यौन शोषण के आरोपी डॉ. आशीष सिन्हा को नहीं मिली अग्रिम जमानत, कोर्ट हुआ सख्त

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने डॉक्टर आशीष सिन्हा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है, जिन पर एक पीजी छात्रा के शारीरिक और मानसिक शोषण का आरोप है।

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VINAY VERMA
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Dr Ashish Sinha sexually abused not get anticipatory bail court strict
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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पीजी डॉक्टर का शारीरिक और मानसिक शोषण करने के आरोपी डॉक्टर आशीष सिन्हा को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है। हाइकोर्ट ने आदेश में कहा कि आरोपी ऐसे अपराधों से संबंधित हैं, जो गंभीर और संवेदनशील हैं।   

FIR किसी भी तरह से प्रेरित  नहीं लगती। आरोपी डॉक्टर आशीष सिन्हा ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी। जिसमे आरोपी डॉक्टर ने अपने खिलाफ दर्ज FIR में लगे आरोप को खारिज करते हुए सरकारी कर्मचारी होने और गिरफ्तार किए जाने पर करियर बर्बाद होने की दुहाई दी थी।

आरोपी डॉक्टर के अधिवक्ता ने दलील दी कि जब विशाखा समिति की रिपोर्ट निदेशक, चिकित्सा शिक्षा को भेजी गई और आवेदक के खिलाफ कुछ भी नहीं पाया गया, तो शिकायतकर्ता ने आवेदक को किसी भी तरह से फंसाने के लिए FIR दर्ज कराई।

गोल्ड मैडलिस्ट है प्रार्थी डॉक्टर...

सरकारी वकील अमित वर्मा ने विरोध करते हुए कहा कि चूँकि शिकायतकर्ता एक महिला डॉक्टर और पीजी छात्रा भी है, के शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न से संबंधित है और प्रथम दृष्टया यह पाया गया है कि आवेदक ने ऊपर बताए गए अपराध किए हैं, आवेदक के खिलाफ़ FIR दर्ज की गई है और मामला जांच के अधीन है, इसलिए आवेदक अग्रिम जमानत याचिका रद्द की जाय।

शिकायतकर्ता की ओर से उपस्थित वकील मधुनिशा सिंह ने अग्रिम जमानत आवेदन का कड़ा विरोध करते हुए तर्क दिया कि शिकायतकर्ता एक होनहार छात्रा है, और रूस के एक मेडिकल कॉलेज से मेडिसिन की डिग्री में गोल्ड मैडल विजेता छात्रा है। आवेदक ने शुरू से ही शिकायतकर्ता पर बुरी नजर रखी और गंदी और घटिया टिप्पणियाँ कीं। उसे परीक्षा में फेल करने और उसका करियर बर्बाद करने की धमकी दी गई।


विशाखा कमेटी की जांच पर सवाल..

शिकायतकर्ता ने अपने ही विभाग के अधिकारियों के समक्ष शिकायत करने की पूरी कोशिश की, लेकिन जब कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो उसे मजबूरन FIR दर्ज करानी पड़ी। विशाखा समिति ने भी पाया है कि आवेदक अपने ऊपर लगे आरोपों में दोषी है।

इससे पहले सिकल सेल संस्थान, छत्तीसगढ़ के अधिकारियों और महिला कर्मचारियों ने आरोपी डॉक्टर के खिलाफ महिलाओं को परेशान करने, गाली देने और अभद्र व्यवहार करने की शिकायत दर्ज कराई थी। इसके अलावा वित्तीय अनियमितताएं करने का भी आरोप है।

साक्ष्यों से छेड़छाड़ कर सकता है आरोपी डॉक्टर..

हाईकोर्ट की एकलपीठ ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं को सुना और आदेश में कहा आवेदक के विरुद्ध लगाए गए आरोप अत्यंत गंभीर प्रकृति के हैं। कोर्ट ने आदेश में कहा कि आवेदक द्वारा गवाहों को प्रभावित करने, साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने या निष्पक्ष जाँच में बाधा डालने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

प्राथमिकी किसी भी तरह से प्रेरित नहीं लगती है, और उसमें घटनाओं का वर्णन प्रथम दृष्टया मामला दर्शाता है. आदेश में जाँच के प्रारंभिक चरण में है, और इस स्तर पर केस डायरी में उपलब्ध सामग्री के आधार पर अग्रिम जमानत खारिज की जाती।

FIR के बाद डॉक्टर आशीष सिंह भागा विदेश

राज्य सरकार की तरफ से जब आरोपी डॉक्टर आशीष सिन्हा के खिलाफ में कोई कार्रवाई नहीं हुई तो पीजी डॉक्टर ने पुलिस के पास अपनी गुहार लगाई। साक्ष्य के आधार पर मौदहापारा पुलिस ने आरोपी डॉक्टर आशीष सिन्हा के खिलाफ में FIR दर्ज की। इसके बाद डॉक्टर आशीष सिंह विदेश भाग गया।

 

राज्य सरकार मेहरबान.?

पीड़ित पीजी डॉक्टर करीब 1 साल से अपने ऊपर हो रहे मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना के खिलाफ में आवाज उठाई। लेकिन ना तो मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने इस पर कुछ संज्ञान लिया और ना ही राज्य सरकार ने... हालांकि एक विशाखा कमेटी का गठन किया गया लेकिन तमाम साक्ष्य के बावजूद भी विशाखा कमेटी ने केवल शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का संदेह ही जाताया।

उस आधार पर ना तो डॉक्टर को पद से हटाया गया और नहीं उसे दूसरे मेडिकल कॉलेज भेजा गया। पीड़िता ने मौदहा पारा थाने में आरोपी डॉक्टर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। उसमें पीड़िता ने यह संदेश जताया था कि आरोपी डॉक्टर विदेश भाग जाएगा। उसके बावजूद पुलिस ने भी अपनी कार्रवाई में ढीला रवैया अपनाया। जिसका लाभ लेते हुए डॉक्टर आशीष सिंह विदेश भाग गया।

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