Fake Disability Case in Chhattisgarh : महाराष्ट्र की ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर जैसा छत्तीसगढ़ में भी फर्जी दिव्यांग मामला सामने आया है। छत्तीसगढ़ में फर्जी दिव्यांगता सर्टिफिकेट से कई लोगों ने सरकारी नौकरी पाई है। इसमें डिप्टी कलेक्टर, नायब तहसीलदार लेखा अधिकारी से लेकर पशु चिकित्सक तक शामिल हैं। इसको लेकर सरकार से शिकायत भी गई है।
फर्जी दिव्यांगता के जरिए मिली नौकरी
दरअसल, छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ ने पत्रकार वार्ता में गंभीर आरोप लगाए हैं। संघ का आरोप है कि सरकारी नौकरी में 50% दिव्यांग फर्जी हैं। संघ के प्रदेश अध्यक्ष बोहित राम चंद्राकर ने बताया कि वर्तमान में PSC से सिलेक्ट होकर 7 डिप्टी कलेक्टर, 3 लेखा अधिकारी, 3 नायब तहसीलदार, 2 सहकारिता निरीक्षक और 3 पशु चिकित्सक समेत 21 लोगों को फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी मिली है।
50 हजार में बनता है फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र
संघ अध्यक्ष चंद्राकर ने कहा कि, प्रदेश में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने के लिए कई गैंग सक्रिय हैं। ये 50 हजार से 1 लाख रुपए में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवा देते हैं। कुछ केस डॉक्टरों या स्टाफ की जानकारी में होता है, लेकिन अधिकतर में प्रमाण-पत्र बनवाते समय अन्य वास्तविक दिव्यांग को पैसा देकर अपनी जगह पेश कर देते हैं। इसके चलते सरकारी नौकरी में वास्तविक दिव्यांग वंचित रह जाते हैं।
इन अधिकारियों के खिलाफ फर्जी दिव्यांग होने का आरोप
ये अधिकारी हैं सरगना
संघ अध्यक्ष चंद्राकर नेफर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाने का सरगना लोरमी का ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी गुलाब सिंह राजपूत, मुंगेली के ENT विशेषज्ञ डॉ. एमके राय और बिलासपुर संभाग में संयुक्त स्वासथ्य संचालक डॉ. प्रमोद महाजन बताया हैं। इसके अलावा तीनों अफसरों को बर्खास्त कर जेल भेजने की मांग की है।
200 लोगों के खिलाफ शिकायत
छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ की 200 लोगों के खिलाफ शिकायत के बाद केवल 3 सरकारी कर्मचारियों का राज्य मेडिकल से परीक्षण हुआ है। जिसमें तीनों फर्जी दिव्यांग साबित हो चुके हैं। इनमें महासमुंद कृषि सहायक संचालक रिचा दुबे बर्खास्त हो चुकी हैं, लेकिन विभाग ने अब तक FIR दर्ज नहीं कराई। वहीं, सत्येंद्र सिंह चंदेल व्याख्याता जिला जांजगीर और अक्षय सिंह राजपूत व्याख्याता जिला मुंगेली के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
दिव्यांगता कोटे में काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों की शिकायत
इन गांव में फर्जी सर्टिफिकेट की हो जांच
दिव्यांग संघ ने बताया कि मुंगेली जिले के लोरमी विकासखंड के 6 से 7 गांव में सबसे ज्यादा फर्जी सर्टिफिकेट बनाए गए हैं। यहां करीब 200 लोग श्रवण बाधित के फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र बनवाकर नौकरी कर रहे हैं। संघ ने मांग की है कि, लोरमी, सारधा, झाफल, सुकली, विचारपुर, फुलझर, बोडतरा गांव के लोगों के बने सभी दिव्यांग प्रमाण-पत्रों की जांच की जाए।
शिकायत हुई पर कार्रवाई नहीं
इसके अलावा 2 साल पहले कृषि विभाग के 52 ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, उद्यान विभाग के 11 ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी, मुंगेली के 39 अधिकारी-कर्मचारी, जल संसाधन विभाग के10 सब इंजीनियर, लोक निर्माण विभाग के15 सब इंजीनियर के फर्जी दिव्यांग होने की शिकायत करवाई गई थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
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