शिव शंकर सारथी @ रायपुर.
जिन माओवादियों से लोहा लेते पिता की जान गई उन्हीं माओवादियों को Salute करना, सलामी देना, शहीदों के बेटों और भाइयों के ड्यूटी का हिस्सा हो गया है I दरअसल, नक्सल उन्मूलन नीति के भारी प्रचार के कारण अब बड़ी संख्या में हार्डकोर नक्सली और नक्सली आत्मसमर्पण करने लगे हैं I आत्मसमर्पण कर चुके नक्सली इंस्पेक्टर बन गए और सब इंस्पेक्टर का शहीद बेटा आरक्षक ही बन पाया I यह गड़बड़-झाला अब शहीद परिवारों को खून के आंसू रुला रहा है I नक्सल उन्मूलन नीति को लेकर पहले भी सरकारें ढोल पीटती रही है और अब विष्णुदेव साय सरकार ढोल पीट रही I शहीद के परिवार के लोगों ने अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का फैसला किया है I
The sootr ने नक्सल उन्मूलन नीति और नक्सल समर्पण नीति से नाराज शहीद परिवार के लोगों से बात की I
- तामेश्वर सिन्हा के पिता सालिग राम सिन्हा आरक्षक थे, साल 2018 में किरंदूल, दंतेवाड़ा में नक्सली और पुलिस के बीच मुठभेड़ हुई थी। नक्सलियों ने सालिग राम का गला काट दिया था I सालिग राम के बेटे बलराम सिन्हा को को दो साल चप्पल घिसने के बाद आरक्षक के पद पर अनुकम्पा नियुक्ति मिली I
- 21 मार्च 2020 मिनपा, जिला सुकमा में सत्रह जवान शहीद हुए, डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व फोर्स) के जवान हेमंत दास मानिकपुरी शहीद हुए। हेमंत की शादी तक नहीं हुई थी ऐसे में शहीद के भाई को चप्पल घिसाई के बाद अनुकम्पा नियुक्ति मिली I
- सुरेंद्र ठाकुर छत्तीसगढ़ पुलिस में सब इंस्पेक्टर थे, फरवरी 2000 में मुठभेड़ के दौरान शहीद हुएI एक साल बाद परिवार के चितरंजन ठाकुर को अनुकम्पा नियुक्ति मिली लेकिन पद मिला- छत्तीसगढ़ पुलिस आरक्षक I उक्त तीन उदाहरण 'the sootr' ने रखे, पुलिस बल के सब इंस्पेक्टर और दो आरक्षकों केI
अब उदाहरण आईपीएस और राजनेता का
- आईपीएस विनोद कुमार चौबे साल 2009 में राजनांदगांव जिले में शहीद हुएI शहीद को कीर्ति चक्र दिया गया और इंजीनियर डिप्लोमाधारी बेटे सौमिल रंजन चौबे को सीधे डिप्टी कलेक्टर बनाया गयाI तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने घर जाकर नियुक्ति पत्र दिया सौमिल रंजन चौबे कोI
- झीरम हमले में कांग्रेस के नेता- कार्यकर्ता मरे, सुरक्षा में तैनात पुलिस के जवान शहीद हुए I आम लोग भी मरे लेकिन डिप्टी कलेक्टर बने महेंद्र कर्मा के बेटे आशीष कर्मा I महेन्द्र कर्मा के पिता राजनीति में थे,भाई सांसद रहे हैं I खुद महेन्द्र कर्मा मंत्री और नेता प्रतिपक्ष (2004-2008) छत्तीसगढ़ शासन रहे I आशीष कर्मा को ज़ब डिप्टी कलेक्टर बनाया गया तब डिप्टी कलेक्टर के सिर्फ तीन पद थे, राज्य मेंI आशीष कर्मा को कैबिनेट के फ़ैसले के आधार पर डिप्टी कलेक्टर बनाया गया, आम भाषा में कहें तो आशीष कर्मा को डिप्टी कलेक्टर बनाने नियमों में फेरबदल किया गया I
शहीदों के परिजनों की मुख्यतय दो शिकायतें
1-आत्म समर्पित नक्सलियों को पुलिस बल में नहीं लिया जाये I
2- आत्म- समर्पित नक्सलियों को पुलिस परिवार से ज्यादा सुख- सुविधा (पुलिस विभाग में नौकरी, घर, बच्चों की मुफ्त शिक्षा आदि ) नहीं दिया जाये I
शहीद के परिजनों की आपत्ति क्यों
'the sootr' के सवालों में तामेश्वर सिन्हा ने कहा - नक्सलियों ने मेरे पिता का गला काट दिया। भाई आरक्षक है अब नक्सल सरेंडर पॉलिसी के चलते नक्सली पुलिस जवान बन रहे हैं I आउट ऑफ टर्न प्रमोशन पाकर "थ्री स्टार" हो गये I
अब आरक्षक भाई "थ्री स्टार" को सलामी देगा! ये अन्याय नहीं तो और क्या हैI अब अपनी मांगों को लेकर शहीद परिवार के लोग जून महीने के तीसरे सप्ताह से एक आंदोलन की रणनीति पर काम कर रहे हैं I
साय सरकार से नाराज़, शहीद परिवार के लोग
सरकार बनते ही मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से शहीद परिवार के परिजनों ने "पहुना" में मुलाकात की थी। साथ ही मांगों से अवगत करवाया था I शहीद के बेटे तामेश्वर सिन्हा का आरोप है कि मुख्यमंत्री साय ने परिजनों से ठीक से बात नहीं की थी I
The sootr ने पड़ताल में क्या पाया
सरकार, छत्तीसगढ़ गृह मंत्रालय के दावे कुछ भी हों, लेकिन हकीकत यही है कि राज्य में आईपीएस, राजनेताओं की जहां मौज सी है तो वहीं छत्तीसगढ़ के जवानों को जंगल और मैदान में भी धूल फांकनी है I साल 2000 से साल 2024 तक छत्तीसगढ़ में 1388 जवानों ने शहादत दी हैI इस आंकड़े में एसपीओ , पुलिस , CRPF, ITBP, BSF सब शामिल है I
Naxal eradication policy | छत्तीसगढ़ में नक्सल समस्या | Chhattisgarh Naxal problem
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