स्वास्थ्य महकमें में दवा खरीदी में बड़ा खेला चल रहा है। यह शिकायती चिट्ठी राजभवन पहुंची है। इसकी कॉपी सीएम विष्णुदेव साय और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल को भी भेजी है। इस शिकायत के बाद स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया है। द सूत्र के पास भी यह चिट्ठी है। चिट्ठी तो एक कॉमनमैन ने लिखी है लेकिन इसमें जो प्वाइंट उठाए हैं वे स्वास्थ्य विभाग में चल रहे कॅरप्शन के खेल की परतें उधेड़ रहे हैं। द सूत्र ने जब ये सवाल सरकार के सामने उठाए तो सरकार हरकत में आ गई। द सूत्र ने स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल से पूछा कि यह भ्रष्टाचार का खेल क्यों चल रहा है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि आप प्रमाण दीजिए हम तत्काल कार्रवाई करेंगे।
एक कॉमनमैन की शिकायत
यह शिकायत रायपुर में रहने वाले यशवंत कुमार सिन्हा ने की है। इसकी कॉपी सीएम विष्णुदेव साय और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल को भी भेजी है। सिन्हा का कहना है कि बिना बजट के ही 190 करोड़ का क्रय आदेश जारी कर दिया गया। सिन्हा ने कहा है कि दवाओं की खरीदी में छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कार्पोरेशन यानी सीजीएमएससी के जीएम और दवा सप्लाई करने वाली 9 एम इंडिया लिमिटेड कंपनी के बीच कमीशन का खेल चल रहा है। सिन्हा ने इस पूरे मामले की जांच की मांग की है। आइए आपको बताते हैं कि सिन्हा ने अपने पत्र में क्या_क्या आरोप लगाए हैं।
बिना बजट के 190 करोड़ का क्रय आदेश जारी
सिन्हा ने अपने पत्र में लिखा है कि CGMSC में दवाइयों की खरीदी मनमाने ढंग से की जा रही है। हाल ही के वित्तीय वर्ष 2024-25 में एक ही कंपनी 9 एम इण्डिया लिमिटेड को 190 करोड़ का क्रय आदेश बिना किसी बजट व वितीय अनुमोदन के आपातकालीन दवाई बताते हुए जारी किया गया। जबकि किसी भी प्रकार की आपातकालीन स्थिति नहीं है। कंपनी को क्रय आदेश जारी करने के पीछे जीएम टेक्नीकल (दवाई) और कंपनी के बीच कमीशन का खेल है| निविदा नियमों को दरकिनार करते हुए कंपनी को सप्लाई के लिए अतिरिक्त समय दिया गया और कोई पेनाल्टी भी नहीं लगाई गई। निविदा नियम में बिना पेनाल्टी के अतिरिक्त समय देने का कोई प्रावधान नहीं है| इसके बाद भी जीएम ने नियमों को ताक पर रखते हुए बिना पेनाल्टी के अतिरिक्त समय दिया।
विधानसभा में उठा दवाई खरीदी का मुद्दा
हाल ही में हुए विधानसभा के मानसून सत्र में भी दवाओं की खरीदी का मुद्दा उठा था। बीजेपी के वरिष्ठ विधायक धरम लाल कौशिक ने 9 एम इण्डिया लिमिटेड कंपनी को नियम के विरुद्ध जाकर बिना मांग पत्र के करोडों रूपये के क्रय आदेश जारी करने के संबंध में सवाल पूछा था। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने जवाब देते हुए इस मामले की जांच के आदेश दिए थे। इसके बाद भी CGMSC 50 करोड़ रूपये भुगतान करने की तैयारी कर रही है।
CGMSC के जीएम और आईटी शाखा के द्वारा उपयोगकर्ता विभाग के जानकारी के बिना उनकी ID से फर्जी डिमांड बनाकर DHS को भेजी गई। जिसके बाद DHS से CGMSC को डिमांड भेजी गई। पहले दवाओं की इतनी बड़ी मात्रा में आवश्यकता कभी नहीं पड़ी है| CGMSC के द्वारा 9 एम इण्डिया लिमिटेड कंपनी के साथ जो दर अनुबंध किया गया वह भी मार्केट रेट से बहुत अधिक है, दर अनुबंध करते समय मार्केट रेट और अन्य राज्य के कार्पोरेशन से तुलना नहीं की गई।
लैब टेस्टिंग में दवाइयां अमानक
9 एम इण्डिया लिमिटेड कंपनी की दवाओं की क्वालिटी में लैब टेस्टिंग के दौरान बहुत कमी पाई गई। जिसकी रिपोर्ट को जीएम के द्वारा दबा दिया गया जिससे कंपनी को क्रय आदेश जारी करने में किसी भी प्रकार की परेशानी ना हो। CGMSC और 9 एम इण्डिया लिमिटेड कंपनी के बीच कमीशन के खेल के कारण आम जनता को अच्छी गुणवत्ता की दवाएं नहीं मिल पा रही हैं। वहीं जरुरत से ज्यादा दवाओं की खरीदी की जा रही है। दवाओं की खरीदी इतनी ज्यादा हो गई है कि उनको सड़कों पर फेंका जा रहा है। सीएजी की रिपोर्ट में भी 190 करोड़ के क्रय आदेश का बिना वित्तीय बजट व अनुमोदन के जारी करना नियमों के विपरीत बताया गया है।
कार्पोरेशन के जीएम और दवा कंपनी के बीच पार्टनशिप का आरोप
जीएम हिरेन पटेल और दवा कंपनी की पार्टनरशिप का आरोप भी इस पत्र में लगाया गया है। इस पत्र में लिखा गया है कि पहे हिरेन पटेल FDA में पदस्थ थे जहां उन पर इस दवा कंपनी को फर्जी तरीके से लाइसेंस दिलाने में अहम भूमिका निभाने का आरोप है। कांग्रेस सरकार में अपने प्रभाव से CGMSC में जीएम के पद पर अपनी पोस्टिंग करा ली। सिन्हा ने राज्यपाल से मांग की है कि इस पूरे मामले की जांच कराई जाए और दोषियों को दंडित किया जाए।
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