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छत्तीसगढ़ में बनने वाला एससीआर प्राधिकरण राज्य की सबसे बड़ी संस्था होगी। खास बात ये है कि इसे हैदराबाद की एससीआर की तर्ज पर बनाया जाएगा। इस कार्यक्रम के अध्यक्ष मुख्यमंत्री विष्णु देव साय होंगे। उनके साथ तीन मंत्री और वरिष्ठ सचिवों का एक समूह भी शामिल होगा। इस प्राधिकरण को लैंड एरिया डेवलपमेंट, भूमि अधिग्रहण का अधिकार होगा। क्षेत्र का विकास करने के साथ ही यह पर्यावरण की रक्षा के लिए भी काम करेगा।
इसका दायरा रायपुर, नवा रायपुर, भिलाई दुर्ग तक होगा, लेकिन जरुरत पड़ने पर इसमें अभनपुर और राजनांदगांव तक का विस्तार किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में शुक्रवार को इस प्राधिकरण गठन के गठन संबंधी विधेयक के प्रारूप को मंजूरी दी गई है। लेकिन यह हाल-फिलहाल की कवायद नहीं है। 2023 में हुए राज्य विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एससीआर बनाने का वादा किया था। यह वादा पूरा करने वाला काम भी है।
23 नगरीय निकाय और 700 गांव होंगे शामिल
राज्य की कुल जनसंख्या का 27 प्रतिशत हिस्सा शहरी क्षेत्रों में रहता है। जो कि 2047 तक बढ़कर 45 प्रतिशत होना संभावित है। इस शहरी आबादी का मुख्य हिस्सा राजधानी क्षेत्र में रहने वालों का होगा। इस क्षेत्र में (एससीआरए) में 23 नगरीय निकाय और 700 से अधिक गांव शामिल होने का अनुमान है।
एससीआर प्राधिकरण बनेगा सबसे बड़ी संस्था- छत्तीसगढ़ में बनने वाला एससीआर प्राधिकरण राज्य की सबसे बड़ी विकास संस्था होगा, जिसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय करेंगे। रायपुर से राजनांदगांव तक फैलेगा दायरा- इसका दायरा रायपुर, नवा रायपुर, भिलाई, दुर्ग तक होगा और जरूरत पड़ने पर अभनपुर व राजनांदगांव तक भी विस्तार हो सकता है। 23 नगर निकाय और 700 गांव होंगे शामिल- इस प्राधिकरण में 23 नगरीय निकाय और 700 से अधिक गांव शामिल होंगे, जिससे लगभग 50 लाख लोगों को सीधा लाभ मिलेगा। भूमि अधिग्रहण से लेकर पर्यावरण संरक्षण तक जिम्मेदारी- यह प्राधिकरण भूमि अधिग्रहण, लैंड डेवलपमेंट, पर्यावरण संरक्षण, औद्योगिक और आवासीय विकास जैसे बड़े कार्य करेगा। विधानसभा सत्र में आएगा बिल- इस प्राधिकरण के लिए विधेयक का प्रारूप तैयार हो चुका है, जिसे मानसून सत्र में विधानसभा में पेश किया जाएगा। पारित होने के बाद यह एक्ट लागू होगा। |
भूमि अधिग्रहण से लेकर लैंड डेवलपमेंट भी
यह प्राधिकरण क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण करने के साथ ही संबंधित क्षेत्र में लैंड डेवलपमेंट का काम भी करने वाला है। खास बात ये है कि राज्य में पहली बार इतना प्रभावशाली एक्ट लाया गया है और यह प्राधिकरण राज्य की सबसे बड़ी संस्था के रूप में सामने आएगा। मुख्यमंत्री प्राधिकरण के अध्यक्ष होंगे, उनके साथ तीन मंत्री और कई वरिष्ठ सचिवों का एक समूह भी प्राधिकरण में शामिल होगा।
प्राधिकरण करेगा ये कामछत्तीसगढ़ में वर्तमान में नगर तथा ग्राम निवेश एक्ट 1975 के माध्यम से काम किया जा रहा है। यह एक्ट केवल ले आउट पास करने और भवन निर्माण की अनुमति देने तक के सीमित अधिकार रखता है। लेकिन इससे उलट एससीआर प्राधिकरण न केलल इन्वेस्टमेंट प्लान बनाने का काम करेगा, बल्कि उसके क्रियानव्यन का अधिकार भी इस प्राधिकरण के जिम्मे होगा।
पर्यावरण सरंक्षण के लिए भी कामएससीआर प्राधिकरण के हिस्से पर्यावरण संरक्षण का भी काम होगा। इसके लिए प्राधिकरण खुद योजना बनाएगा और उसका क्रियान्वयन भी करेगा। इसके साथ ही औद्योगिक विकास और आवासीय क्षेत्र विकास भी करने में यह प्राधिकरण सक्षम होगा।
50 लाख की आबादी को सीधा लाभ
इस प्राधिकरण के मौजूदा स्वरूप में रायपुर, नवा रायपुर, भिलाई और दर्ग शामिल होंगे। इस क्षेत्र में 50 लाख की आबादी संभावित है, जिसे एससीआर प्राधिकरण के विकास का सीधा लाभ मिलेगा। राज्य सरकार ने बजट में इसके लिए प्रारंभिक रूप से 5 करोड़ रुपयों का प्रावधान किया था। लेकिन इसमें दो हजार करोड़ रुपए व्यय होने की संभावना है। प्राधिकरण संबंधी विधेयक राज्य विधानसभा के मानसून सत्र में पेश किया जा सकता है। विधेयक पारित होने के बाद एक्ट बन कर लागू होगा।
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