हाथी का हिंदू धर्म में पौराणिक महत्व है। हाथी को भगवान गणेश का रुप माना जाता है। हाथी धन की देवी लक्ष्मी का वाहन भी माना जाता है। लेकिन इसके बाद भी हाथी और मानव के बीच संघर्ष पैदा हो गया है। छत्तीसगढ़ में ये पिछले 24 साल की कहानी है। इस बीच कई इंसानों की जान हाथियों ने ले ली तो कई हाथी, इंसानों की बर्बरता का शिकार हो गए। विश्व हाथी दिवस पर देखिए छत्तीसगढ़ में इंसान और हाथी के बीच के संघर्ष की कहानी।
11 साल में 600 लोगों की मौत
छत्तीसगढ़ में प्रवासी हाथियों ने अपना स्थायी बसेरा बना लिया है, इसलिए दो दशकों में हाथियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। यही वजह है कि मानव-हाथी द्वंद्व की घटनाएं बढ़ी हैं। यह आंकड़े डराने वाले हैं कि 11 सालों में इन बेकाबू हाथियों ने तकरीबन 600 लोगों को कुचल कर मार डाला। अभी घटनाएं तेजी से सामने आ रही हैं। हफ्तेभर में ही सात लोग मारे गए हैं। यह भी चौंकाने वाले तथ्य हैं कि इन हाथियों को काबू में करने वन विभाग ने करोड़ों रुपए फूंक दिए, पर समस्या खत्म होने के बजाय बढ़ती ही गई।
24 सालों में 221 हाथियों का शिकार
हाथी शेड्यूल-1 प्रजाति का एनिमल है, ऐसे में हाथियों की रक्षा करना भी वन विभाग की जिम्मेदारी है। राज्य में मानव-हाथी द्वंद्व में वर्ष 2001 से वर्ष 2024 जून तक 221 हाथियों की मौत हुई है। इनमें से 33 प्रतिशत 72 हाथियों की मौत करंट लगने से हुई है। वर्तमान में राज्य में 300 से ज्यादा हाथी मौजूद हैं। भारतीय वन्यजीव संस्थान ने राज्य में हाथियों को लेकर अध्ययन के बाद दावा किया है कि देश में हाथियों की कुल आबादी में से एक प्रतिशत हाथी छत्तीसगढ़ में है, लेकिन देश के अन्य राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ में मानव-हाथी द्वंद्व का अनुपात 15 प्रतिशत है। जानकार कहते हैं कि राज्य में मानव-हाथी द्वंद्व बढ़ने की वजह राज्य में खंडित वनक्षेत्र के साथ लोगों की वनों पर आश्रित होना है। हाथियों को रहवासी क्षेत्र में आने से रोकने सबसे ज्यादा खर्च गजराज वाहन खरदीने के साथ सोलर फेंसिंग लगाने में किया गया है। इसके अलावा रेडियो कॉलर लगाने में राशि खर्च की गई।
इतने काम,सब नाकाम
सोलर फेंसिंग। इसमें हल्का करंट रहता है, जिससे हाथी गांव के अंदर प्रवेश नहीं कर पाते। यह योजना वर्तमान में धरातल पर ही नहीं है।
मधुमक्खी पालन । विभाग का दावा था कि जंगल में जहां मधुमक्खियों का छत्ता होता है, वहां आसपास हाथी नहीं रुकते, लेकिन यह योजना भी फेल।
अस्स्थायी ट्रांजिस्ट कैंप। इस योजना के तहत विभाग जंगल में हाथियों को चारा देता था। विभाग का मकसद था कि इससे हाथी गांव की तरफ रुख नहीं करेंगे।
कुमकी हाथी। बिगड़ैल हाथियों को रोकने कर्नाटक से कुमकी हाथी लाए गए। कुमकी वर्तमान में सफेद हाथी साबित हो रहे हैं।
रेडियो कॉलर। 10 रेडियो कॉलर खरीदा गया था, अभी एक भी हाथी के गले में रेडियो कॉलर नहीं है।
सोलर बजुका। खेतों में पुतला खड़ा करने का फरमान था, यह योजना भी कारगार नहीं रही।
हाथियों के गले में घंटी बांधने का आदेश जारी किया गया। इसके लिए विभाग ने 24 घंटियां खरीदी थी, लेकिन यह योजना धरातल पर नहीं उतर पाई।
आठ गजराज वाहनों की खरीदी। गजराज वाहन से भी हाथियों को रहवासी क्षेत्र में आने से रोकने की योजना कारगार साबित नहीं हुई।