छत्तीसगढ़ के गुरु घासीदास नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व में बदलने की मंजूरी मिल गई थी, लेकिन इसका नोटिफिकेशन अभी तक जारी नहीं किया गया है। इसको लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने साय सरकार को अल्टीमेटम दिया है।
कोर्ट ने राज्य सरकार से चार हफ्तों में जवाब मांगा है। बता दें कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने पहले से ही 2014 में और अंतिम अनुमति 2022 में देकर गुरु घासीदास नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व में बदलने के लिए स्वीकृति दे दी थी।
कोर्ट ने दिया अल्टीमेटम
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार के पास यह आखिरी मौका है। इस पर राज्य सरकार निर्णय ले। दरअसल, इस मामले में 2019 में लगी जनहित याचिका लगाई गई थी। इसके बाद लगातार सुनवाई चलती रही।
हर बार राज्य सरकार ने पेशी आगे बढ़ाने की अर्जी दी। इस बार राज्य सरकार द्वारा पेशी को आगे बढ़ाने कोई अर्जी दी गई थी, लेकिन 15 जुलाई को सुनवाई में हाईकोर्ट चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने सरकार को अब आखिरी बार 4 सप्ताह का समय दिया है।
2012 में दिया था नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व बनाने का प्रस्ताव
रमन सरकार ने साल 2012 में गुरु घासीदास नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व घोषित करने का निर्णय लिया था। इसका प्रस्ताव एनटीसीए को भेजा था। इसमें गुरु घासीदास नेशनल पार्क और तमोर पिंगला सेंचुरी को मिलाकर टाइगर रिजर्व बनाने का ड्राफ्ट था। कांग्रेस सरकार में यह मामला इस रिजर्व एरिया के कोल ब्लॉक, आइल ब्लॉक और मिथेन गैस ब्लॉक पर फंस गया था।
कांग्रेस सरकार का मानना था कि जहां रिजर्व घोषित किया गया, उस पूरे इलाके में महत्वपूर्ण खनिजों की खदान और घना जंगल है। रिजर्व बनने के बाद अगर इस इलाके में खनन बंद करना पड़ा तो इससे राज्य को गंभीर आर्थिक संकट उठाना पड़ सकता है। दूसरी ओर प्रदेश में सरकार बदलने के बाद वन्य जीव एक्टिविस्ट को उम्मीद है कि शासन इस पर जल्द निर्णय लेगा।
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