भिलाई में आयोजित एमएसएमई के राष्ट्रीय सम्मेलन में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने छोटे और मझोले उद्योगों (एमएसएमई) के लिए कई अहम घोषणाएं कीं, जो प्रदेश के औद्योगिक विकास को एक नई दिशा देने वाली हैं। इस सम्मेलन में लघु उद्योग भारती की मांगों पर तेजी से काम करने का वादा किया गया। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि जल्द ही एमएसएमई के लिए एक अलग मंत्रालय बनाया जाएगा, जो इस क्षेत्र की समस्याओं और विकास पर ध्यान केंद्रित करेगा। साथ ही, कौशल विकास के लिए जमीन मुहैया कराने की मांग को भी मंजूरी दी गई।
नई उद्योग नीति का वादा
मुख्यमंत्री साय ने राज्य स्थापना दिवस के मौके पर नई उद्योग नीति लागू करने का वादा किया। यह नीति न सिर्फ बड़े उद्योगपतियों बल्कि छोटे और मझोले उद्यमियों के लिए भी लाभकारी होगी। उन्होंने इसे सभी के लिए संतुलित और विकासोन्मुखी नीति बताया। इस नई नीति से राज्य के औद्योगिक परिदृश्य में बड़ा बदलाव आने की उम्मीद जताई जा रही है।
मंत्री लखनलाल देवांगन का समर्थन
उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन ने कहा कि नई उद्योग नीति को जल्द ही कैबिनेट में पेश किया जाएगा और इसे लागू करने की प्रक्रिया तेजी से होगी। उन्होंने कांग्रेस सरकार के समय से बकाया कस्टम मीलिंग की राशि को जल्द ही राइस मिलर्स को चुकाने का आश्वासन भी दिया, जिससे इस क्षेत्र को राहत मिलेगी।
प्रमुख मांगें
इस सम्मेलन में एमएसएमई प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री के सामने कुछ प्रमुख मांगें रखीं, जैसे कि
- एमएसएमई के लिए पृथक मंत्रालय की स्थापना।
- कस्टम मिलिंग की बकाया राशि का शीघ्र भुगतान।
- आयातित खाद्यान्न पर मंडी शुल्क में छूट।
- डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) व्यवस्था को लागू करने की मांग।
- लघु उद्योग भारती के लिए जमीन आवंटन।
सम्मेलन की खासियत
भिलाई के अग्रसेन भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में चार राज्यों से लघु उद्योग भारती के सदस्य शामिल हुए थे। कार्यक्रम में विधायक ललित चंद्राकर और विधायक गजेंद्र यादव भी मौजूद थे, जिन्होंने एमएसएमई क्षेत्र के विकास पर जोर दिया और इसे प्रदेश की आर्थिक समृद्धि का आधार बताया। इस सम्मेलन को एमएसएमई क्षेत्र में नए अवसर और नीतियों के क्रियान्वयन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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