रायपुर. छत्तीसगढ़ से इस वक्त की बड़ी खबर सामने आ रही है। यह खबर पूर्व सीएम भूपेश बघेल से जुड़ी है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा है। चीफ जस्टिस को लिख पत्र में उन्होंने अपने खिलाफ लगातार साजिश रचने का आरोप लगाया है। बघेल ने इस मामले की स्वतंत्र जांच के लिए निर्देशित करने का आग्रह चीफ जस्टिस से किया है।
सत्ता परिवर्तन के बाद EOW-ACB ने दर्ज किया केस
भूपेश बघेल ने पत्र में कहा कि उन्होंने 17 दिसंबर 2018 से 3 दिसंबर 2023 तक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के रूप में काम किया। इस दौरान अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूरी ईमानदारी, निष्ठा, और गरिमा के साथ उन्होंने किया। इस दौरान सर्वोच्च संवैधानिक मर्यादाओं को पूरा किया।
पूर्व सीएम बघेल ने कहा कि हाल में छत्तीसगढ़ में घटित एक घटना इस पत्र को लिखने की वजह बनी है। बघेल का कहना है कि कोल परिवहन में कथित अवैध वसूली की जांच ED पिछले 4 साल से कर रही है। सत्ता परिवर्तन के बाद ईओडब्ल्यू-एसीबी की ओर से एक केस दर्ज किया गया है।
तिवारी के आवेदन का दिया हवाला
ईडी की तरफ से गिरफ्तार विचाराधीन बंदियों को एसीबी-ईओडब्ल्यू ने हिरासत में लिया है। इन्हें नए केस बनाकर जेल में बंद कर रखा है। बघेल ने पत्र में बताया है कि इन अभियुक्तों में से एक सूर्यकांत तिवारी नाम का व्यापारी है। इसने जिला अदालत में एक आवेदन पेश किया है।
सूर्यकांत तिवारी के इस आवेदन के अनुसार 8 सितंबर 2024 को दोपहर 12 बजे ईओडब्ल्यू-एसीबी के निदेशक जेल पहुंचे। इन्होंने सूर्यकांत तिवारी को बुलाकर अकेले में मुलाकात की। इस दौरान एसीबी प्रमुख ने कहा कि कोयला परिवहन के कथित अपराध में भूपेश बघेल की संलिप्तता को वह स्वीकार करे। इसके साथ ही घोटाले में बघेल को लाभार्थी बनाकर बयान दर्ज कराए।
तिवारी के अनुसार आईपीएस अफसर का कहना था कि ऐसा नहीं करने पर उसे कई अन्य केस में फंसा दिया जाएगा। तिवारी के सभी परिजनों को जेल की सलाखों के पीछे डालने की धमकी भी दी गई।
उच्च स्तरीय जांच की मांग
चीफ जस्टिस को लिखे पत्र में भूपेश बघेल ने महादेव एप से जुड़े मामलों का भी जिक्र किया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से आग्रह किया कि केंद्रीय एजेंसियों और राज्य की एजेंसियों की भूमिका तथा उनके कामकाज की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की जाए।
उनका कहना है कि इस जांच की निगरानी या तो कोई उच्च न्यायालय करे या फिर सर्वाच्च न्यायालय की ओर से निगरानी आदेश जारी किया जाए। उनका कहना है कि ऐसा किए जाने से संविधान पर जनता का विश्वास बना रहेगा