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Impact Feature
1 नवंबर 2000 को जब छत्तीसगढ़ को मध्यप्रदेश से अलग कर नया राज्य बनाया गया था, तब इसकी पहचान विकास की शुरुआती सीढ़ियां चढ़ रहे इलाके के रूप में थी। 25 साल बाद अब तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है। आज छत्तीसगढ़ खनिज संपदा के दम पर देश के उन राज्यों में शामिल हो गया है, जिनका नाम बड़े खनन क्षेत्रों में लिया जाता है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य ने हाल के वर्षों में खनन के क्षेत्र में तेजी से कदम बढ़ाए हैं। पारदर्शिता, जवाबदेही और नई तकनीक के इस्तेमाल ने इस क्षेत्र को आधुनिक और व्यवस्थित बनाया है।
अब देश के खनिज मानचित्र पर प्रमुख स्थान
छत्तीसगढ़ की धरती लौह अयस्क, कोयला, चूना पत्थर, बाक्साइट, टिन और अब रेयर मिनरल्स जैसे बहुमूल्य खनिजों से भरी है। हाल के वर्षों में यहां कई नए क्षेत्रों की खोज हुई है, जिससे राज्य की पहचान अब सिर्फ कोयला उत्पादक राज्य के रूप में नहीं, बल्कि रणनीतिक और दुर्लभ खनिजों के भंडार के रूप में भी बन गई है।
इस क्षेत्र का राज्य की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है। आज खनन से राज्य को मिलने वाली आय उसके कुल घरेलू उत्पादन का लगभग 10 प्रतिशत है, जबकि देश के कुल खनिज उत्पादन में छत्तीसगढ़ की हिस्सेदारी करीब 17 प्रतिशत तक पहुंच गई है।
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25 साल में 34 गुना बढ़ा खनिज राजस्व
राज्य बनने के वक्त खनन से मिलने वाली आय सिर्फ 429 करोड़ रुपए थी, लेकिन साल 2024-25 में यह बढ़कर 14,592 करोड़ रुपए तक पहुंच गई। यह 25 सालों में करीब 34 गुना की छलांग है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह वृद्धि अचानक नहीं हुई, बल्कि इसके पीछे लंबे समय से की गई योजनाबद्ध नीति, आधुनिक तकनीक और डिजिटल सिस्टम का बड़ा हाथ है।
60 से ज्यादा खनिज ब्लॉक मिले निवेशकों को
खनन क्षेत्र में पारदर्शिता लाने के लिए नीलामी प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल बनाया गया है। पिछले कुछ वर्षों में 60 से ज्यादा खनिज ब्लॉकों की नीलामी की जा चुकी है। इनमें 15 लौह अयस्क, 14 बाक्साइट, 18 चूना पत्थर और 13 दुर्लभ खनिजों के ब्लॉक शामिल हैं। इसके अलावा 5 नए ब्लॉकों की नीलामी प्रक्रिया जारी है, इनमें चूना पत्थर, लौह अयस्क, सोना और बेस मेटल्स के ब्लॉक शामिल हैं।
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तकनीक के सहारे नए खनिजों की खोज
खनन को वैज्ञानिक और टिकाऊ बनाने के लिए राज्य ने देश के नामी तकनीकी संस्थानों के साथ हाथ मिलाया है। IIT मुंबई, IIT ISM धनबाद और कोल इंडिया लिमिटेड के साथ समझौते कर नए खनिज क्षेत्रों की खोज की जा रही है। इन संस्थानों के साथ मिलकर की जा रही खोज से अब राज्य में दुर्लभ और रणनीतिक खनिजों की पहचान तेज़ी से हो रही है। इससे राज्य को भविष्य में उद्योग और निर्यात के नए अवसर मिलने की उम्मीद है।
खनिज से बनेगा विकास का रास्ता
खनन से मिलने वाली कमाई सिर्फ आंकड़ों में नहीं, बल्कि लोगों के जीवन में भी फर्क ला रही है। प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना के तहत अब तक 16,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि राज्य को मिली है। इस राशि से 1 लाख से अधिक विकास कार्यों को मंजूरी मिली है, जिनमें से करीब 74 हजार से ज्यादा काम पूरे भी हो चुके हैं।
इन कामों में सड़कों से लेकर स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी जरूरी सुविधाओं का विकास शामिल है। खनन से होने वाली आय अब सिर्फ सरकारी खजाने में नहीं जा रही, बल्कि इसका फायदा गांवों और कस्बों तक पहुंच रहा है।
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पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन, पारदर्शिता बनी आधार
खनन की नीलामी और प्रबंधन को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाने से पूरे सिस्टम को पारदर्शी बनाया गया है। ‘खनिज ऑनलाइन 2.0’ नामक पोर्टल से अब सारी प्रक्रिया एक क्लिक में पूरी हो जाती है।
पहले जहां खदानों के आबंटन में देरी और गड़बड़ियों की शिकायतें आती थीं, वहीं अब पूरा सिस्टम ऑनलाइन और ट्रैक करने योग्य है। इससे निवेशकों को भरोसा मिला है।
यही नहीं, प्रदेश सरकार ने खनन से रेत खदानों के आवंटन से जुड़ी प्रक्रिया को भी पूरी तरह ऑनलाइन कर दिया है। अब यह काम पारदर्शी ऑनलाइन नीलामी के जरिए किया जा रहा है, जिसमें किसी मानवीय हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं रहती। इसके लिए एमएसटीसी लिमिटेड के साथ समझौता किया गया है। इससे कारोबारियों को साफ-सुथरा माहौल मिला है और स्थानीय लोगों को भी फायदा हो रहा है।
जिम्मेदार खनन की दिशा में कदम, कई खदानों को मिला स्टार रेटिंग
खनन सिर्फ कमाई का जरिया नहीं, बल्कि पर्यावरण और सुरक्षा से जुड़ा गंभीर मुद्दा भी है। राज्य ने इसी दिशा में नई व्यवस्था ‘स्टार रेटिंग सिस्टम’ को अपनाया है। इस सिस्टम के तहत खदानों का मूल्यांकन पर्यावरण सुरक्षा, खनन के जिम्मेदार तरीकों और सतत विकास के आधार पर किया जाता है।
अब तक 3 खदानों को 5-स्टार और 32 खदानों को 4-स्टार रेटिंग मिली है। इसका मतलब है कि छत्तीसगढ़ अब सिर्फ खनन कर पैसा कमाने वाला राज्य नहीं, बल्कि जिम्मेदार खनन का मॉडल बन रहा है।
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खनिज सिर्फ आय नहीं, विकास की रीढ़
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का कहना है कि खनिज संपदा सिर्फ पैसे का स्रोत नहीं, बल्कि पूरे राज्य के विकास की रीढ़ है। उन्होंने कहा कि हमने खनन क्षेत्र को पारदर्शी बनाया, डिजिटल किया और इसमें नई तकनीकें जोड़ीं हैं। इसका असर साफ दिख रहा है। राज्य की आय बढ़ी है, रोजगार के अवसर बढ़े हैं और लोगों के जीवन में बदलाव आया है।
आने वाले समय में और बढ़ेगा खनन कारोबार
विशेषज्ञों का मानना है कि अगले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ का खनन क्षेत्र और बड़ा होगा। रणनीतिक और दुर्लभ खनिजों की खोज से राज्य की स्थिति और मजबूत होगी। इससे नई इंडस्ट्रीज लगेंगी, निवेश बढ़ेगा और हजारों लोगों को रोजगार के मौके मिलेंगे।
इस तरह 25 साल पहले जिस छत्तीसगढ़ ने अपना सफर शुरू किया था, वह आज एक नई पहचान बना चुका है। खनन ने न सिर्फ राज्य की आर्थिक स्थिति बदली है, बल्कि गांव-गांव तक विकास की रोशनी पहुंचाई है। पारदर्शिता, तकनीक और जिम्मेदार खनन के जरिए राज्य ने एक ऐसा मॉडल तैयार किया है, जिसे देश के बाकी राज्यों में भी अपनाने की चर्चा हो रही है।
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