छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में धौंराभाटा के पास गाजरकला नदी पर बने पुल के ऊपर से पानी बह रहा है। गुरुवार को एक युवक ने पुल पार करने की कोशिश की, लेकिन वह पानी की तेज धार में बह गया।
रायपुर. दंतेवाड़ा के किरंदुल शहर में हर तरफ मातम सा पसरा है। कई घर उजड़ गए हैं। कइयों की जिंदगी तबाह हो गई है। वजह, 21 जुलाई को NMDC का बांध टूटा और पानी का सैलाब शहर में उमड़ पड़ा। जब तक लोग कुछ समझ पाते, संभल पाते तब तक उनकी जिंदगी तबाह हो चुकी थी।
बैलाडीला की पहाड़ी से NMDC 11-सी प्लांट की तरफ से लाखों लीटर पानी शहर में आया। समाचार पत्र दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार इसने करीबन 180 से ज्यादा मकानों को अपनी चपेट में लिया। 10 से 15 परिवार बेघर हो गए हैं।
इनके पास अब न तो खाने को कुछ बचा है और न रहने को घर। कइयों की बरसों की जमा पूंजी, सोने-चांदी के जेवर, मकान-दुकान और पढ़ाई-लिखाई के जरूरी दस्तावेज भी पानी के साथ बह गए। पहाड़ से आई इस आपदा में 750 से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं।
इस खौफनाक मंजर को देख एक दंपती तो सदमे में आ गया। पति-पत्नी को अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा है। कई लोगों को राहत शिविरों में रखा गया है।
हमने सोचा की हमारा बेटा अब नहीं बचेगा
अमित मरकाम कहते हैं कि पहाड़ से इतनी तेज गति से पानी उतर रहा था कि घर की दीवारें टूट गईं। घर में 7 साल का उनका बेटा पलंग पर सो रहा था।8 वह पलंग के साथ ही घर से 100 से 150 मीटर की दूरी तक बहा। पेड़ की टहनी से टकराया। पत्थरों से शरीर पर चोट आई। हमने सोचा की हमारा बेटा अब नहीं बचेगा।
यह सब मेरी आंखों के सामने हुआ। कुछ लोगों ने उसकी जिंदगी बचा ली। बच्चा डर गया है। उस मंजर को वह भूल नहीं पा रहा है। इसके अलावा मेरी कार के परखच्चे उड़ गए हैं। बाइक-स्कूटी का पता नहीं है। खूंटे से चार मवेशी बंधे हुए थे, चारों लापता हैं।
उस मंजर याद कर रूह कांप जाती है
किरंदुल में रहने वालीं सुभद्र बिस्वास कहती हैं कि नया मकान बनाने के लिए 4 से 5 लाख रुपए का सामान लेकर आई थी। बाढ़ के पानी ने सब कुछ तबाह कर दिया। पुराना मकान भी ढह गया, नए मकान का सामान बह गया। उस मंजर को याद करूं तो रूह कांप जाती है।'
5 कमरों का खुद का घर था, सब तबाह हो गया
मीना मरकाम वह मंजर याद करते हुए कहती हैं कि इस आफत की बाढ़ ने उनका सब कुछ तबाह कर दिया। 21 जुलाई की दोपहर तक मेरे पास किचन समेत 5 कमरों का खुद का घर था। शाम 4 बजे देखते ही देखते घर बाढ़ के पानी के साथ बह गया। न पहनने के लिए कपड़े बचे, न रहने के लिए घर। न खाने को दाना है और न ही पैसों का सहारा। मेरे पास कुछ है तो सिर्फ खुद की सांसें और अब बची हुई जिंदगी।
( कंटेंट एवं फोटो दैनिक भास्कर के सौजन्य से )