बस्तर में 2,788 वन पट्टे गायब, राहुल गांधी का बीजेपी पर ‘अधिकार चुराने’ का आरोप

छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में 2,788 वन अधिकार पट्टों के रिकॉर्ड गायब होने का मामला गरमा गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर पोस्ट कर बीजेपी सरकार पर हमला बोला है।

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Krishna Kumar Sikander
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Rahul Gandhi accuses BJP of stealing rights the sootr
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छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में 2,788 वन अधिकार पट्टों के रिकॉर्ड गायब होने का मामला तूल पकड़ रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे को लेकर बीजेपी सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर पोस्ट कर बीजेपी पर आदिवासियों और बहुजनों के अधिकार छीनने की साजिश का आरोप लगाया।

राहुल गांधी ने इसे “कागज मिटाओ, अधिकार चुराओ” की नीति करार देते हुए कहा कि यह सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि एक सुनियोजित साजिश है। इस मुद्दे ने छत्तीसगढ़ की सियासत में हलचल मचा दी है, और कांग्रेस अब इसे लेकर राज्यव्यापी जनआंदोलन की तैयारी में है।

राहुल गांधी का बीजेपी पर निशाना

राहुल गांधी ने अपनी पोस्ट में बीजेपी सरकार पर आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन के अधिकारों को कमजोर करने का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “बीजेपी का नया हथियार है- कागज मिटाओ, अधिकार चुराओ। कहीं वोटर लिस्ट से दलितों और पिछड़ों के नाम हटाए जा रहे हैं, तो कहीं बस्तर जैसे आदिवासी क्षेत्रों में वन अधिकार पट्टों को गायब किया जा रहा।

राहुल ने यूपीए सरकार द्वारा लागू किए गए वन अधिकार अधिनियम (FRA) का जिक्र करते हुए कहा कि यह कानून आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए बनाया गया था, लेकिन बीजेपी सरकार इसे कमजोर कर रही है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा, “आदिवासी इस देश के पहले मालिक हैं। उनके अधिकारों की रक्षा करना कांग्रेस का संकल्प है, और बीजेपी चाहे जितनी साजिशें रचे, हम उनके साथ मजबूती से खड़े रहेंगे।”

प्रदेश कांग्रेस का भी तीखा हमला

छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने भी इस मुद्दे पर बीजेपी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार आदिवासियों को उनके जल, जंगल और जमीन से बेदखल करने की साजिश रच रही। बैज ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले 20 महीनों में एक भी नया वन अधिकार पट्टा जारी नहीं किया गया। इसके उलट, कांग्रेस सरकार के दौरान दिए गए पट्टों को ही रिकॉर्ड से गायब किया जा रहा है। उन्होंने इसे आदिवासियों के दावों को खारिज करने की साजिश करार दिया।“

यह लापरवाही नहीं, साजिश है

राहुल गांधी ने अपनी पोस्ट में कहा कि पट्टों का गायब होना केवल कागजी कार्रवाई की गड़बड़ी नहीं, बल्कि लाखों आदिवासी परिवारों के जीवन और आजीविका पर हमला है। उन्होंने बीजेपी पर आदिवासियों को हाशिए पर धकेलने का आरोप लगाया।कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर बस्तर सहित पूरे छत्तीसगढ़ में जनआंदोलन शुरू करने की घोषणा की है। पार्टी का कहना है कि वह आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए सड़क से लेकर सदन तक संघर्ष करेगी। बैज ने कहा, “राहुल गांधी के ‘कागज मिटाओ, अधिकार चुराओ’ के नारे ने बीजेपी की साजिश को बेनकाब कर दिया है। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।”

बीजेपी की चुप्पी, सियासत गर्म

राहुल गांधी और कांग्रेस के इन आरोपों पर अभी तक बीजेपी की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, बीजेपी सरकार इस मामले में जांच के आदेश दे सकती है। इस बीच, विपक्ष के आक्रामक रुख ने छत्तीसगढ़ की सियासत को गरमा दिया है। बस्तर और राजनांदगांव में यह मुद्दा स्थानीय लोगों के बीच भी चर्चा का विषय बन गया है।

वन अधिकार अधिनियम और आदिवासियों के अधिकार

वन अधिकार अधिनियम (2006) आदिवासियों और वनवासियों को जंगल, जमीन और प्राकृतिक संसाधनों पर उनके पारंपरिक अधिकारों की रक्षा करने के लिए बनाया गया था। इस कानून के तहत व्यक्तिगत और सामुदायिक वन अधिकार पट्टे दिए जाते हैं, जो आदिवासियों को उनकी जमीन पर खेती, आजीविका और संसाधनों के उपयोग का अधिकार प्रदान करते हैं। बस्तर जैसे क्षेत्रों में यह कानून आदिवासियों के लिए जीवन रेखा की तरह है, लेकिन पट्टों के रिकॉर्ड गायब होने से उनके अधिकार खतरे में पड़ गए हैं।

कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति बनाई है। पार्टी ने मांग की है कि गायब हुए पट्टों की जांच के लिए स्वतंत्र समिति गठित की जाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो। साथ ही, नए वन अधिकार पट्टों के वितरण को तेज करने की मांग भी उठ रही है। 

सुझाव और अपील

पारदर्शी जांच : सरकार को तत्काल गायब पट्टों की जांच के लिए स्वतंत्र समिति गठित करनी चाहिए और जांच प्रक्रिया को समयबद्ध करना चाहिए।
आदिवासियों का भरोसा : प्रशासन को आदिवासी समुदायों के साथ संवाद बढ़ाकर उनके अधिकारों की रक्षा का भरोसा देना चाहिए।
जागरूकता अभियान : आदिवासियों को उनके वन अधिकारों के बारे में जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाए जाने चाहिए।

यह मुद्दा न केवल छत्तीसगढ़ की सियासत, बल्कि आदिवासी अधिकारों और सामाजिक न्याय के लिए एक बड़ी लड़ाई का हिस्सा बन सकता है। सभी की निगाहें अब बीजेपी सरकार की प्रतिक्रिया और कांग्रेस के प्रस्तावित जनआंदोलन पर टिकी हैं।

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