रायपुर. छत्तीसगढ़ डीजीपी अशोक जुनेजा 5 अगस्त को रिटायर हो जाएंगे। प्रशासनिक गलियारों में इस बात की चर्चा शुरु हो गई है कि प्रदेश का अगला डीजीपी कौन होगा। अब तक सरकार ने यूपीएससी को अफसरों के नाम का पैनल नहीं भेजा है। ऐसा माना जा रहा है कि सरकार अभी नए डीजीपी की जगह प्रभारी डीजीपी बनाने की तैयारी कर रही है। इसलिए संभवत: नामों का पैनल अभी नहीं भेजा जाएगा।
प्रभारी डीजीपी की रेस में पवन देव का नाम सबसे पहले है। इनके अलावा हाल ही में डीजी के लिए प्रमोट हुए अरुण देव गौतम और हिमांशु गुप्ता का नाम इस दौड़ में शामिल है। चूंकि डीजीपी बनाने के बाद उसे दो साल तक बदला नहीं जा सकता लेकिन प्रभारी डीजीपी को बदलकर नया डीजीपी बनाया जा सकता है।
सरकार प्रभारी डीजीपी को भी आगे डीजीपी बना सकती है। ऐसा वर्तमान डीजीपी अशोक जुनेजा के साथ भी हुआ था। पहले उनको प्रभारी डीजीपी बनाया गया था फिर डीजीपी बना दिया गया था।
तीस साल पूरे करने वाले आईपीएस
प्रभारी डीजीपी के लिए 1994 बैच के अफसर पवन देव का नाम सबसे आगे है। सूत्रों की मानें तो इनके प्रमोशन का लिफाफा भी खुलने वाला है। इनके खिलाफ चल रही जांच खत्म हो गई है।
गृह विभाग ने आईपीएस अरुण देव गौतम और आईपीएस हिमांशु गुप्ता के प्रमोशन का आदेश जारी कर दिया है। अरुण देव गौतम साल 1992 बैच जबकि हिमांशु गुप्ता 1994 बैच के अफसर हैं। ऐसे में नए डीजीपी बनने की रेस में माने जा रहे हैं। 1994 बैच के एसआरपी कल्लूरी और 1995 बैच के प्रदीप गुप्ता भी इस लिस्ट में शामिल हैं।
इन आईपीएस की 25 साल की सर्विस
डीजीपी 30 साल की सर्विस पूरी करने वाले आईपीएस को ही बनाया जाता है, लेकिन विशेष मामले में एक साल कम पर भी डीजीपी की नियुक्ति हो जाती है, लेकिन ये नियम बड़े राज्यों के लिए है क्योंकि छोटे राज्यों के लिए केंद्र सरकार ने सेवा काल 25 साल कर दिया है।
इसलिए छत्तीसगढ़ सरकार पैनल में उन अफसरों के नाम भी शामिल कर रही है जिनकी सर्विस के 25 साल हो गए हैं। इनमें विवेकानंद झा 1996 बैच, दिपांशु काबरा 1997 बैच और अमित कुमार 1998 बैच शामिल हैं। हालांकि राज्य में सीनियर आईपीएस हैं इसलिए उनमें से ही डीजीपी की नियुक्ति होगी।
यह है डीजीपी चुनने की प्रक्रिया
डीजीपी चुनने की एक निर्धारित प्रक्रिया है। प्रदेश सरकार यूपीएससी को डीजीपी के लिए आईपीएस अफसरों के नामों का पैनल भेजती है। यूपीएससी इसके लिए मीटिंग करती है जिसमें यूपीएससी चेयरमैन, गृह मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी लेवल का अफसर, राज्य के चीफ सेक्रेटरी और वर्तमान डीजीपी शामिल होते हैं।
यह चारों मिलकर गुण दोष के आधार पर डीजीपी के लिए तीन नामों का पैनल तैयार करते हैं। इनमें से ही प्रदेश सरकार किसी एक को डीजीपी नियुक्त करती है। डीजीपी कार्यकाल दो साल का होता है।