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छत्तीसगढ़ के कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में मौजूद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की तबीयत बिगड़ गई है। चैतन्य को तेज बुखार और जेल में स्वच्छ पानी की कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
इस मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने जेल सुपरिटेंडेंट को चैतन्य को कानून के अनुसार सभी जरूरी सुविधाएं, विशेष रूप से चिकित्सा सुविधा, उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई अब 26 अगस्त 2025 को होगी।
हाईकोर्ट में क्या हुआ?
चैतन्य बघेल के अधिवक्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर उनके स्वास्थ्य और जेल में स्वच्छ पानी की कमी की शिकायत की। अधिवक्ता ने बताया कि चैतन्य को तेज बुखार है और जेल में उचित सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। हालांकि, याचिकाकर्ता की ओर से बुखार या बीमारी से संबंधित कोई मेडिकल दस्तावेज कोर्ट में पेश नहीं किया गया।
इसके बावजूद, हाईकोर्ट ने परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए जेल सुपरिटेंडेंट और ईडी को निर्देश दिया कि वे चैतन्य की स्थिति का सत्यापन करें और कानून के तहत उचित कदम उठाएं। कोर्ट ने यह भी कहा कि चैतन्य के स्वास्थ्य से संबंधित कोई भी शिकायत होने पर याचिकाकर्ता को विशेष कोर्ट (ट्रायल कोर्ट) में आवेदन दायर करना होगा।
हाईकोर्ट ने जेल प्रशासन को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि चैतन्य को न्यायिक हिरासत के दौरान सभी विधि-सम्मत सुविधाएं, खासकर चिकित्सा और स्वच्छ पानी, उपलब्ध कराई जाएं।
शराब घोटाले में चैतन्य की गिरफ्तारी
ईडी ने 18 जुलाई 2025 को चैतन्य बघेल को भिलाई-3 स्थित उनके निवास से गिरफ्तार किया था। यह गिरफ्तारी उनके जन्मदिन के दिन हुई, जिसने मामले को और सुर्खियों में ला दिया। ईडी का दावा है कि 2019 से 2022 के बीच छत्तीसगढ़ में हुए 2100 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले में चैतन्य ने मनी लॉन्ड्रिंग की प्रक्रिया को मैनेज किया था।
इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी आरोपी बनाए गए हैं। चैतन्य ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए पहले सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद उन्होंने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें जेल में उचित सुविधाएं और स्वास्थ्य संबंधी शिकायतें उठाई गईं।
क्या है शराब घोटाला?
ईडी के अनुसार, छत्तीसगढ़ में 2019 से 2022 के बीच शराब के कारोबार में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुईं, जिसके तहत 2100 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग की गई। जांच एजेंसी का दावा है कि इस घोटाले का पैसा चैतन्य बघेल ने विभिन्न चैनलों के जरिए मैनेज किया। इस मामले में कई अन्य लोग भी जांच के दायरे में हैं, और ईडी लगातार सबूत जुटा रही है।
हाईकोर्ट का रुख और आगे की राह
हाईकोर्ट ने इस मामले में संतुलित रुख अपनाते हुए चैतन्य के स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी, लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि कोई भी राहत कानून के दायरे में ही दी जाएगी। कोर्ट ने जेल प्रशासन को चैतन्य की स्थिति की जांच करने और उचित कदम उठाने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 26 अगस्त को होगी, जिसमें याचिकाकर्ता को मेडिकल दस्तावेज पेश करने का अवसर मिलेगा।
जनता और विपक्ष की प्रतिक्रिया
इस मामले ने छत्तीसगढ़ की सियासत में भी हलचल मचा दी है। विपक्षी दल इस मामले को लेकर सत्तारूढ़ पार्टी पर हमलावर हैं, जबकि भूपेश बघेल और उनके समर्थक इसे राजनीतिक साजिश बता रहे हैं। जनता के बीच भी इस मामले को लेकर चर्चा जोरों पर है, क्योंकि यह घोटाला राज्य की आर्थिक और प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाता है।
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