अब जशप्योर बनेगा ग्लोबल ब्रांड, आदिवासी बहनों के जूस, लड्डू, कुकीज, कैंडी, पास्ता देश-विदेश में होंगे मशहूर

छत्तीसगढ़ की आदिवासी महिलाओं द्वारा बनाए गए जशप्योर उत्पाद, अब देश-विदेश में मशहूर होने जा रहे हैं। मुख्यमंत्री साय के प्रयास से ब्रांड को नई पहचान मिलेगी।

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Sanjeet kumar dhurwey
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Photograph: (the sootr)

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रायपुर। छत्तीसगढ़ की मिट्टी की खुशबू, जशपुर की आदिवासी बहनों की मेहनत और स्थानीय परंपराओं की मिठास अब देश की सीमाओं को पार कर दुनिया भर में फैलने वाली है।

छत्तीसगढ़ की विष्णु देव साय सरकार ने जशपुर की महिलाओं के लोकप्रिय लोकल ब्रांड 'जशप्योर' को नई उड़ान देने का ऐलान किया है। इस ब्रांड का ट्रेडमार्क अब उद्योग विभाग को सौंपा जाएगा, जिससे इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में एक नई पहचान मिल सकेगी।

जशपुर की महिलाएं महुआ और अन्य वनोपज से महुआ जूस, महुआ लड्डू, कुकीज, कैंडी, रागी पास्ता, कोदो-कुटकी चावल जैसे हेल्दी और स्वादिष्ट उत्पाद तैयार कर रही हैं। खास बात यह है कि इन उत्पादों में न कोई मिलावट होती है और न ही कोई केमिकल। यह पूरी तरह प्राकृतिक और स्वदेशी होते हैं। यही कारण है कि इन्हें अब 'फॉरेस्ट गोल्ड' या 'ग्रीन गोल्ड' कहा जा रहा है।

वोकल फॉर लोकल विजन: साय 

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मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'वोकल फॉर लोकल' विजन को आगे बढ़ाते हुए जशप्योर जैसे लोकल ब्रांड्स को नई ताकत दी जा रही है। हमारा यह प्रयास आदिवासी बहनों के जीवन में भी नई रौशनी लाएगा। आज जशप्योर से जुड़ी 90 फीसदी से ज्यादा महिलाएं आदिवासी समुदाय से हैं, जो प्रोडक्ट बनाने से लेकर पैकिंग और मार्केटिंग तक हर काम में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।

केंद्रीय मंत्री चौहान ने की तारीफ 

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केंद्रीय कृषि व ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी जशप्योर की तारीफ करते हुए कहा कि यह केवल एक ब्रांड नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने का ठोस कदम है। जशप्योर आत्मनिर्भर छत्तीसगढ़ और स्वावलंबी ग्रामीण भारत का प्रतीक बन रहा है।

 

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Photograph: (RO 13270/2)

5 एयरपोर्ट्स पर मिलेंगे प्रोडक्ट्स

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आपको बता दें कि अब जशप्योर के प्रोडक्ट देशभर के प्रमुख एयरपोर्ट्स पर भी बिकेंगे। इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने 'रेयर प्लेनेट' के साथ करार किया है। पहले चरण में पांच बड़े एयरपोर्ट्स पर महुआ और मिलेट से बने प्रोडक्ट यात्रियों को उपलब्ध होंगे। इससे आदिवासी उत्पादों को नए बाजार मिलेंगे और स्थानीय उत्पादकों की आय भी बढ़ेगी।

वर्ल्ड फूड इंडिया में छाया जशप्योर

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पिछले दिनों नई दिल्ली के प्रगति मैदान में हुए वर्ल्ड फूड इंडिया 2024 में जशप्योर के स्टॉल ने सबका ध्यान खींचा था। स्वास्थ्य के प्रति सजग उपभोक्ताओं, पोषण विशेषज्ञों और बड़े उद्योगपतियों ने महुआ और मिलेट से बने उत्पादों को प्राकृतिक और हेल्दी मानते हुए खुलकर सराहा था। किसी तरह के एडिटिव, प्रिजर्वेटिव या केमिकल से मुक्त ये उत्पाद आज की नई पीढ़ी की पसंद बनते जा रहे हैं।
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लोकल टू ग्लोबल का सपना

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जशपुर के युवा वैज्ञानिक समर्थ जैन कहते हैं, हमने महुआ को सिर्फ पारंपरिक शराब तक सीमित नहीं रखा। आज इसे हेल्दी प्रोडक्ट्स में बदलकर हम इसे ग्लोबल बना रहे हैं। सरकार का ट्रेडमार्क उद्योग विभाग को सौंपने का निर्णय जशप्योर को लोकल टू ग्लोबल ब्रांड बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।

इस तरह मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के प्रयासों से आज जशप्योर का हर पैकेट सिर्फ स्वाद नहीं, आत्मनिर्भरता की कहानी बयां करता है। ढेकी कूटा चावल हो या महुआ नेक्टर कोकोआ, रागी लड्डू हों या कोदो पास्ता... हर उत्पाद के पीछे दर्जनों महिलाओं की मेहनत छिपी है। यही वजह है कि आज जशप्योर तेजी से उभरता ब्रांड है। 

अब ट्रेडमार्क के उद्योग विभाग को हस्तांतरण से जशप्योर के लिए नई तकनीक, उन्नत मशीनें और बड़े बाजार उपलब्ध होंगे। कच्चे माल की मांग बढ़ेगी। उत्पादन क्षमता बढ़ेगी और सैकड़ों महिलाओं के हाथों को रोजगार मिलेगा। इस कदम से छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों के उत्पादकों को भी हौसला मिलेगा कि वे भी अपनी मेहनत को दुनिया तक पहुंचा सकते हैं।

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