CCTV के नाम पर वसूली, व्यापारियों ने मांगी CM से मदद

जनभागीदारी या जनसुरक्षा के नाम पर उसे जिला प्रशासन की चंदा चकारी का शिकार होना पड़ रहा है और यह सब हो रहा है छत्तीसगढ़ के कुछ जिलों में जहाँ सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए कलेक्शन किया जा रहा है।

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Kanak Durga Jha
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Extortion name of CCTV traders sought help from CM
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प्रफुल्ल पारे। रायपुर

सुनने में यह अजीब सा लग सकता है कि किसी लोककल्याणकारी राज्य में आम आदमी सुरक्षा के नाम पर अपनी जेब ढीली कर रहा है। जनभागीदारी या जनसुरक्षा के नाम पर उसे जिला प्रशासन की चंदा चकारी का शिकार होना पड़ रहा है और यह सब हो रहा है छत्तीसगढ़ के कुछ जिलों में जहाँ सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए कलेक्शन किया जा रहा है। प्रदेश के दुर्ग और राजनांदगांव जिले के कुछ व्यापारी संगठनों ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से भी इसकी शिकायत की है कि उनके जिले में सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए चंदा वसूला जा रहा है।

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क्या है मामला 

बीते कुछ समय से छत्तीसगढ़ में अपराध तेजी से से बढ़ रहा है जिसे रोकने के लिए सरकार हर मोर्चे पर काम कर रही है। अपराधियों को पकड़ने में सीसीटीवी सर्वाधिक मददगार होता है इसीलिए सरकार और राज्य की पुलिस सभी शहरों के चप्पे चप्पे में सीसीटीवी लगाने की योजना बना रही है।

वर्तमान में जितने सीसीटीवी कैमरे लगे हैं उनमें आधे तो काम ही नहीं करते और उनका रखरखाव पुलिस के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। वहीं सरकार भी कैमरों के लिए कोई बड़ा बजट देने के मूड में नहीं रहती इसीलिए जिला प्रशासन पुलिस की मदद से और जनभागीदारी के जरिए सीसीटीवी लगाने के काम में जुट गया है। हालांकि यह काम पूरे प्रदेश में नहीं हो रहा है लेकिन दुर्ग और राजनांदगांव इस मुहीम में सबसे आगे हैं। 

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दुर्ग शहर के लगभग 180 चौराहों पर 1200 सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने हैं, जिसकी लागत लगभग 8 करोड़ है इसके लिए आईटीएमएस ने एक करोड़ और भिलाई इस्पात संयंत्र ने भी एक करोड़ की राशि बतौर सहयोग दी है। इसी तरह राजनांदगांव में भी जहां मात्र 150 कैमरे लगे हैं वहां 300 कैमरे और लगाए जा रहे हैं। इसकी लागत भी 2 करोड़ से अधिक है।

मतलब साफ है कि दोनों जिलों में कैमरे के लिए करीब छह करोड़ का चंदा किया जा रहा है। छोटे और बड़े सभी व्यापारी उद्योगपति कॉलोनियों और मोहल्लों के निवासी सभी लोग इस सहयोग राशि की जद में आ गए हैं। प्रशासन का यह प्रयास बुरा नहीं है लेकिन अब इसकी पारदर्शिता और प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे हैं। 

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मुख्यमंत्री से शिकायत 

जानकारी के अनुसार दुर्ग और राजनांदगांव के कुछ व्यापारियों ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से इस अभियान की शिकायत की है। इन लोगों को कहना है कि जनता को सुरक्षा देना और उसके जान माल की रक्षा करना सरकार का दायित्व है। सुरक्षा के नाम पर लगाए जा रहे कैमरों का खर्च और रखरखाव का कार्य सरकार को करना चाहिए। वहीं इतनी बड़ी राशि के संग्रहण और खर्च में पारदर्शिता का भी अभाव है। कैमरा किस कम्पनी से ख़रीदा गया ??

किस कम्पनी को लगाने का काम दिया गया ?? कैमरों के रखरखाव को लेकर क्या योजना है ?? क्योंकि पूरे प्रदेश में लगे अधिकांश सीसीटीवी कैमरे तो काम ही नहीं करते। बीते कुछ समय पहले महासमुंद जिले में भी पुलिस ने व्यापारी संगठनों और नागरिकों से कैमरे लगाने के लिए सहयोग का प्रयास किया था लेकिन व्यापारियों ने सहयोग से साफ़ मना कर दिया यह कहकर कि प्रशासन कैमरे के लिए राशि तो ले लेता है लेकिन उनका रखरखाव नहीं कर पाता। 

प्रदेश के जिन जिलों में ऐसे प्रयास हुए वहां उन सभी ने दम तोड़ दिया। दुर्ग और राजनांदगांव में लोगों को कैमरे के लिए पैसा देने में कोई आपत्ति नहीं है बल्कि उन्हें चिंता इस बात की है कि जिले से इतनी बड़ी मात्रा में एकत्र की गई राशि भ्रष्टाचार की भेंट ना चढ़ जाए और ये हजारों कैमरे भविष्य में शोपीस बनकर न रह जाए।

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