भाजपा सरकार ने अपने ही पूर्व गृहमंत्री ननकीराम को किया नजरबंद, सीएम हाउस के सामने देना चाहते थे धरना

पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर अपनी ही भाजपा सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन के लिए निकले थे, लेकिन उन्हें एम्स, रायपुर के पास नज़रबंद कर दिया गया।

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Sanjay Dhiman
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Photograph: (the sootr)

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छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बड़ी खबर सामने आई है। बीजेपी के बड़े नेता और पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

पूर्व मंत्री, जो अपनी बेबाकी और सीधे बोलने के लिए जाने जाते हैं, कोरबा कलेक्टर अजित वसंत पर भ्रष्टाचार और बड़ी अनियमितताओं के आरोपों पर कार्रवाई न होने से नाराज होकर रायपुर में धरना देने निकल पड़े। लेकिन पुलिस ने उन्हें बीच रास्ते में ही रोक लिया और नजरबंद कर दिया।

शनिवार की सुबह, ननकीराम कंवर मुख्यमंत्री निवास के बाहर बैठकर अपनी मांगों को लेकर धरना देने घर से निकले थे, लेकिन उन्हें अपने गंतव्य तक पहुँचने से पहले ही एम्स, रायपुर के पास पुलिस अधिकारियों द्वारा रोक लिया गया और कथित तौर पर उन्हें नज़रबंद कर दिया गया। उन्हें गहोई भवन में हिरासत में रखा गया है। 

कलेक्टर पर लगाए हैं 14 गंभीर आरोप 

पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने कोरबा कलेक्टर अजित वसंत के विरुद्ध एक विस्तृत शिकायती पत्र दिया था, जिसमें 14 बिंदुओं पर गंभीर आरोप लगाए गए थे। इन आरोपों में भ्रष्टाचार, पद का दुरुपयोग, और सरकारी योजनाओं में अनियमितताएं शामिल हैं। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी थी कि यदि 4 अक्टूबर तक कलेक्टर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो वे राजधानी में विरोध-प्रदर्शन करेंगे।

भारतीय जनता पार्टी के ननकीराम कंवर का दावा है कि कलेक्टर हिटलरशाही तरीके से प्रशासन चला रहे हैं और उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के सैकड़ों गंभीर मामले हैं। उन्होंने कुछ प्रमुख आरोपों का भी उल्लेख किया, जो इस प्रकार हैं:

  • स्व-सहायता समूह की 40,000 महिलाओं से अरबों की ठगी।

  • मालगाँव और रलिया में फर्जी मुआवजे के नाम पर करोड़ों रुपए की अनियमितता।

  • भाजपा कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को टारगेट करना, जिसमें एक पत्रकार का मकान गिराने और पार्टी कार्यकर्ताओं के राइस मिल और पेट्रोल पंप को सील करने की घटनाएं शामिल हैं।

कंवर के अनुसार, ये मामले सरकारी तंत्र में उच्च स्तर पर जवाबदेही की कमी और प्रशासनिक शिथिलता को दर्शाते हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि यह रवैया जारी रहा, तो आगामी चुनावों में भाजपा की सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। 

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बिलासपुर संभागायुक्त को जांच की जिम्मेदारी

इस गंभीर मामले को देखते हुए, छत्तीसगढ़ शासन ने ननकीराम कंवर के शिकायती पत्र पर संज्ञान लिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, शासन ने बिलासपुर संभागायुक्त सुनील जैन से मामले की जांच प्रतिवेदन मांगा है। यह कदम सरकारी जवाबदेही को सुनिश्चित करने की दिशा में एक प्राथमिक प्रयास प्रतीत होता है।

हालांकि, जांच की पुष्टि को लेकर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है। संभागायुक्त सुनील जैन ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि उन्हें शासन की ओर से अभी तक लिखित आदेश प्राप्त नहीं हुआ है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि आदेश मिलते ही वे तत्काल जांच शुरू कर रिपोर्ट सौंप देंगे और नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। इस विलंब ने पूर्व मंत्री और उनके समर्थकों में असंतोष को और बढ़ा दिया है। 

पूर्व गृहमंत्री की घोषणा और नजरबंदी के मामले को ऐसे समझें

  1. पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर अपनी ही छत्तीसगढ़ सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन करने के लिए रायपुर में मुख्यमंत्री निवास जा रहे थे।
  2. उन्हें रायपुर पुलिस ने एम्स के पास रोक लिया और कथित तौर पर नज़रबंद कर दिया गया तथा गहोई भवन में हिरासत में रखा गया।
  3. उनका विरोध कोरबा कलेक्टर अजित वसंत के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के 14 गंभीर आरोपों पर कार्रवाई न होने को लेकर था।
  4. कंवर ने आरोप लगाया था कि कलेक्टर 4 अक्टूबर तक कार्रवाई न होने पर वे धरना देंगे, और उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यही रवैया रहा तो अगली बार भाजपा की सरकार नहीं बनेगी।
  5. राज्य शासन ने मामले की जांच के लिए बिलासपुर संभागायुक्त सुनील जैन से प्रतिवेदन माँगा है, हालाँकि उन्हें अभी तक लिखित आदेश नहीं मिला है।

सीएम हाउस तक पहुंचने की कोशिश पूर्व गृहमंत्री

ननकीराम कँवर अपनी मंशा को लेकर पूरी तरह से स्पष्ट थे। उन्होंने शुक्रवार देर शाम ही रायपुर पहुंचकर जिला प्रशासन को अपने धरना प्रदर्शन के बारे में लिखित पत्र के माध्यम से सूचित कर दिया था। उनका विरोध-प्रदर्शन शनिवार सुबह 10:30 बजे से मुख्यमंत्री निवास के बाहर शुरू होने वाला था।

मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा था कि वह सुबह 10 बजे सीएम हाउस के लिए निकलेंगे और उन्हें जहाँ भी रोका जाएगा, वह वहीं धरने पर बैठ जाएंगे। यह बयान उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और सरकारी जवाबदेही की मांग को लेकर उनके समर्पण को दर्शाता है।

जब वह होटल से धरना स्थल के लिए निकले, तो पुलिस अधिकारी मौके पर पहुँचे और उन्हें रोक लिया। इसके बाद उन्हें नज़रबंद कर दिया गया। सूत्रों के अनुसार, नज़रबंद किए जाने के बाद भी वह गहोई भवन के गेट कूदकर निकलने की कोशिश में लगे हुए थे, जो दिखाता है कि वह अपने विरोध को लेकर कितने प्रतिबद्ध हैं।

यह पूरी घटना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राजनीतिक विरोध के लोकतांत्रिक अधिकारों पर भी सवाल खड़े करती है, खासकर तब जब विरोध करने वाला व्यक्ति सत्ताधारी पार्टी का एक वरिष्ठ सदस्य हो। 

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पूर्व में भी विवादित रहा है कलेक्टर का व्यवहार 

कलेक्टर अजित वसंत का व्यवहार पहले भी विवादों में रहा है। पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल को भी कलेक्टर ने एक फेसबुक पोस्ट के लिए नोटिस भेजा था। कलेक्टर का तर्क था कि उस पोस्ट से प्रशासन की छवि खराब होती है और सामाजिक वैमनस्य फैलाने की मंशा रखती है।

यह विवाद दर्शाता है कि कोरबा कलेक्टर और वरिष्ठ नेताओं के बीच यह गतिरोध नया नहीं है और सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता पर ज़ोर देता है। सशक्त लोकतंत्र के लिए यह ज़रूरी है कि भ्रष्टाचार के आरोपों की निष्पक्ष और तत्काल जांच हो।

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