कांग्रेस ने हाईकमान को भेजी हार की रिपोर्ट, 25 विधायक साबित हुए कमजोर कड़ी

कांग्रेस के 10 विधायक ही ऐसे रहे जो अपने क्षेत्र में कांग्रेस को लीड दिलाने में कामयाब रहे। इसके अलावा दिग्गजों के चुनाव क्षेत्र में स्थानीय कार्यकर्ता मुंह दिखाई में लगे रहे और जमीन पर काम हुआ ही नहीं...

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Deeksha Nandini Mehra
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बदलेगा कांग्रेस का कुनबा
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अरुण तिवारी @ रायपुर.

छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने पार्टी कमान को हार की रिपोर्ट सौंपी है। हाल ही में हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज ने ये रिपोर्ट सौंपी। इस गोपनीय रिपोर्ट में कांग्रेस की हार के कारण बताए गए हैं। पिछले छह महीने में कांग्रेस की ये दूसरी बुरी तरह हार है। इस रिपोर्ट में सबसे बड़ा कारण विधायकों की खराब परफॉर्मेंस को बताया गया है। कांग्रेस के कुल 35 विधायक हैं जिनमें 25 विधायक फिसड्डी साबित हुए हैं। 10 विधायक ही ऐसे रहे जो अपने क्षेत्र में कांग्रेस को लीड दिलाने में कामयाब रहे। इसके अलावा दिग्गजों के चुनाव क्षेत्र में स्थानीय कार्यकर्ता मुंह दिखाई में लगे रहे और जमीन पर काम हुआ ही नहीं। विधायकों की निष्क्रियता की इस रिपोर्ट के बाद ये माना जा रहा है कि कांग्रेस में बड़े पैमाने पर बदलाव किया जाएगा। 

हार की गोपनीय रिपोर्ट 

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की लोकसभा चुनाव में बुरी तरह हार हुई है। वह 11 में से 10 सीटें हार गई है। यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत पूर्व मंत्री शिवकुमार डेहरिया, ताम्रध्वज साहू,कवासी लखमा और विधायक देवेंद्र यादव जैसे दिग्गज तक हार गए। कांग्रेस ने हार के कारणों की रिपोर्ट तैयार कर दिल्ली भेजी है।

 इसके अलावा हर उम्मीदवार, विधायक और जिला अध्यक्षों से भी हार के कारणों के बारे में डिटेल रिपोर्ट देने को कहा गया है। कांग्रेस की इस गोपनीय रिपोर्ट में हार की सबसे बड़ी वजह विधायकों की निष्क्रियता रही है। प्रदेश में कांग्रेस के 35 विधायक हैं इनमें से 25 विधायकों के क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा है।

यहां तक कि भूपेश बघेल,चरणदास महंत और कवासी लखमा के विधानसभा क्षेत्र में ही बीजेपी उम्मीदवारों को लीड मिली है। इसके अलावा यह बात भी सामने आई है कि स्थानीय कार्यकर्ता सिर्फ बड़े नेताओं के आसपास ही घूमते रहे। उन्होंने जमीनी स्तर पर कोई मेहनत नहीं की। 

इन कांग्रेस विधायकों के क्षेत्र में बीजेपी को मिली लीड 

भूपेश बघेल - पाटन
देवेंद्र यादव - भिलाई नगर
कवासी लखमा -कोंटा
अंबिका मरकाम -सिहावा
संगीता सिन्हा -संजारी बालौद
कुंवर सिंह निषाद - गुंडरदेही
चातुरी नंद - सराईपाली
जनक ध्रुव -बिंद्रानवागढ़
द्वरकाधीश यादव -खल्लारी
ओमकार साहू -धमतरी
यशोदा निलांबर वर्मा -खैरागढ़
हर्षिता स्वामी बघेल - डोंगरगढ़
दलेश्वर साहू - डोंगरगांव
विद्यावती सिदार - लैलूंगा
उत्तरी गनपत जांगड़े - सारंगढ़
उमेश पटेल - खरसिया
लालजीत सिंह राठिया - धरमजयगढ़
राघवेंद्र कुमार सिंह_अलकतरा
व्यास कश्यप - जांजगीर चांपा
चरणदास महंत - सक्ती
रामकुमार यादव -चंद्रपुर
संदीप साहू - कसडोल
अटल श्रीवास्तव -कोटा
दिलीप लहरिया - मस्तूरी
इंद्र साव - भाटापारा

इन विधायकों का परफॉर्मेंस अच्छा 

लखेश्वर बघेल -बस्तर
विक्रम मंडावी - बीजापुर
अनिला भेड़िया- डोंडीलौहारा
सावित्री मंडावी - भानुप्रतापपुर
भोलाराम साहू - खुज्जी
इंद्रशाह मंडावी - मोहला मानपुर
शेषराज हरवंश -पामगढ़
बालेश्वर साहू - जैजैपुर
कविता प्राणलहरे - बिलाईगढ़
फूलसिंह राठिया - रामपुर


तो कांग्रेस की होती इतनी सीटें 

रिपोर्ट में यह भी लिखा गया है कि यदि 25 विधायकों का परफार्मेंस अच्छा होता तो कांग्रेस के पास एक नहीं बल्कि चार सीटें होती। कोरबा के अलावा राजनांदगांव,रायगढ़,कांकेर और जांजगीर चांपा में भी कांग्रेस सांसद होते। रिपोर्ट में इसका कारण भी बताया गया है। 

  • राजनांदगांव : यहां पर विधानसभा की आठ सीटें हैं। पांच सीटें कांग्रेस के पास और तीन सीटें बीजेपी के पास हैं। 
  • रायगढ़ : यहां पर आठ विधानसभा सीटें हैं। इनमें से चार पर बीजेपी और चार पर कांग्रेस का कब्जा है। 
  • कांकेर : इस लोकसभा सीट पर आठ विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें पांच कांग्रेस के पास और तीन सीटें बीजेपी के पास हैं। 
  • जांजगीर चांपा : इस लोकसभा सीट पर आठ विधानसभा सीटें हैं। इन सभी पर कांग्रेस के विधायक हैं। 


कांग्रेस के कुनबे में बदलाव के संकेत 

इस हार के बाद कांग्रेस के कुनबे में बड़े पैमाने पर बदलाव की आहट नजर आने लगी है। हाईकमान ने इसके संकेत दे दिए हैं। हालांकि पीसीसी चीफ दीपक बैज अपना कार्यकाल पूरा कर सकते हैं लेकिन बाकी टीम में उपर से नीचे तक बदलाव होगा।

आधे जिलाअध्यक्षों को भी हटाया जाएगा। छह महीने बाद निकाय चुनाव हैं और उससे पहले कांग्रेस अपने संगठन में कसावट लाना चाहती है ताकि निकाय चुनाव में जीत हासिल कर सरकार को लोगों का भरोसा जीतने में नाकाम बता सके।

इसके बाद चार साल कोई चुनाव नहीं होना है इसलिए कोई बड़ा नेता संगठन की कमान लेना भी नहीं चाहता। कांग्रेस के नेता कहते हैं कि भूपेश,महंत या टीएस सिंहदेव जैसे बड़े नेता अभी कोई बड़ा पद लेना नहीं चाहते। जब चुनाव आएंगे तब इनमें से किसी को पार्टी की कमान दे दी जाएगी।

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arun tiwari

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