रायपुर. जनता को खुश करने का फॉर्मूला छत्तीसगढ़ सरकार के खास्ताहाल खजाने पर बहुत भारी पड़ा है। लोगों को समस्या से निजात दिलाने और शिकायतें दूर करने के लिए 15 दिन अमले को जुटा तो दिया, लेकिन मुश्किलें इतनी ज्यादा मिलीं कि सरकार भी हैरान रह गई।
इन 15 दिनों में सरकार को 1 लाख 30 हजार शिकायतें मिलीं। इन शिकायतों को दूर करने में जब बजट का हिसाब लगाया गया तो यह बहुत भारी निकला। इन समस्याओं के निपटारे में सरकार को 900 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। यानी एक शिकायत की कीमत 70 हजार रुपए निकली।
शिकायतें भरमार-खजाने पर भार
सरकार के नगरीय प्रशासन विभाग ने 27 जुलाई से 10 अगस्त तक की तारीख जन समस्याओं को दूर करने के लिए तय की। इस विभाग के मंत्री डिप्टी सीएम अरुण साव हैं। इसलिए फरमान भी बड़ा जारी हुआ। विभाग के अमले को हर वॉर्ड में भेज दिया गया।
समस्याएं तत्काल समाधान करने के निर्देश जारी हो गए। मकसद तो था कि सुशासन का नया मॉडल बने, लेकिन सरकार के लिए ये फॉर्मूला बहुत महंगा साबित हुआ। सरकार के पास सभी नगरीय निकायों से 1 लाख 30 हजार शिकायती आवेदन पहुंच गए।
समस्याएं दूर हुईं महज 37 फीसदी। सरकार बनने के आठ महीने में ही विभाग 1250 करोड़ रुपए खर्च कर चुका है। सरकार को लगता था कि अब लोगों की समस्याएं दूर हो गई होंगी इसलिए पखवाड़ा लगा दिया। लेकिन लगता है 1200 करोड़ ही पानी में चले गए।
बहुत महंगी पड़ी जनता की खुशी
डिप्टी सीएम ने जब शिकायतों की भरमार देखी तो अंदाजा हो गया कि यह खजाने पर भारी पड़ने वाली हैं। जब इन शिकायती आवेदनों का हिसाब किताब लगाया तो कीमत निकली 900 करोड़। यानी एक शिकायत दूर करने में औसतन 70 हजार रुपए खर्च होने वाले हैं।
मतलब साफ है कि जनता को खुश करने का ये फॉर्मूला सरकार को बहुत महंगा पड़ गया। बारिश खत्म होने वाली है और इन शिकायतों को दूर करने के लिए काम करना है।
इन शिकायतों को दूर करना डिप्टी सीएम के लिए नाक का सवाल बन गया। यही कारण है कि सरकार अब 900 करोड़ का इंतजाम करने लगी है।
इन शिकायतों के इतने आवेदन:
स्ट्रीट लाइट, अतिक्रमण, अवैध निर्माण - 30 हजार 489
राशन कार्ड - 21 हजार 701
सड़क,बिजली,पानी - 17 हजार 655
प्रधानमंत्री आवास योजना -17 हजार 512
भूमि विवाद - 14 हजार 80
पेयजल समस्या - 5 हजार 573
सामाजिक सुरक्षा पेंशन - 2263
डोर टू डोर कचरा संग्रहण - 1796
बस्तर में सबसे ज्यादा समस्या
छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में सबसे ज्यादा समस्याएं हैं। कुल शिकायतों में करीब 40 फीसदी समस्याएं अकेले बस्तर क्षेत्र की हैं।
यहां पर लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। सरकार ने अब यहां पर फोकस किया है। दंतेवाड़ा,बीजापुर और कांकेर जैसे इलाकों में विकास पर फोकस किया जा रहा है। यहां पर सड़क,बिजली,पानी से लेकर राशन कार्ड और सामाजिक सुरक्षा पेंशन की शिकायतें भी बड़ी संख्या में आई हैं।
यह इलाका नक्सली समस्या से भी जूझ रहा है यही कारण है कि यहां पर विकास का प्रकाश बहुत कम ही पहुंच पा रहा है। आने वाले समय में नगरीय निकाय चुनाव हैं इसलिए सरकार चाहती है कि इन चुनावों के पहले लोगों की शिकायतें दूर की जाएं ताकि इसका फायदा उनको मिल सके।