मान्यता रद्द कॉलेज में छत्तीसगढ़ सरकार दे रही एडमिशन, सैकड़ों छात्रों के भविष्य से खिलवाड़

छत्तीसगढ़ में फर्जीवाड़े का एक नया मामला सामने आया है जो हैरान करने वाला है। जिस कॉलेज की मान्यता रद्द हो चुकी है उसी कॉलेज में सरकार छात्रों को एडमिशन दे रही है।

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Arun tiwari
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Chhattisgarh govt giving admission college recognition cancelled
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छत्तीसगढ़ में फर्जीवाड़े का एक नया मामला सामने आया है जो हैरान करने वाला है। जिस कॉलेज की मान्यता रद्द हो चुकी है उसी कॉलेज में सरकार छात्रों को एडमिशन दे रही है। कॉलेज की मान्यता रद्द हुई दिल्ली से लेकिन प्रदेश में उस कॉलेज की सीट छात्रों को आवंटित की जा रही हैं। ये मान्यता रद्द हुआ नर्सिंग कॉलेज है। इस कॉलेज में काउंसलिंग और सीट अलॉट का पत्र सरकारी कार्यालय से जारी हुआ है। कमिश्नर,मेडिकल एजुकेशन से जारी हुआ इस आदेश के बारे में डायरेक्टर को भी जानकारी नहीं है। 

 

क्या है पूरा मामला


नर्सिंग कॉलेज का फर्जीवाड़ा कई राज्यों में बड़ा मुद्दा बना हुआ है। इनमें से छत्तीसगढ़ भी एक है। एक_एक कमरे के कॉलेज खोलकर छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। इस बारे में अदालत भी नाराजगी जता चुकी है। छत्तीसगढ़ में ऐसा ही एक और मामला सामने आया है। राजनांदगांव के सेंट्रल इंडिया कॉलेज ऑफ नर्सिंग की मान्यता इंडियन मेडिकल काउंसिल ने रद्द कर दी है।

इसका प्रकाशन भारत सरकार के राजपत्र में 9 जून 2023 को हो चुका है। लेकिन छत्तीसगढ़ की काउंसिलिंग कमेटी ने गुपचुप तरीके से छत्तीसगढ़ राज्य के विद्यार्थियों को बिना जानकारी दिए सेंट्रल इंडिया कॉलेज के लिए प्रवेश व आवंटन पत्र जारी कर दिया है। इस पत्र में उस कालेज के मान्यता रद्द होने की जानकारी भी नहीं दी गई।

गजट नोटिफिकेशन में यह साफ लिखा है कि इस कालेज के आवंटन पत्र में यह स्पष्ट उल्लेख होना चाहिये कि इस कॉलेज से उत्तीर्ण विद्यार्थी केवल और केवल छत्तीसगढ़ में ही नौकरी  कर पाएंगे, अन्य राज्य में नही। यह पत्र आयुक्त,मेडिकल एजुकेशन कार्यालय से जारी हुआ है। सरकार की बेवसाइट पर भी यह दिखाई दे रहा है। विभाग की इस गलती सैकड़ों छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ा किया जा रहा है। 

विभाग के अफसरों को नहीं जानकारी


जब इस संबंध में द सूत्र ने डीएमई यूएस पैकरा से जानना चाहा तो उन्होंने कहा कि इस बारे में उनको जानकारी नहीं है। उनकी तरफ से यह पत्र नहीं गया है,यह पत्र सीएमई यानी कमिश्नर कार्यालय से गया होगा। इस बारे में कमिश्नर किरण कौशल से बात करने की कोशिश की तो उनका फोन बंद मिला।

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल से संपर्क नहीं हो सका। उनसे मोबाइल पर संपर्क किया गया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। युवाओं के भविष्य से जुड़े इस विषय पर सरकार का इस तरह का रवैया ये सवाल उठाता है कि क्या सरकार इस मामले में गंभीर नहीं है।

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