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छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी का संकट युक्तियुक्तकरण के बाद भी बरकरार है। राज्य सरकार ने शिक्षक विहीन स्कूलों में अतिशेष शिक्षकों की तैनाती के लिए युक्तियुक्तकरण नीति लागू की थी, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है।
कई स्कूलों में अब भी शिक्षकों की भारी कमी है, जबकि कुछ स्कूलों में जरूरत से ज्यादा शिक्षकों की तैनाती कर दी गई है। बिल्हा ब्लॉक के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला, गतौरी इसका जीवंत उदाहरण है, जहां 82 छात्रों की पढ़ाई सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे चल रही है। ग्रामीणों की बार-बार मांग के बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हुआ है।
युक्तियुक्तकरण में खामियां, स्कूलों में शिक्षक नहीं
राज्य सरकार ने शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया शुरू की थी, जिसके तहत अतिशेष शिक्षकों को उन स्कूलों में भेजा जाना था जहां शिक्षकों की कमी है। लेकिन बिलासपुर जिले में इस प्रक्रिया को लागू करने में शिक्षा अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है। आरोप है कि अधिकारियों ने अपने चहेतों को बचाने के लिए प्रक्रिया में अनियमितताएं बरतीं।
कई अतिशेष शिक्षकों को ग्रामीण स्कूलों में तैनात तो किया गया, लेकिन उन्होंने अभी तक जॉइनिंग नहीं की है। ढाई महीने बीत जाने के बाद भी ऐसे शिक्षकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जिसका सीधा असर स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की शिक्षा पर पड़ रहा है।
गतौरी स्कूल में एक शिक्षक, 82 छात्र
बिलासपुर शहर से सटे बिल्हा ब्लॉक के गतौरी स्थित शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला की स्थिति चिंताजनक है। यहां 82 छात्रों की पढ़ाई की जिम्मेदारी सिर्फ एक विज्ञान शिक्षक पर है। स्कूल में एक प्रधान पाठक भी हैं, लेकिन उन्हें प्रशासनिक कार्यों जैसे संकुल बैठकों, शासकीय योजनाओं, मध्यान्ह भोजन और स्कूल अनुशासन की जिम्मेदारियों के कारण पढ़ाने का समय नहीं मिलता।
नतीजतन, एकमात्र शिक्षक को तीन कक्षाओं को अकेले पढ़ाना पड़ रहा है। स्कूल में अंग्रेजी, गणित और संस्कृत जैसे विषयों के लिए शिक्षकों की कमी है, जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
युक्तियुक्तकरण में पारदर्शिता की कमी
युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के दौरान गतौरी स्कूल में रिक्त शिक्षक पदों की जानकारी काउंसलिंग में प्रदर्शित नहीं की गई। इस लापरवाही के कारण स्कूल में शिक्षकों की तैनाती नहीं हो सकी। ग्रामीण कई महीनों से शिक्षकों की नियुक्ति की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। यह स्थिति न केवल गतौरी, बल्कि जिले के कई अन्य स्कूलों में भी देखने को मिल रही है, जहां शिक्षकों की कमी के कारण बच्चों की पढ़ाई अधर में लटकी है।
शिक्षा व्यवस्था पर सवाल
शिक्षा अधिकारियों की अनदेखी और युक्तियुक्तकरण में हुई खामियों ने सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ओर सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं बना रही है, वहीं दूसरी ओर जमीनी स्तर पर उनकी गलत कार्यान्वयन बच्चों के भविष्य को प्रभावित कर रहा है। गतौरी जैसे स्कूलों में शिक्षकों की कमी न केवल शैक्षणिक गुणवत्ता को प्रभावित कर रही है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी स्कूलों के प्रति लोगों का भरोसा भी कम कर रही है।
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