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Impact Feature
Raipur. छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग कभी उस इलाके के रूप में जाना जाता था, जहाँ कदम रखने से पहले डर महसूस होता था। नक्सली वारदातें, लगातार धमकियाँ, सड़क और संचार की कमी। सरकारी योजनाओं की सीमित पहुँच और विकास का रुक जाना... ये सब बस्तर को बदनाम करते थे।
अब मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में माहौल बदला है। सुरक्षा व्यवस्था मजबूत हुई है। सड़कें पहुँचीं हैं। मोबाइल कनेक्टिविटी ने लोगों को मुख्यधारा से जोड़ा है। सरकार की योजनाओं ने ऐसे इलाकों को भी बदल दिया, जहाँ दशकों तक कुछ नहीं बदला था।
इन बदलावों का सीधा असर पर्यटन पर हुआ है। बस्तर अब नया एडवेंचर डेस्टिनेशन बनता जा रहा है। पहाड़ों, झरनों, घने जंगलों, गुफाओं और आदिवासी संस्कृति से भरे इस क्षेत्र में पर्यटकों की आवाजाही बढ़ रही है। सरकार के प्रयासों ने माहौल को इतना सुरक्षित बना दिया है कि वे स्थान जहाँ पहले जाना असंभव माना जाता था, अब यात्रा की नई पसंद बन रहे हैं।
हिंसा में गिरावट से शुरू हुई नई यात्रा
छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में बस्तर में हाल के वर्षों में नक्सली गतिविधियों में भारी गिरावट आई है। सुरक्षा बलों की मजबूत मौजूदगी, नए सुरक्षा शिविरों का निर्माण और सघन अभियान ने उन जगहों को भी स्थिरता दी है, जहाँ कभी पुलिस चौकी बनाना तक मुश्किल था।
जंगलों और पहाड़ियों के भीतर बसे गाँवों तक सड़कें पहुँचना शुरू हुईं। रास्ते अब पहले जैसे डरावने नहीं लगते। जहाँ कभी सुरक्षा की चिंता रहती थी, आज लोग आराम से वाहनों में बैठकर चित्रकोट, तीरथगढ़, बरसूर, अबूझमाड़ और कुटुमसर जैसी जगहों तक पहुँच रहे हैं।
इतना बड़ा बदलाव पर्यटन के लिए बुनियाद साबित हुआ है। सुरक्षा के बिना पर्यटन असंभव है और इसी सुधार ने बस्तर के लिए नए अध्याय की शुरुआत की है।
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इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार से मिली रफ्तार
बस्तर में मोबाइल नेटवर्क की पहुँच कई गुना बढ़ी है। इंटरनेट कनेक्टिविटी ने क्षेत्र को दुनिया से जोड़ दिया है। सड़कें सुधरीं हैं। पुल बने और दुर्गम रास्तों को सुगम बनाया गया है। कई गाँव जहाँ सरकार की पहुँच दशकों तक नहीं थी, अब पर्यटन मानचित्र में शामिल हो रहे हैं।
सुरक्षित वातावरण और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर ने बस्तर को उस स्तर पर पहुँचा दिया है, जहाँ यह अब वन्य पर्यटन, इको-टूरिज्म, ग्रामीण पर्यटन और सांस्कृतिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन सकता है।
सरकार की पर्यटन नीतियाँ नई शुरुआत
दिसंबर 2023 में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के पदभार ग्रहण करने के बाद सरकार ने बस्तर को ग्लोबल टूरिज्म हब बनाने का लक्ष्य तय किया। उनके निर्देशों पर बड़ी संख्या में नई योजनाएँ शुरू हुईं। सरकार की प्राथमिकता तीन प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित रही है। इनमें लोकप्रिय स्थानों का विकास, नए पर्यटन स्थलों की पहचान और निजी निवेश आकर्षित कर पर्यटन उद्योग को खड़ा करना है। इसके लिए प्रशासनिक और जमीनी स्तर पर कई नई नीतियाँ लागू की गई हैं।
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बम्बू राफ्टिंग: बस्तर के इको-टूरिज्म की पहचान
1 जून 2025 को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कोंडागांव जिले के भोंगापाल गाँव में बम्बू राफ्टिंग केंद्र का शुभारंभ किया। धुद नदी के शांत प्रवाह पर बांस की नाव से होने वाली यह गतिविधि बस्तर की पहचान बन गई है।
यहाँ पहुँचने के लिए जगदलपुर से स्थानीय टैक्सी या निजी वाहन आसानी से उपलब्ध हैं। प्रति व्यक्ति 200–500 रुपए की लागत में यह अनुभव पर्यटकों को प्रकृति के बेहद करीब ले जाता है। बम्बू राफ्टिंग से स्थानीय युवाओं को रोजगार मिला है। गाँवों में आय बढ़ी है।
बस्तर टूरिस्ट कॉरिडोर क्षेत्र को जोड़ने वाली कड़ी
मुख्यमंत्री साय की अध्यक्षता में बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण की बैठक में बस्तर टूरिस्ट कॉरिडोर का प्रस्ताव मंजूर किया गया है। यह कॉरिडोर चित्रकोट, तीरथगढ़, बारसूर, मंडवा झरना, कुटुमसर गुफा और अन्य प्रमुख स्थानों को एक साथ जोड़ेगा।
कॉरिडोर के साथ-साथ नेशनल हाईवे 130-डी के कुछ हिस्सों का निर्माण, नई रावघाट–जगदलपुर रेल लाइन और सड़क सुधार जैसे कदम पर्यटन और व्यापार दोनों में मदद करेंगे।
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पांडुम कैफे पुनर्वास और शांति का प्रतीक
17 नवंबर 2025 को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जगदलपुर स्थित 'पांडुम कैफे' का उद्घाटन किया। यह पहल बस्तर में पुनर्वास कार्यक्रम का महत्वपूर्ण हिस्सा है। कैफे का संचालन स्थानीय युवाओं द्वारा किया जाता है, जिनमें नक्सली हिंसा के पीड़ित और आत्मसमर्पण कर चुके पूर्व माओवादी शामिल हैं। कैफे की टैगलाइन है— जहाँ हर कप एक कहानी कहता है, जो संघर्ष से नई शुरुआत की यात्रा को दर्शाता है।
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छत्तीसगढ़ होमस्टे नीति
सरकार ने ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में होमस्टे को बढ़ावा देने के लिए यह नई नीति लागू की है। स्थानीय लोग अपने घरों का एक हिस्सा पर्यटकों को किराए पर दे सकेंगे, जिससे उन्हें आय मिलेगी और पर्यटक स्थानीय जीवनशैली का अनुभव ले सकेंगे। इस नीति का लाभ बस्तर और सरगुजा जैसे इलाकों में सबसे अधिक होगा।
4 अक्टूबर 2025 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जगदलपुर से इस योजना की शुरुआत की है। पहले चरण में 34 मार्गों से 11 जिलों के लगभग 250 गाँवों को जिला और तहसील मुख्यालयों से जोड़ा जा रहा है। ग्रामीण मार्गों पर बसें चलाने के लिए ऑपरेटरों को प्रति किलोमीटर 26 रुपये की सहायता दी जाती है। स्थिति यह है कि पहले जिन क्षेत्रों में बसें नहीं थीं, अब वहाँ पर्यटक आसानी से पहुँच सकते हैं।
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धुड़मारास गाँव: UNWTO की मान्यता से मिली पहचान
बस्तर का धुड़मारास गाँव नवंबर 2024 में संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) के बेस्ट टूरिज्म विलेजेज अपग्रेडेशन प्रोग्राम के लिए चुना गया है। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के भीतर बसे इस गाँव में बैंबू राफ्टिंग, कयाकिंग, ट्रेकिंग, बर्ड वॉचिंग और स्थानीय होमस्टे जैसी गतिविधियाँ पर्यटकों को आकर्षित कर रही हैं।
आसान पहुँच के साथ बढ़ा आकर्षण
बस्तर को इसकी खूबसूरती के कारण 'भारत का अज्ञात स्वर्ग' कहा जाता है। अब जब सड़कें बेहतर हो गई हैं। जगदलपुर से प्रमुख पर्यटन स्थलों तक पहुँचना काफी आसान हो गया है।
चित्रकोट जलप्रपात – भारत का मिनी नियाग्रा
तीरथगढ़ जलप्रपात – धुंध से भरा मंत्रमुग्ध करने वाला दृश्य
कुटुमसर और कैलाश गुफाएँ – रहस्यमयी भूमिगत संसार
अबूझमाड़ – भारत का सबसे कम खोजा गया जंगल
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कोंडागांव में विकसित इको-टूरिज्म सर्किट में जंगल वॉक, बर्ड वॉचिंग, हेरिटेज टूर, जंगल कैंप जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं। पर्यटक यहाँ प्रकृति की वास्तविक खूबसूरती को महसूस करते हैं। इससे स्थानीय युवाओं को गाइड, ट्रैवल असिस्टेंट और होमस्टे मैनेजर जैसे रोजगार मिल रहे हैं।
गौरतलब है कि बस्तर सिर्फ प्रकृति नहीं, संस्कृति की भी धरोहर है।
बस्तर दशहरा: दुनिया का सबसे लंबा चलने वाला त्योहार
मड़ई उत्सव: परंपराओं का अनूठा संगम
सरकार इन उत्सवों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बढ़ावा दे रही है।
बस्तर में नया इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन
सरकार की नजर सिर्फ प्राकृतिक सुंदरता पर नहीं, बल्कि पर्यटन व्यवस्था पर भी है। बस्तर इन्वेस्टर्स कनेक्ट 2025 में सरकार ने होटल, रिजॉर्ट, वेलनेस सेंटर और एडवेंचर स्पोर्ट्स प्रोजेक्ट के लिए 45% सब्सिडी और हिंसा पीड़ित परिवारों के लिए अतिरिक्त 10% सब्सिडी की घोषणा की है। यह पूरे देश में दिया गया सबसे बड़ा पर्यटन प्रोत्साहन है।
इसी के साथ सरकार ने हैंडीक्राफ्ट, बस्तर आर्ट, कोदो–कुटकी आधारित खाद्य उत्पाद, वन उत्पाद, हस्तनिर्मित आभूषण को राष्ट्रीय बाजार से जोड़ने की योजना बनाई है। युवाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें नौकरी पाने वाला नहीं बल्कि नौकरी देने वाला बनाया जा रहा है।
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