किसने कहा कि कुछ शुभ चिंतकों ने हरा दिया चुनाव, इलाके के अफसर ही नहीं सुनते थे मेरी

पिछला विधानसभा हार चुके ये दिग्गज नेता कहते है कि उनके कुछ शुभचिंतकों ने चुनाव हरा दिया। वहीं इन्होंने नौकरशाह के रवैये पर भी कड़ी आपत्ति जताई। 

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Arun tiwari
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Chhattisgarh Congress leader TS Singhdeo the sootr
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रायपुर. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के एक बड़े नेता क्या चुनावी राजनीति से सन्यास लेंगे। ये सवाल इसलिए उठा रहा है क्योंकि उन्होंने अगला चुनाव न लड़ने की तरफ इशारा किया है। पिछला विधानसभा हार चुके ये दिग्गज नेता कहते है कि उनके कुछ शुभचिंतकों ने चुनाव हरा दिया। वहीं इन्होंने नौकरशाह के रवैये पर भी कड़ी आपत्ति जताई। 

सरकार में दूसरे नंबर के पद पर होते हुए भी विधानसभा क्षेत्र के अफसरों ने उनकी अनदेखी करने की नीति अपना रखी थी। कांग्रेस के दिग्गज नेता हैं पूर्व उपमुख्यमंत्री,पूर्व नेता प्रतिपक्ष, कांग्रेस के सीनियर लीडर और सरगुजा राजघराने के महाराज टीएस सिंहदेव। सिंहदेव ने द सूत्र से बातचीत में खुलकर अपने दिल की बातें कीं।  

अगला चुनाव न लड़ने का इशारा 

टीएस सिंहदेव ने द सूत्र से बातचीत में ये इशारा किया कि वे अगला विधानसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। सिंहदेव ने कहा कि वे तो साल 2018 का विधानसभा चुनाव भी नहीं लड़ना चाहते थे, लेकिन लोगों की अपेक्षाओं का सम्मान करते हुए चुनाव लड़ा। अगला चुनाव लड़ने पर संशय है। अभी तो साढ़े चार साल का वक्त है। उम्र भी 75 पार हो जाएगी और फिर शरीर कितना साथ देता है यह उस पर निर्भर करता है। उस वक्त क्या परिस्थिति होती है और जन अपेक्षाएं क्या कहती हैं। यह सब अगले चुनाव लड़ने या न लड़ने का फैसला करेगा। 

शुभचिंतकों ने हरा दिया चुनाव 

सिंहदेव ने पहली बार अपने चुनाव हारने का कारण द सूत्र के साथ साझा किया। सिंहदेव ने कहा कि पहला कारण तो मैं खुद को मानता हूं। मैं जनता को शायद उतना वक्त नहीं दे पाया जितना उनकी उम्मीद थी। उपमुख्यमंत्री होने के कारण प्रशासनिक कामों में उलझा रहा और दिल्ली का दौरा भी बढ़ गया। यही कारण रहा कि जनता से दूर हो गया। सिंहदेव ने दूसरा कारण अपने शुभचिंतकों को बताया। जाहिर है उनका इशारा कांग्रेस के बड़े नेता की तरफ ही था। उन्होंने कहा कि उनके शुभचिंतक नहीं चाहते थे कि वे चुनाव जीतें और उनकी चुनाव हराने में उनकी भूमिका से भी इनकार नहीं किया जा सकता। 

इलाके के अफसरों का रवैया आपत्तिजनक 

सिंहदेव ने कहा कि उपमुख्यमंत्री होने के बाद भी उनके विधानसभा क्षेत्र के अफसरों का रवैया हमेशा असहयोग का रहा। ऐसा लगता था जैसे उनसे किसी ने मुझे सहयोग न करने का कह दिया हो। जिले के प्रमुख अफसरों को प्रोटोकॉल के तहत मेरे पास आना चाहिए था। मेरे हिसाब से मेरे क्षेत्र का काम होना चाहिए था लेकिन वे लगातार मेरी अनदेखी करते रहे। 



मैंने कभी नहीं कहा मैं ढाई साल का मुख्यमंत्री 

सिंहदेव ने कहा कि मैने कभी नहीं कहा कि मैं ढाई साल का सीएम बनना चाहता हूं। ये बातें हमेशा से मीडिया में ही आती रहीं। ये अलग बात है कि सरकार बनने के समय हमेशा ढाई_ढाई साल सीएम रहने का फॉर्मूला चर्चा में आता रहा। हालांकि सूत्रों की मानें तो छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने के समय राहुल गांधी ने ढाई_ढाई साल का फॉर्मूला सुझाया था। इस फॉर्मूले पर भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव भी सहमत रहे, लेकिन छत्तीसगढ़ में ऐसा नहीं हुआ। 

क्या पिघल गई बघेल के साथ रिश्ते पर जमी बर्फ 

सिंहदेव ने कहा कि राजनीति में कोई दोस्ती_दुश्मनी जैसी बात नहीं होती है। हम सब लोग साथ काम करते हैं। एक बात जरूर है कि राजनीति तभी कामयाब होती है जब सबको साथ लेकर चला जाता है। सरकार चली जाएगी ऐसा अंदाजा किसी को नहीं था। मीडिया भी सरकार रिपीट होने की बात कर रही थी, लेकिन शायद उसे कांग्रेस के अंदर चल रही कलह का अंदाजा नहीं था।  

सीएम फेस या पीसीसी चीफ 

सिंहदेव सीएम फेस बनना चाहते हैं या पीसीसी चीफ। इस सवाल पर सिंहदेव ने कहा कि यह फैसला तो केंद्रीय नेतृत्व का रहता है। हालांकि उनकी इच्छा संगठन में काम करने की है। वे  हमेशा अपने लोगों  के रहकर जनसेवा करना चाहते हैं। राजनीति में कोई रिटायरमेंट नहीं होता। इसलिए जब तक शरीर साथ देगा तब तक काम करते रहेंगे।

टीएस सिंहदेव छत्तीसगढ़ उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव छत्तीसगढ़ कांग्रेस