66 रुपए के यूरिन बाॅक्स की 23 हजार में खरीदी, 2 रुपए की ट्यूब की कीमत 2 हजार से ज्यादा

सरकार ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और सरकारी अस्पतालों के लिए एक साल में ढाई हजार करोड़ की दवा और रीएजेंट की खरीदी की। सीएजी ने इसमें 650 करोड़ का घोटाला बताया है। द सूत्र आपको बता रहा है कि यह घोटाला हुआ कैसे।

Advertisment
author-image
Arun tiwari
New Update
Chhattisgarh health department purchase scam the sootr
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

रायपुर. पिछले एक साल में स्वास्थ्य महकमे ने लोगों के स्वास्थ्य के साथ बहुत खिलवाड़ किया है। लोगों का स्वास्थ्य सुधरा या बिगड़ा ये तो अलग बात है लेकिन स्वास्थ्य महकमें के लोग हेल्दी हो गए।

कुछ महीने पहले सीएजी ने दवा और रीएजेंट की खरीदी में 660 करोड़ का घोटाला बताया था। यह खबर मीडिया में खूब सुर्खियां बनी। हम आपको बता रहे हैं कि यह घोटाला हुआ कैसे था।

सीएजी ने भले ही इसे 650 करोड़ का घोटाला बताया हो, लेकिन दवा खरीदी का ये गोरखधंधा इससे कहीं ज्यादा का है। यह खरीदी राज्य मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन करता है।

कार्पोरेशन ने 66 रुपए का यूरिन बाॅक्स 23 हजार रुपए में खरीदा और 9 रुपए की ट्यूब 2 हजार से ज्यादा में खरीद डाली। कैसे हुआ ये घोटाला आइए आपको बताते हैं।

ऐसे दिया घोटाले को अंजाम 

सरकार ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और सरकारी अस्पतालों के लिए एक साल में ढाई हजार करोड़ की दवा और रीएजेंट की खरीदी की।

इस यह खरीदी राज्य में मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन करता है। इसी खरीदी में सीएजी ने बड़ी अनियमितताएं बताई हैं। रीएजेंट का घोटाला के कुछ उदाहरण हम आपको बताते हैं।

कहा तो यहां तक जा रहा है कि यदि इसकी पड़ताल ईमानदारी और निष्पक्षता से कराई जाए तो यह प्रदेश में हुए शराब और कोल स्कैम से बड़ा मामला निकलेगा। इसकी लगातार शिकायतें होती रही हैं और यह मामला विधानसभा में भी उठा। इस मामले के गरमाने के बाद सरकार ने जांच का ऐेलान भी कर दिया। जांच कमेटी इस मामले की जांच कर रही है। 

कुछ इस तरह हुआ रीएजेंट घोटाला 

खून की जांच के लिए जो ब्लड सैंपल लिया जाता है उसमें ईडीटीए ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता है। इसकी बाजार कीमत 2 से 9 रुपए है। लेकिन इसे 2352 रुपए में खरीदा गया।

यानी दो रुपए की ट्यूब की कीमत दो हजार से ज्यादा हो गई, वाह रे मेडिकल कार्पोरेशन। यह पैसा किसकी जेब में गया यह आसानी से समझा जा सकता है। हैरानी बात ये भी है कि इसे अलग_अलग जिलों के सीएमएचओ ने सस्ती दर पर ही खरीदा।

दस्तावेजों के अनुसार जिस ईडीटीए ट्यूब को मेडिकल कार्पोरेशन ने 2352 रुपए में मोक्षित मेडिकेयर से खरीदा उसी को राज्य मानसिक अस्पताल बिलासपुर ने 7.95 रुपए से  8.40 रुपए तक खरीदा। रायगढ़ सिविल सर्जन ने उसी ट्यूब को 2.60 रुपए में, जगलपुर सिविल सर्जन ने 4 रुपए 4.20 रुपए में और सरगुजा सीएमएचओ ने इस ट्यूब को 2 रुपए 15 पैसे में खरीदा। 
अब दूसरा उदाहरण देखिए। तीन महीने के ब्लड शुगर की जांच के लिए यूरिन टेस्ट किया जाता है। इसका बॉक्स अस्पताल या पैथलैब से ही मिलता है। यूरिन बॉक्स बाजार में 66 रुपए दर्जन के हिसाब से मिलता है। इस यूरिन बाक्स को मेडिकल कार्पोरेशन ने 23 हजार 775 रुपए में खरीदा। यही नहीं इसकी पूरी किट की खरीदी 4 लाख 61 हजार 496 रुपए में की गई। 

मिलीभगत से हुआ फर्जीवाड़ा 

जाहिर है ये पूरा फर्जीवाड़ा स्वास्थ्य विभाग, मेडिकल कार्पोरेशन के अधिकारी और दवा कंपनी की मिलीभगत से किया गया। किसी सीएमएचओ ने इसकी खरीदी के लिए कोई मांगपत्र जारी नहीं किया फिर भी इसकी खरीदी की गई।

हैरानी बात ये भी है कि इस घोटाले की जांच कर रही कमेटी के जांच बिंदुओं में यह शामिल ही नहीं है कि एमआरपी से कितने गुना ज्यादा पर रीएजेंट खरीदा गया है।

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल कह रहे हैं कि पूरे मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है और इस जांच रिपोर्ट को मीडिया के सामने भी सार्वजनिक किया जाएगा। जो दोषी होंगे उन पर कार्रवाई होगी। 

जांच समिति पर आरोप तो यह भी लग रहे हैं कि इसमें उन अधिकारियों को ही शामिल कर लिया गया जो इस खरीदी प्रक्रिया में शामिल रहे हैं। इस गड़बड़ी को लेकर आरटीआई में भी गोलमोल जवाब दिए जा रहे हैं।

सवाल यह है कि ऐसे में क्या इस पूरे फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हो पाएगा और इसमें शामिल लोगों पर कार्रवाई होगी।

CG News Chhattisgarh Health Department cg news hindi स्वास्थ्य विभाग घोटाला छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग खरीदी घोटाला Chhattisgarh health department purchase scam Chhattisgarh Health Department Scam