अब जशपुर जिले के किसान गर्मी के मौसम में भी खेतों से आमदनी कमा रहे हैं। इसका श्रेय मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में संचालित सरकारी योजनाओं और वैज्ञानिक कृषि पद्धतियों को जाता है, जो दूरस्थ अंचलों तक किसानों की पहुंच बना रही हैं।
ग्राम दुर्गापारा, विकासखंड बगीचा के किसान गुरुनारायण इसका जीवंत उदाहरण हैं। पहले वे खरीफ और रबी सीजन में केवल धान की खेती करते थे, जिससे न लाभ होता था और न ही लागत निकल पाती थी। लेकिन अब, उन्होंने धान की जगह गर्मियों में मूंगफली की खेती अपनाकर नई राह पकड़ ली है।
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धान छोड़, मूंगफली की ओर: एक बदला हुआ नजरिया
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (तिलहन) योजना के तहत गुरुनारायण को 20 किलो निःशुल्क मूंगफली बीज मुहैया कराया गया। क्षेत्र के कृषि विस्तार अधिकारी रवि रोशन टोप्पो के मार्गदर्शन में उन्होंने 0.200 हेक्टेयर भूमि में मूंगफली की फसल लगाई। कृषि विभाग की ओर से उन्हें बीज के साथ-साथ सूक्ष्म पोषक तत्व, खाद, कीटनाशक दवाएं और तकनीकी सलाह भी समय-समय पर दी गई।
गुरुनारायण ने बताया कि मूंगफली की फसल की हालत अच्छी है और बाजार में इसका मूल्य भी अच्छा मिल रहा है। इससे उन्हें उम्मीद है कि इस बार की कमाई पिछले वर्षों की तुलना में काफी बेहतर होगी।
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सरकार की योजना बनी सहारा
सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का असर अब जमीन पर दिखने लगा है। इस योजना से किसानों को यह विश्वास मिला है कि यदि वे पारंपरिक खेती से बाहर निकलकर नई फसलें अपनाएं, तो उन्हें मौसम के अनुसार अधिक लाभ हो सकता है।
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वैज्ञानिक पद्धति से खेती की दिशा में एक कदम
गुरुनारायण जैसे किसान साबित कर रहे हैं कि वैज्ञानिक तरीकों और योजनाबद्ध खेती के जरिए कम पानी में भी लाभदायक खेती की जा सकती है। मूंगफली जैसी फसलें, जिनमें पानी की खपत कम होती है, न केवल मुनाफा बढ़ाती हैं बल्कि मिट्टी की सेहत को भी सुधारती हैं।
जशपुर जिले में हो रहे यह छोटे-छोटे बदलाव भविष्य में बड़ी तस्वीर का हिस्सा बन सकते हैं। ग्रीष्मकालीन फसलों के प्रति किसानों का बढ़ता रुझान राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को नई दिशा दे रहा है। इससे स्पष्ट होता है कि सही मार्गदर्शन, संसाधन और सरकारी सहयोग के साथ किसान हर मौसम में खेती से मुनाफा कमा सकते हैं।
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