रायपुर : छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के पहले सरकार ने आनन_फानन में महतारी वंदन योजना शुरु कर दी थी। इस योजना में जिन महिलाओं ने फॉर्म भरे उनमें से अधिकांश के खाते में 1 हजार रुपए डालना शुरु कर दिए गए। अब जबकि सब कुछ सेटल हो गया है तो इस योजना में नया खेला शुरु हो गया है। सरकार की जेब पर भारी पड़ रही इस योजना से महिलाएं हर महीने बाहर होती जा रही हैं। योजना के पहले चार महीने में ही 26 हजार से ज्यादा महतारी की कटौती हो गई। यानी कर्ज के बोझ तले दबी सरकार अब चतुराई और चुपचाप से महतारी को अपात्र करने लगी है।
चार महीने में कम हुईं 26 हजार महतारी
बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में महिलाओं से वादा किया था कि उनकी सरकार बनने पर महतारी वंदन योजना शुरु की जाएगी जिसमें महिलाओं के खाते में एक हजार रुपए महीने आएंगे। महिलाओं ने इस वादे पर भरोसा किया और प्रदेश में बीजेपी को बंपर जीत मिल गई। सरकार बनने के बाद लोकसभा चुनाव सिर पर आ गए। इस योजना को मोदी की गारंटी बताया गया। इसलिए जब मोदी को चुनने की बारी आई तो इस गारंटी को तत्काल पूरा कर दिया गया। 10 मार्च 2024 को महिलाओं के खाते में पहली किस्त डाल दी गई।
सरकार के पोर्टल पर 70 लाख 27 हजार 154 आवेदन फॉर्म आए। नियमों के अनुसार 37 हजार महिलाएं शुरु में ही अपात्र हो गईं और 69 लाख 89 हजार 254 महिलाएं महतारी बन गईं। जाहिर मोदी की गारंटी पूरी करने में सरकार पर करीब 700 करोड़ रुपए महिने का भारी भरकम बोझ आ गया। सरकार अब इस बोझ को कम करने लगी है। सरकार ने चालाकी से चार महीने में 26 हजार 37 महिलाओं को इस योजना से बाहर का रास्ता दिखा दिया है।
इस तरह कम होती गईं महतारी
_ पहली किस्त 10 मार्च को 69 लाख 89 हजार 254 महतारी के खाते में डाली गई।
_ दूसरी किस्त 3 अप्रैल को 69 लाख 85 हजार 786 महतारी के खाते में गई। यानी 3468 महतारी योजना से बाहर हो गईं।
_ तीसरी किस्त 1 मई को 69 लाख 81 हजार 217 महतारी के खाते में गई। यानी इस महीने 4569 महिलाओं को योजना से बाहर कर दिया गया।
_ चौथी किस्त 1 जून को 69 लाख 63 हजार 42 महिलाओं के खाते में डाली गई। यानी इस महीने 18 हजार महिलाएं योजना से बाहर हो गईं।
_ इस तरह पहले चार महीने में ही सरकार ने 26 हजार 37 महिलाओं को इस योजना से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
चुनाव खत्म तो अपात्र होने लगी महिलाएं
इस पूरे गणित का मतलब है कि चुनाव खत्म होने के बाद महिलाएं इस योजना के लिए अपात्र होने लगी हैं। सूत्रों की मानें तो जुलाई के महीने में भी दो हजार महिलाओं को कम कर दिया गया है। महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े का कहना है कि ये महिलाएं अपात्र पाई गई हैं और 5 हजार महिलाओं की मौत हो गई है। यहां सवाल ये उठता है कि यदि ये महिलाएं अपात्र थीं तो फिर ये महतारी कैसे बन गईं। दूसरा सवाल ये है कि यदि इनको अपात्र माना गया तो अब तक इनके खाते में पैसा क्यों डालती रही सरकार। अपात्र महिलाओं को जनता के टैक्स का पैसा देने का जिम्मेदार कौन है। इन चार महीनों में सरकार ने हितग्राहियों के हिसाब से भी पौने दो सौ करोड़ रुपए कम डाले हैं। क्या यह योजना सरकार पर भारी पड़ रही है या इसमें कोई खेला हो रहा है। आप ही विचार कीजिए।
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