सहेली ज्वेलर्स पर ED-CBI की नजर, शराब घोटाला जांच में उछला था नाम

दुर्ग जिले में, प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की संयुक्त टीम ने सहेली ज्वेलर्स के ठिकानों पर छापेमारी की। यह छापेमारी शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के सिलसिले में की गई है।

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Krishna Kumar Sikander
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ED-CBI eye on Saheli Jewelers the sootr
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छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में शुक्रवार, 8 अगस्त 2025 को प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की संयुक्त टीम ने शहर के प्रतिष्ठित सहेली ज्वेलर्स के ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के तहत की गई है। सूत्रों के अनुसार, यह छापा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे जेल में बंद चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी के बाद ईडी की पहली बड़ी कार्रवाई है।

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छापेमारी का उद्देश्य और प्रक्रिया

सहेली ज्वेलर्स के संचालक सुनील अग्रवाल के परिसरों पर सुबह से ही ED और CBI की टीमें सक्रिय हैं। अधिकारियों ने ज्वेलरी शोरूम और संबंधित ठिकानों पर दस्तावेजों की गहन जांच शुरू की है। इसके साथ ही संचालक से पूछताछ भी की जा रही है ताकि मनी लॉन्ड्रिंग के संदिग्ध लेनदेन और शराब घोटाले से जुड़े वित्तीय कनेक्शन का पता लगाया जा सके। जांच एजेंसियां विशेष रूप से उन दस्तावेजों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की पड़ताल कर रही हैं, जो कथित तौर पर अवैध धन के लेनदेन से संबंधित हो सकते हैं।

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शराब घोटाले का पृष्ठभूमि

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यकाल में हुए कथित शराब घोटाले के तार सहेली ज्वेलर्स से भी जुड़े होने की संभावना है। ईडी के मुताबिक यह मामला 2019 से 2022 के बीच का है। ED का दावा है कि इस घोटाले में राजनेताओं, नौकरशाहों और शराब ठेकेदारों का एक गठजोड़ शामिल था। उक्त ठेकेदार ने भी बिना लेखा-जोखा के शराब बिक्री कर बड़ा लाभ कमाने के साथ अवैध कमीशन भी लिया था। ईडी का यह भी दावा है कि चैतन्य ने 16.70 करोड़ की राशि प्राप्त की थी। इसके अलावा रियल एस्टेट समेत अन्य माध्यमों से 1,000 करोड़ से अधिक की मनी लॉन्ड्रिंग में भूमिका निभाई।

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सहेली ज्वेलर्स का कनेक्शन

सहेली ज्वेलर्स पर छापेमारी इसलिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि ED और CBI को संदेह है कि इस प्रतिष्ठान का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग के लिए एक चैनल के रूप में किया गया हो सकता है। जांच एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या ज्वेलरी कारोबार के जरिए अवैध धन को वैध बनाया गया। इस कार्रवाई से दुर्ग के व्यापारिक और राजनीतिक हलकों में हड़कंप मच गया है।

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राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और विवाद

इस छापेमारी ने एक बार फिर राजनीतिक तनाव को हवा दी है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पहले ही ED की कार्रवाइयों को राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया है। उन्होंने चैतन्य की गिरफ्तारी को केंद्र सरकार का "जन्मदिन का तोहफा" बताया था और जांच को विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने की साजिश करार दिया। दूसरी ओर, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि ED और CBI की कार्रवाइयां पूरी तरह सबूतों पर आधारित हैं।

आगे की जांच और प्रभाव

सहेली ज्वेलर्स पर यह कार्रवाई न केवल छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच की गति को दर्शाती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि केंद्रीय एजेंसियां इस मामले में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। सहेली ज्वेलर्स पर छापेमारी से जुड़े ताजा अपडेट्स और जांच के परिणाम आने वाले दिनों में और स्पष्टता लाएंगे।

FAQ

सहेली ज्वेलर्स पर ED और CBI ने कब और क्यों छापेमारी की?
8 अगस्त 2025 को ED और CBI की संयुक्त टीम ने दुर्ग स्थित सहेली ज्वेलर्स पर छापेमारी की। यह कार्रवाई कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के तहत की गई, जिसमें इस प्रतिष्ठान के माध्यम से अवैध धन को वैध बनाए जाने का संदेह है।
शराब घोटाले में चैतन्य बघेल की क्या भूमिका बताई जा रही है?
ईडी के अनुसार, चैतन्य बघेल ने शराब घोटाले के जरिए करीब 16.70 करोड़ रुपये की अवैध राशि प्राप्त की थी और रियल एस्टेट समेत अन्य माध्यमों से 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल रहे।
इस कार्रवाई पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं क्या रहीं?
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ED की कार्रवाई को राजनीतिक प्रतिशोध बताया, जबकि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि यह कार्रवाई पूरी तरह साक्ष्यों पर आधारित है। इस छापेमारी ने राजनीतिक हलकों में नई हलचल पैदा कर दी है।

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