो किसी को पीएससी पास करने के बाद सात साल तक नौकरी नहीं मिली। ये वे काम हैं जो स्थानीय स्तर पर पूरे होते हैं और जिनको पूरा कराने की जिम्मेदारी जिले के कलेक्टर और एसपी की होती है तो फिर ये काम सीएम के पास क्यों आ रहे हैं। बड़ा और गंभीर सवाल है कि आखिर कलेक्टर और एसपी साहब कर क्या रहे है। विष्णु का सुशासन तो जिला स्तर पर ही कराह रहा है। 

उदाहरण नंबर एक : 



मां के निधन के बाद नहीं बना था नया राशन कार्ड

रायपुर जिले के ग्राम माठ के महेश भोभरे का मां के निधन के बाद पत्नी के नाम से राशन कार्ड नहीं बन पा रहा था। पिछले 27 जून को पहले जनदर्शन में उन्होंने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर अपनी इस समस्या की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने खाद्य विभाग को उनका राशन कार्ड बनाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री के निर्देश पर महेश के मुख्यमंत्री निवास से निकलने के पहले ही राशन कॉर्ड बन जाने की सूचना उन्हें मिल गई। है न हैरानी की बात। सीएम के निर्देश के बाद एक घंटे में राशन कार्ड बन गया जो एक साल से नहीं बन पा रहा था। यही काम सीएम करेंगे तो तहसीलदार साहब और कलेक्टर साहब क्या करेंगे। चूंकि यह एक गांव का मामला है तो हम आपको बताते हैं कि गांव से लेकर सीएम तक कितनी लंबी सरकारी चेन है। 

राशन कार्ड बनाने का काम सरपंच से शुरू होता है। सरपंच के बाद तहसीलदार। तहसीलदार के बाद एसडीएम। एसडीएम के बाद कलेक्टर, कलेक्टर के बाद एचओडी, एचओडी के बाद प्रमुख सचिव, प्रमुख सचिव के बाद मुख्य सचिव, मुख्य सचिव के बाद मंत्री और मंत्री के बाद मुख्यमंत्री। 

किसी भी काम के लिए सरकारी सिस्टम की इतनी लंबी चेन है। राशन कार्ड जैसा छोटा काम तो तहसील स्तर तक ही निपट जाना चाहिए था। ज्यादा से ज्यादा ये मामला कलेक्टर तक पहुंचता। लेकिन वाह रे सरकारी सिस्टम और इस सिस्टम में बैठे अफसर, जो मोटा वेतन और बड़ी सुविधाएं तो ले रहे हैं लेकिन जिसके टैक्स से वेतन मिलता है उसकी चिंता इनको नहीं है। सरकार तो पॉलिसी बनाती है लेकिन उनके क्रियान्वयन का जिम्मा तो इसी नौकरशाही के हवाले रहता है। 

सीएम साहब देखिए आपकी नौकरशाही आपकी साख और सुशासन पर किस तरह बट्टा लगा रही है। ये तो सिर्फ एक मामला था आइए आपको कुछ और मामले बताते हैं। 

उदाहरण नंबर दो 

युवती ने कहा सहायक अध्यापक में 7 साल से नहीं मिल रही नियुक्ति 

जनदर्शन में गुढ़ियारी से बबीता पांडे और उनके पिता आवेदन लेकर आए। उन्होंने बताया कि 7 साल पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए आदेश किया गया था। इसके बावजूद भी अब तक नियुक्ति नहीं हो पाई। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस प्रकरण की जांच उच्च शिक्षा विभाग से कराएंगे और नियमानुसार इस संबंध में शीघ्र कार्रवाई की जाएगी।

बबीता पांडे के साथ उनके पिता भी आए थे। पिता ने कहा कि मेरी बिटिया जूलॉजी विषय से पीएससी परीक्षा में शामिल हुई थी। 7 साल पहले रिजल्ट आया और बिटिया पास हुई। हमें बहुत उम्मीद थी कि शीघ्र ही नियुक्ति मिल जाएगी। हमने इसका इंतजार किया लेकिन नियुक्ति नहीं मिल पाई। हम लोग कोर्ट में भी गए। कोर्ट ने हमें राहत मिली लेकिन हमारे प्रकरण पर कार्रवाई नहीं हो सकी। 

उदाहरण नंबर तीन 

2 साल से पेंशन नहीं मिल रही

जनपद पंचायत धरसीवा से सेवानिवृत्ति कर्मचारी अब्दुल जमील जनदर्शन में पहुंचे। उन्होंने बताया कि 2 साल से उनका पेंशन प्रकरण लंबित है। मुख्यमंत्री ने इस संबंध में अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि पेंशन प्रकरणों का जल्द से जल्द निराकरण होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया कि उनकी पेंशन की दिक्कत अब दूर हो जाएगी। 

उदाहरण नंबर चार 

 किसान के खाते से फर्जी हस्ताक्षर कर निकाली रकम 

जनदर्शन कार्यक्रम में किसान ओम प्रकाश ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर बताया कि उसके सहकारी बैंक के खाते से फर्जी तरीके से न सिर्फ राशि निकाली गई है, बल्कि उनके नाम से फर्जी तरीके से केसीसी लोन भी निकाला गया है। मुख्यमंत्री ने किसान ओम प्रकाश की इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए बिलासपुर के कलेक्टर को तत्काल मामले की जांच कराने तथा दोषी के विरूद्ध सख्त कार्यवाही करने के साथ ही किसान को राशि वापस कराने के भी निर्देश दिए।

उदाहरण नंबर पांच 

सीएम से शिकायत के बाद हटा अवैध कब्जा 

राजधानी रायपुर से सटे सेजबहार के किसान मुख्यमंत्री  के जनदर्शन में अपनी समस्या लेकर आए थे। उन्होंने मुख्यमंत्री को बताया था कि उनके खेतों से लगे सरकारी जमीन पर कुछ लोग अतिक्रमण कर अवैध प्लाटिंग कर रहे हैं। इससे उनके खेत आने-जाने का रास्ता बंद हो गया है। गांव की जमीन पर बेजा कब्जा कर बेच रहे हैं और विरोध करने वालों को जान से मारने की धमकी दे रहे हैं।

उन्होंने मुख्यमंत्री से सरकारी भूमि को कब्जामुक्त कराने और अवैध कब्जाधारियों के आतंक से गांव को मुक्ति दिलाने का निवेदन किया था। सीएम के निर्देश पर एसडीएम, तहसीलदार और राजस्व अमले की टीम ने गांव पहुंचकर शासकीय भूमि को कब्जामुक्त करा लिया है। वहां अवैध रूप से बने मकानों को भी ध्वस्त किया गया है। इससे किसानों को अपने खेत आने-जाने का रास्ता वापस मिल गया है। पिछले पांच-छह सालों से अवैध कब्जे की वजह से खेतों में ट्रैक्टर, थ्रेसर, हार्वेस्टर ले जाने में बहुत दिक्कत होती थी। 



उदाहरण नंबर छह 

पिता ने डूबते बच्चे को बचाने में जान दी, पुत्र को नहीं मिली अनुकंपा नियुक्ति 

धरसींवा ब्लॉक से आए सुशील कुमार बंजारे ने मुख्यमंत्री को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने के लिए आवेदन देते हुए बताया कि वर्ष 2022 में शिक्षक दिवस के ही दिन उनके शिक्षक पिता ने खारुन नदी में डूबते बच्चे को बचाने कोशिश करते हुए असाधारण वीरता का प्रदर्शन किया, लेकिन दुर्भाग्य से उनकी मौत हो गई।

सुशील ने अपनी अनुकंपा नियुक्ति के लिए मुख्यमंत्री से आग्रह किया। उनकी बात को संवेदनशीलता के साथ सुनते हुए मुख्यमंत्री ने इस संबंध में शिक्षा विभाग के अधिकारियों को आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

जो शिकायतें सीएम तक पहुंची उनको जिला स्तर पर ही दूर हो जानी चाहिए थी। ये तो महज कुछ उदाहरण हैं, लेकिन इन उदाहरणों से अफसरों का आम आदमी के प्रति रवैया साफ समझा जा सकता है। सरकार यदि वाकई में सुशासन स्थापित करना चाहती है तो सीएम को नौकरशाही के इस सिस्टम को दुरुस्त करन पड़ेगा। वरना सीएम यदि इन छोटी छोटी समस्याओं को दूर करने में लगे रहे तो प्रदेश के विकास की योजनाएं कब बनेंगी।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय मुख्यमंत्री जनदर्शन कार्यक्रम छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय