DFO ऑफिस में पांच घंटे का ड्रामा, जनप्रतिनिधियों का विरोध ‘खेद’ से समाप्त

एमसीबी जिले में गुरुवार को डीएफओ मनीष कश्यप के कार्यालय के बाहर ऐसा दृश्य देखने को मिला मानो कोई हाई-वोल्टेज नाटक मंचित हो रहा हो।

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VINAY VERMA
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Five hours drama DFO office protest public representatives ended regret
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एमसीबी जिले में गुरुवार को डीएफओ मनीष कश्यप के कार्यालय के बाहर ऐसा दृश्य देखने को मिला मानो कोई हाई-वोल्टेज नाटक मंचित हो रहा हो। मंच पर भाजपा और कांग्रेस के नेता और डीएफओ मनीष कश्यप थे.. हालांकि मनीष कश्यप पांच घंटे तक अपने चेंबर से बाहर नहीं निकले। लेकिन पूरी कहानी उन्ही के इर्दगिर्द घूमती रही...

अपमान का आरोप लगा प्रदर्शन


दरअसल पूरा मामला तब शुरू हुआ जब नगर पालिका अध्यक्ष प्रतिमा यादव, उपाध्यक्ष धर्मेंद्र पटवा और नगर के पार्षद भालुओं के बढ़ते आतंक की शिकायत लेकर डीएफओ कार्यालय पहुंचे। लेकिन वहां उन्हें समाधान नहीं, बल्कि ‘अभद्रता’ का स्वाद चखाया गया। जनप्रतिनिधियों का आरोप है कि डीएफओ ने तानाशाही लहजे में बात की, बात क्या की – सीधे अपमान कर दिया।

शुरू हो गई नारेबाजी


इसके बाद तो जैसे बर्फीली हवा में आग लग गई। नाराज जनप्रतिनिधि धरने पर बैठ गए, नारेबाजी शुरू हो गई – “डीएफओ हटाओ, वन विभाग बचाओ!” इस नारे की गूंज सुनकर पहले भाजपा नेता पहुंचे, फिर कांग्रेस के भी ‘दुख बांटने’ आ गए। भरतपुर-सोनहत विधायक रेणुका सिंह, पूर्व विधायक गुलाब कमरो और भाजपा जिलाध्यक्ष चंपा देवी पावले ने मौके पर पहुंचकर विरोध को और गरमा दिया।

मंत्री के प्रतिनिधियों ने संभाला मोर्चा


स्थानीय विधायक के प्रतिनिधि सरजू यादव और कैबिनेट मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के प्रतिनिधियों ने भी मोर्चा संभाल लिया। मंच पर एक स्वर में सभी बोले – “डीएफओ साहब का रवैया न केवल तानाशाही है, बल्कि भ्रष्टाचार से लिप्त है। निर्माण कार्यों में भारी गड़बड़ी हुई है, जांच होनी चाहिए!”

 

जनप्रतिनिधियों का विरोध 

प्रदर्शन तब तक चलता रहा जब तक शाम के पांच नहीं बज गए। पांच घंटे बीतने के बाद सुलह समझौता का दौर चला। एसडीएम की मध्यस्थता में बैठक हुई, जनप्रतिनिधियों का एक डेलिगेशन के सामने डीएफओ को ‘सभा कक्ष’ की बुलाया गया।

मीटिंग से मीडिया को दूर और माहौल गुप्त रखा गया, लेकिन बाहर जो खबर आई, उसके अनुसार डीएफओ ने सिर्फ ‘खेद’ प्रकट किया। जिससे बाहर बैठे जनप्रतिनिधि अफसोस के अलावा कुछ नहीं कर सके। उसके बाद धरना खत्म हो गया है, जनप्रतिनिधि अपने-अपने घरों को लौट गए। हालांकि भालू अब भी बस्ती की गलियों में टहल रहा है।

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