CGPSC घोटाला: EOW की कार्रवाई, पूर्व चेयरमैन सोनवानी सहित कई पर FIR

CGPSC घोटाले के मामले में ईओडब्ल्यू ने पूर्व चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी सहित कई कांग्रेस नेताओं पर एफआईआर दर्ज की है। आरोप है कि भूपेश सरकार के दौरान चेयरमैन पद पर रहते हुए टामन सोनवानी ने अपने बेटे समेत परिवार के कई सदस्यों का बड़े पदों पर चयन कराया है।

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Vikram Jain
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CGPSC भर्ती घोटाले में EOW की कार्रवाई।

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RAIPUR. छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) में हुए भर्ती घोटाले को लेकर एक्शन शुरु हो गया है। भर्ती घोटाले के मामले में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने केस दर्ज किया है। EOW ने मामले में पूर्व चेयरमैन टामन सोनवानी, जीवन किशोर ध्रुव सहित कई कांग्रेस नेताओं पर एफआईआर (FIR) दर्ज की है। आरोप है कि भूपेश सरकार के दौरान चेयरमैन पद पर रहते हुए टामन सोनवानी ने अपने बेटे समेत परिवार के कई सदस्यों का बड़े पदों पर चयन कराया है।

घोटाले को लेकर 2 साल में 40 से ज्यादा शिकायतें

बता दें कि विधानसभा चुनाव से पहले ही बीजेपी ने पीएससी घोटाला मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने का वादा किया था। इस घोटाले को लेकर 2 साल में 40 से ज्यादा शिकायतें सामने आई है। ये शिकायतें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृहमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, राज्य गृहमंत्री और मुख्य सचिव तक पहुंची है। अधिकांश शिकायतें राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से की गई है। विधानसभा सत्र के दौरान भी पीएससी घोटाले का मुद्दा सदन में उठा था।  इस मामले में रिश्तेदारों को नौकरी देने से लेकर, परीक्षा में अनियमितता, फर्जीवाड़ा, रिजल्ट में गड़बड़ी से लेकर पक्षपात करने का भी आरोप लगाया गया है। बता दें कि टामन सिंह 2004 बैच के आईएएस अफसर हैं। वे नारायणपुर और कांकेर जिले के कलेक्टर रह चुके हैं।

इस मामले बीजेपी सरकार ने केन्द्रीय जांच एजेंसी सीबीआई से जांच कराए जाने का फैसला लिया गया था। फिर EOW और ACB को जानकारी दी गई थी कि छत्तीसगढ़ राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षा साल 2021 जो 170 पदों के लिए ली गई थी। इसका रिजल्ट 11 मई 2021 को जारी किया गया था, इसके बाद राज्य लोकसेवा आयोग पर अनियमितता और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए ननकीराम कंवर और अन्य के माध्यमों से शिकायतें की गई थी।

परीक्षा में भाई भतीजावाद का आरोप

छत्तीसगढ़ पीएससी की 2021-22 की सिलेक्शन लिस्ट विवादों में घिरी थी, आरोप है कि भर्ती में फर्जीवाड़ा और भाई भतीजावाद कर अपनों रिश्तेदारों को नौकरी दी गई। मामले में हाईकोर्ट ने जनहित याचिका दायर होने के बाद 13 नियुक्तियों पर भी रोक लगा दी थी, लेकिन कुछ तथ्यों को लेकर चीफ जस्टिस रमेश सिंह ने राज्य सरकार और पीएसी को निर्देशित किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि जो सूची याचिकाकर्ता ने पेश की है उसके तथ्यों की सत्यता की बारीकी से जांच की जाए।

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