अरुण तिवारी, RAIPUR. शराब घोटाले ( Liquor Scam ) के आरोपी और ईडी की गिरफ्त में फंसे पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा ( IAS Anil Tuteja ) सरकारी गवाह बन सकते हैं। ईडी ने अनिल टुटेजा को दो हजार करोड़ के शराब घोटाले का मास्टर माइंड बताया है। सूत्रों की मानें तो बीजेपी संगठन के कुछ लोगों ने टुटेजा की पत्नी और पुत्र से इस संबंध में बातचीत की है। ऐसा माना जा रहा है कि टुटेजा के सरकारी गवाह बनाने पर सहमति भी बन गई है। हालांकि ये अनिल टुटेजा की हामी पर निर्भर करता है कि वे सरकारी गवाह बनना चाहते हैं या नहीं। परिजनों को ये भी समझाया गया है कि यदि वे सरकारी गवाह नहीं बनेंगे तो कानूनन बड़ी मुश्किल में फंस जाएंगे। टुटेजा रमन सरकार के करीबी अफसर रहे हैं। इससे टुटेजा के कुछ नेताओं से करीबी संबंध रहे हैं। इन नेताओं के जरिए ही टुटेजा के सरकारी गवाह बनने की बात चती है। यदि टुटेजा सरकारी गवाह बनते हैं तो पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
शराब घोटाले में आरोपी हैं अनिल टुटेजा
भूपेश सरकार ( Bhupesh Baghel ) के दौरान छत्तीसगढ़ में हुए 2000 करोड़ रुपए के शराब घोटाले के आरोप में ईडी ने पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा को 20 अप्रैल को गिरफ्तार किया है। ईडी ने टुटेजा को शराब घोटाले का मास्टर माइंड बताया। 8 अप्रैल को ईडी ने इस घोटाले की चार्जशीट दाखिल की थी। तब प्रोसीड ऑफ क्राइम के साबित न होने पर कोर्ट ने मामले को निरस्त कर दिया था। इसके बाद ईडी ने टुटेजा व अन्य के खिलाफ नई ईसीआईआर दर्ज की। इसके बाद टुटेजा को गिरफ्तार कर लिया गया। टुटेजा पर आरोप है कि उन्होंने शराब कारोबारियों और राजनेताओं से मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिया। इस मामले में अनिल टुटेजा और कांग्रेस नेता व व्यवसायी अनवर ढेबर समेत 70 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
ईडी की जांच में सामने आया घोटाला
ईडी की जांच के अनुसार फरवरी 2019 में शराब कारोबार से ज्यादा से ज्यादा अवैध कमीशन वसूलने के लिए एक सिंडीकेट बनाया गया। इस सिंडीकेट का नेतृत्व मुख्यमंत्री के अत्यंत करीबी और सबसे पॉवरफुल आईएएस अनिल टुटेजा कर रहे थे, जो उद्योग विभाग में संयुक्त सचिव के पद पर पदस्थ थे। सिंडीकेट के अन्य सदस्य आईएएस निरंजन दास सचिव एवं आबकारी आयुक्त, एपी त्रिपाठी आईटीएस एमडी राज्य मार्केटिंग कार्पोरेशन, कांग्रेस नेता अनवर ढेवर, होलोग्राम सप्लायर विधु गुप्ता, प्लेसमेंट कंपनी के संचालक सिद्धार्थ सिंघानिया, विकास अग्रवाल,अरविंद सिंह समेत तीन डिस्टलर भाटिया ग्रुप, केडिया ग्रुप और जायसवाल ग्रुप थे। मार्च 2019 में अनवर ढेबर के होटल में देशी शराब बनाने वाले प्रमुख डिस्टलरों नवीन केडिया और राजेंद्र जायवास की बैठक हुई। इसमें अनवर ढेबर, विकास अग्रवाल और एपी त्रिपाठी भी शामिल हुए। इसमें शराब की प्रति पेटी पर निश्चित दर से कमीशन वसूली और बिना ड्यूटी पेड शराब की बिक्री शुरु करने का फैसला हुआ। 1 अप्रैल 2019 से देशी व विदेशी शराब की दरों में वृद्धि कर दी गई और अवैध वसूली शुरु हो गई। अप्रैल 2019 से जून 2022 तक 2100 करोड़ अवैध कमीशन के रुप में वसूले गए।
ये होता है सरकारी गवाह
जब किसी अपराध या उसकी साजिश में कई लोग शामिल होते हैं। उन्हीं में से एक को जांच एजेंसी द्वारा सरकारी गवाह बना लिया जाता है। जो अपराध से संबंधित हर जानकारी को गवाह के रुप में देता है। इसे सरकारी गवाह कहा जाता है। जो सरकारी गवाह होते हैं उनकी सजा अदालत चाहे तो कम कर सकती है या क्षमादान दे सकती है। सीआरपीसी की धारा 306 में सजा की माफी का प्रावधान है। किसी मामले में शामिल आरोपियों को अदालत क्षमादान की शर्त पर सरकारी गवाह बना सकती है जो पूरी सच्चाई अदालत के सामने गवाह के रुप में बता दे। यदि आरोपी पूरी सच्चाई अदालत के सामने बताने में सफल हो जाता है तो उसे क्षमादान दे दिया जाता है।
बढ़ सकती हैं भूपेश की मुश्किलें
अनिल टुटेजा के सरकारी गवाह बनने से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। टुटेजा की गवाही से कई और प्रमुख लोगों के नाम इस घोटाले में सामने आ सकते हैं। टुटेजा पूर्व मुख्यमंत्री के बेहद करीबी रहे हैं। ईडी ने उनको इस घोटाले का किंगपिन भी माना है। चूंकि ये पूरा मामला भूपेश सरकार के समय हुआ है इसलिए इसमें कई और बड़े नामों का खुलासा हो सकता है।