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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में गणेशोत्सव का उत्साह चरम पर है। शहर के विभिन्न पंडालों में एक से बढ़कर एक मनमोहक और भव्य गणेश प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं, जो भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। लेकिन इस उत्सवी माहौल के बीच एक नया विवाद खड़ा हो गया है।
शहर के कुछ पंडालों में गणेश जी की ऐसी प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं, जिन्हें कार्टून, बेबी डॉल, और ऑफ-शोल्डर जैसे आधुनिक और गैर-परंपरागत रूपों में बनाया गया है। इन प्रतिमाओं को लेकर हिंदू संगठनों और संत समाज ने कड़ा विरोध जताया है और इसे सनातन धर्म के अपमान से जोड़कर देखा है।
विरोध प्रदर्शन के तहत समस्त हिंदू संगठन और संत समाज ने रायपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) कार्यालय पहुंचकर अपनी आपत्ति दर्ज की है। संगठनों ने इन प्रतिमाओं को तत्काल हटाने और उनका विसर्जन करने की मांग की है।
साथ ही, इस मामले में जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की अपील की गई है। इस विवाद ने न केवल गणेशोत्सव की रौनक को प्रभावित किया है, बल्कि धार्मिक भावनाओं और सामाजिक सौहार्द को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए हैं।
विवाद का केंद्र गैर-परंपरागत गणेश प्रतिमाएं
गणेशोत्सव के दौरान रायपुर के विभिन्न पंडालों में गणेश जी की प्रतिमाएं भक्तों की श्रद्धा और आस्था का प्रतीक होती हैं। इस बार भी शहर में भव्य और रचनात्मक प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं, जिनमें पर्यावरण के प्रति जागरूकता और सामाजिक संदेशों को दर्शाने वाली थीम्स शामिल हैं।
हालांकि, कुछ पंडालों में गणेश जी की प्रतिमाओं को कार्टून, बेबी डॉल, और ऑफ-शोल्डर जैसे आधुनिक और गैर-परंपरागत रूपों में बनाया गया है। इन प्रतिमाओं में गणेश जी को आधुनिक परिधानों, जैसे जींस, टी-शर्ट, या ऑफ-शोल्डर ड्रेस में दर्शाया गया है, जो परंपरागत रूप से स्वीकार्य गणेश प्रतिमाओं से बिल्कुल अलग है।
हिंदू संगठनों का कहना है कि इस तरह की प्रतिमाएं न केवल गणेश जी की पवित्रता और गरिमा को ठेस पहुंचाती हैं, बल्कि सनातन धर्म की भावनाओं का भी अपमान करती हैं। संगठनों ने इसे एक सुनियोजित साजिश करार दिया है, जिसका मकसद हिंदू धर्म को कमजोर करना और सामाजिक माहौल को बिगाड़ना है।
एक हिंदू संगठन के प्रतिनिधि ने कहा, "गणपति हमारे राजा और विघ्नहर्ता हैं। उन्हें इस तरह के हास्यास्पद और अपमानजनक रूप में दर्शाना पूरी तरह अस्वीकार्य है। यह हमारी आस्था पर चोट है।"
SSP कार्यालय में विरोध और शिकायत
विवाद बढ़ने के बाद समस्त हिंदू संगठन और संत समाज के प्रतिनिधियों ने रायपुर के SSP कार्यालय में प्रदर्शन किया और एक शिकायती पत्र सौंपा। इस पत्र में मांग की गई कि ऐसी सभी प्रतिमाओं को तत्काल हटाया जाए और उनका विसर्जन किया जाए।
संगठनों ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ असामाजिक तत्व जानबूझकर इस तरह की प्रतिमाएं स्थापित कर धार्मिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने SSP से मांग की कि इस मामले की तत्काल जांच हो और दोषी आयोजकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि इस तरह की गतिविधियों पर रोक नहीं लगाई गई, तो वे बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। संत समाज के एक प्रतिनिधि ने कहा, "हमारी संस्कृति और धर्म का मजाक उड़ाने की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती। पुलिस को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।"
सामाजिक और धार्मिक माहौल पर असर
इस विवाद ने रायपुर में गणेशोत्सव के उत्साह पर असर डाला है। एक तरफ जहां भक्त गणेश जी की भक्ति में लीन हैं, वहीं दूसरी ओर यह विवाद धार्मिक भावनाओं को लेकर तनाव पैदा कर रहा है। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे ने जोर पकड़ा है, जहां लोग दो पक्षों में बंट गए हैं।
कुछ लोग इन गैर-परंपरागत प्रतिमाओं को रचनात्मकता का हिस्सा मान रहे हैं, जबकि अधिकांश इसे धार्मिक अपमान के रूप में देख रहे हैं। एक सोशल मीडिया यूजर ने लिखा, "गणेशोत्सव में रचनात्मकता का स्वागत है, लेकिन धर्म का अपमान अस्वीकार्य है।" वहीं, एक अन्य यूजर ने कहा, "यह सिर्फ कुछ लोगों की नासमझी है, इसे साजिश कहना गलत है।" इस तरह की बहस ने सामाजिक माहौल को और गर्म कर दिया है।
पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया
रायपुर SSP कार्यालय ने हिंदू संगठनों की शिकायत को गंभीरता से लिया है और मामले की जांच शुरू करने का आश्वासन दिया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, उन पंडालों की पहचान की जा रही है जहां ऐसी विवादित प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। साथ ही, आयोजकों से पूछताछ की जा रही है कि ऐसी प्रतिमाएं बनाने और स्थापित करने का उद्देश्य क्या था।
SSP ने कहा, "हम धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हैं और इस मामले में निष्पक्ष जांच करेंगे। यदि कोई गलत इरादा या अपमानजनक कृत्य पाया गया, तो कानून के अनुसार कार्रवाई होगी।" पुलिस ने लोगों से शांति बनाए रखने और अफवाहों से बचने की अपील भी की है।
गणेशोत्सव में रचनात्मकता बनाम परंपरा
गणेशोत्सव में रचनात्मकता और पर्यावरण के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए थीम-आधारित पंडाल और प्रतिमाएं बनाना आम बात है। रायपुर में भी कई पंडालों में पर्यावरण, सामाजिक एकता, और सांस्कृतिक संदेशों को दर्शाने वाली प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। हालांकि, कार्टून और बेबी डॉल जैसे रूपों में गणेश प्रतिमाएं बनाना पहली बार विवाद का कारण बना है।
कुछ पंडाल आयोजकों का कहना है कि वे आधुनिक पीढ़ी को गणेशोत्सव से जोड़ने के लिए इस तरह की रचनात्मकता अपनाते हैं। लेकिन हिंदू संगठनों का तर्क है कि रचनात्मकता की आड़ में धार्मिक प्रतीकों का अपमान नहीं किया जा सकता। यह विवाद रचनात्मकता और परंपरा के बीच संतुलन को लेकर एक नई बहस छेड़ गया है।
सावधानी और संवेदनशीलता की जरूरत
इस विवाद ने गणेशोत्सव जैसे धार्मिक आयोजनों के आयोजन में अधिक सावधानी और संवेदनशीलता की जरूरत को उजागर किया है। इस मामले में कुछ सुझाव हैं।
दिशा-निर्देश जारी करें : प्रशासन को गणेश प्रतिमाओं के निर्माण और स्थापना के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए, ताकि धार्मिक भावनाएं आहत न हों।
जागरूकता अभियान : पंडाल आयोजकों को धार्मिक प्रतीकों के प्रति संवेदनशीलता के बारे में जागरूक किया जाए।
तेज जांच : पुलिस को इस मामले की निष्पक्ष और त्वरित जांच करनी चाहिए ताकि जिम्मेदार लोगों की मंशा स्पष्ट हो।
सामुदायिक संवाद : हिंदू संगठनों, संत समाज, और पंडाल आयोजकों के बीच संवाद स्थापित कर विवाद को सुलझाने की कोशिश की जाए।
सामाजिक सौहार्द के लिए एक संवेदनशील मुद्दा
रायपुर में गणेशोत्सव के बीच कार्टून और बेबी डॉल जैसी गणेश प्रतिमाओं को लेकर छिड़ा विवाद धार्मिक भावनाओं और सामाजिक सौहार्द के लिए एक संवेदनशील मुद्दा बन गया है। हिंदू संगठनों और संत समाज का विरोध और SSP कार्यालय में दर्ज शिकायत इस मामले की गंभीरता को दर्शाती है।
प्रशासन को इस मामले में त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई करनी होगी ताकि धार्मिक भावनाओं का सम्मान हो और गणेशोत्सव का उत्साह बरकरार रहे। यह विवाद यह भी सिखाता है कि धार्मिक आयोजनों में रचनात्मकता और परंपरा के बीच संतुलन बनाना जरूरी है, ताकि किसी की भावनाएं आहत न हों।
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