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आयुष्मान कार्ड से मुफ्त इलाज पाने में अब नई बाधाएं आ रही हैं। एक परिवार साल में सिर्फ एक बार सीटी स्कैन, एमआरआई, या 5000 रु. तक की खून जांच करा सकता है। उस सदस्य को दोबारा या परिवार के किसी दूसरे सदस्य की जरूरत पड़ी तो उसे अस्पताल में नकद पैसे देने होंगे। बजह सितंबर 2020 में लागू हेल्थ बेनीफिट पैकेज 2.0 की शर्त 3.5 प्रदेश में अब अमल में लाई जा रही है। शतं के मुताबिक आयुष्मान योजना का पात्र एक परिवार साल में सिर्फ एक बार एमआरआई, सीटी स्कैन या 5000 रु. तक कि ब्लड की जांच का सकता है।
इसके बाद अगर जांच की जरूरत पड़ी तो उसे अपनी जेब से पैसे देने होंगे। अक्टूबर 2024 से केंद्र सरकार टीएमएस-2 (ट्रांजेक्शन मैनेजमेंट सिस्टम) सॉफ्टवेयर से अस्पतालों में आयुष्मान से इलाज की सुविधा दे रही है। यह सॉफ्टवेयर साल भर के अंदर एक परिवार के एक सदस्य की दूसरी बार या किसी नए सदस्य के पहली बार, मुफ्त सोटी स्कैन कराने के लिए की जा रही कार्ड ब्लाकिंग को रिजेक्ट कर रहा है।
वैसे अक्टूबर 2024 से पहले निजी अस्पतालों में आयुष्मान का इलाज टीएमएस-1.01 सॉफ्टवेयर था। उस पर एक मरीज की जरूरत पर साल में दोबारा सीटी स्कैन या एमआरआई की ब्लाकिंग होती थी। परिवार के दूसरे सदस्य भी उसका लाभ ले सकते थे। अब तीन महीने से नया सॉफ्टवेयर ऐसी कार्ड ब्लाकिंग रिजेक्ट कर दे रहा है।
केस-1.. दूसरी बार नहीं हो पाया सीटी स्कैन
दुर्ग निवासी 53 वर्षीय वंदना कटारे 20 जुलाई को इलाज कराने एक निजी अस्पताल पहुंची। कैजुअल्टी में भर्ती करने के बाद आन ड्यूटी डॉक्टर ने सिमटम अनुसार सोटी हेड और अन्य जांच कराई। आगे के इलाज के दौरान उन्हें पेट और यूरिन की परेशानी होने लगी। डॉक्टर ने पेट का सीटी स्कैन कराने कहा तो सॉफ्टवेयर ब्लाकिंग नहीं होने दे रहा है।
केस-2.. पहला सीटी स्कैन बन गया बाधा
कृष्णा नगर निवासी 58 वर्षीय मीना रामटेके को 21 जुलाई को एक निजी अस्पताल में भर्ती किया। उनकी परेशानी को जानने डॉक्टर सीटी स्कैन कराना चाहते हैं। लेकिन जनवरी 2025 में बगल के स्व. अभिषेक मिश्रा मेडिकल कॉलेज में भर्ती होने के दौरान हुआ सीटी स्कैन दूसरी बार मुफ्त सीटी स्कैन कराने में बाधा बन गया है।
नया सॉफ्टवेयर कर रहा कार्ड ब्लॉकिंग- अक्टूबर 2024 से लागू हुआ TMS-2 सॉफ्टवेयर।
केस-2: मीना रामटेके का पहले से हुआ CT स्कैन, नए इलाज में बाधा बना।
अस्पतालों की शिकायतें और सरकार की चुप्पी- निजी अस्पतालों का कहना – तकनीकी बाधाओं से मरीजों की जान पर बन आ रही। |
अप्रूवल देने 24 घंटे ले रहे, पहले 6 घंटे में हो जाता था
आयुष्मान से इन पैनल निजी अस्पतालों के मुताबिक आयुष्मान योजना से किसी भी मरीज को भर्ती करने के बाद इलाज की अनुमति लेनी पड़ती है। पहले इलाजा की अनुमति भर्ती होने के 6 घंटे में मिल जाती थी। तीन माह से अनुमति अर्थात अप्रूवल देने में आयुष्मान के जिम्मेदार 8 से लेकर 24 घंटे का समय ले रहे हैं।
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