रायपुर. पिछली भूपेश बघेल सरकार में अजब_गजब कारनामे हुए हैं। ये कारनामें एक- एक कर अब सामने आ रहे हैं। नियमों को ताक पर रख कर अरबों के घोटाले हो गए। एक सर्कुलर पर करोड़ों की जमीन कौड़ियों के दाम दे दी गई। और अब तीसरा नया मामला सामने आ गया है।
ये मामला भी हैरतअंगेज है। जुबानी जमा खर्च पर करोड़ों की खरीदी कर ली गई। न ऑर्डर हुआ, न टेंडर हुआ और सप्लाई हो गई। यानी सब कुछ मौखिक आदेश पर हो गया। नियम प्रक्रिया के पालन की जरुरत ही नहीं समझी गई। सवाल खेल और युवक कल्याण विभाग पर उठ रहे हैं क्योंकि ये मामला उनसे ही जुड़ा है। आइए आपको बताते हैं कि क्या है खेल विभाग का खेला।
विधानसभा में खुला मामला
विधानसभा में एक के बाद वे सारे मामले आ रहे हैं जो नियमों को ताक पर रख कर किए गए हैं। बीजेपी के विधायक अपनी सरकार पर इसलिए हमलावर हैं, क्योंकि वे सारे मामले पिछली भूपेश सरकार से जुड़े हुए हैं। सरकार बदल गई है, लेकिन सवाल नहीं बदले हैं और जो सवाल उठाते रहे हैं उनको अब जवाब देना पड़ रहा है।
ऐसा ही एक मामला बीजेपी के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने उठाया। मामला बड़ा हैरान करने वाला था। पिछली सरकार ने मौखिक आदेश देकर खेल विभाग से जुड़ी सामग्री की खरीद कर ली। वो सामग्री सप्लाई भी हो गई। लेकिन एक लाइन का आदेश भी जारी नहीं हुआ।
खेल विभाग का खेला
2 सितंबर 2023 को छत्तीसगढ़ में राजीव युवा मितान क्लब सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस आयोजन में राहुल गांधी को बुलाया गया था। खेल एवं युवक कल्याण विभाग ने गोल्डन मोमेंट्स संस्थान को 2 सितंबर से पहले टीशर्ट और कैप सप्लाई करने का मौखिक आदेश दिया गया।
मोमेंट्स संस्थान को सवा लाख टीशर्ट जिनकी कीमत 250 रुपए प्रति टीशर्ट तय की गई और सवा लाख कैप, जिनकी कीमत 50 रुपए प्रति कैप निर्धारित की गई। 250 रुपए प्रति टीशर्ट के हिसाब से सवा लाख टीशर्ट की कीमत 3 करोड़ 12 लाख रुपए हुई। इसी तरह 50 रुपए प्रति कैप के हिसाब से सवा लाख कैप की कीमत 62 लाख 50 हजार रुपए हुई। कुल मिलाकर यह खरीदी 3 करोड़ 74 लाख 50 हजार यानी पौने चार करोड़ रुपए की हुई। गोल्डन मोमेट्स ने यह टीशर्ट और कैप 20 अगस्त 2023 से 1 सितंबर 2023 के बीच कर दी।
यह डिलेवरी हॉकी स्टेडियम कोटा में की गई। जहां से जिला खेल अधिकारी इस सामग्री को अपने अपने जिले में ले गए। उन्होंने रजिस्टर में पावती भी दी। अब यहां पर सवाल खड़े होते हैँ कि क्या ये बिना टेंडर,बिना ऑर्डर के इस तरह की खरीदी करना नियमों के अनुसार है। क्या इसमें नियमों के खिलाफ जाकर काम नहीं किया गया।
क्या इस खरीदी में करोड़ों के गोलमाल की आशंका पैदा नहीं होती है। सवाल इसलिए भी है क्योंकि आज तक इस तरह की खरीदी के लिए मौखिक आदेश देने वाले और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
खेल विभाग ने खड़े किए हाथ
यह मामला पिछली भूपेश सरकार का था। लेकिन जवाब देना पड़ रहा है वर्तमान खेल मंत्री टंकराम वर्मा को। मंत्री वर्मा कहते हैं कि खेल विभाग ने इस तरह का कोई मौखिक आदेश नहीं दिया था।
इसलिए अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब सवाल है कि राजीव युवा मितान क्लब के सम्मेलन में जो सवा लाख युवा टीशर्ट और कैप लगाए थे वे कहां से आ गए। मोमेंट्स संस्थान ने सप्लाई फिर किस आधार पर की। सवाल तो कई हैं लेकिन इनका जवाब जांच से ही मिल सकता है। चूंकि मामला पिछली सरकार का है तो फिर इस सरकार को जांच कराने से परहेज क्यों है।